Difference between revisions of "सव्यसाची"

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{{शब्द संदर्भ नया
|अर्थ=जो दाहिने और बायें दोनों हाथों से सब काम समान रूप से कर सकता हो, [[अर्जुन]] की एक उपाधि (बाएँ हाथ से भी बाण चलाने में कुशल होने के कारण) इसीलिए अर्जुन को 'सव्यसाची' भी कहते हैं।  
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|अर्थ=जो दाहिने और बायें दोनों हाथों से सब काम समान रूप से कर सकता हो, [[अर्जुन]] की एक उपाधि, इसीलिए अर्जुन को 'सव्यसाची' भी कहते हैं।  
 
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]]
 
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]]
 
|उदाहरण=बाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।  
 
|उदाहरण=बाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।  
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|विलोम=
 
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|पर्यायवाची=
 
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|संस्कृत=सव्यसाचिन् ['''सव्य''' = बायाँ हाथ, विरोधी, उलटा '''साचिन्''' = अर्जुन का विशेषण<ref>निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् -[[भागवत पुराण]] 11|33</ref>
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|संस्कृत=सव्यसाचिन् ['''सव्य''' = बायाँ हाथ, विरोधी, उलटा '''साचिन्''' = अर्जुन का विशेषण<ref>निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् -[[भागवत पुराण]] 11|33</ref>]
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Latest revision as of 05:58, 29 December 2014

chitr:Disamb2.jpg savyasachi ek bahuvikalpi shabd hai any arthoan ke lie dekhean:- savyasachi (bahuvikalpi)

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tika tippani aur sandarbh

  1. nimittamatran bhav savyasachinh -bhagavat puran 11|33