अब्धिः (पुल्लिंग) [आपः धीयन्ते अत्र-अप्+धा+कि]
- 1. समुद्र, जलाशय, (आलं. भी) दुःख, कार्य, ज्ञान आदि किसी चीज का भंडार या संग्रह।
- 2. ताल, झील
- 3. (गण. में) सात की संख्या, कई बार चार की संख्या
सम.-अग्निः (पुं.) वाडवाग्नि,-कफः,-फेनः (पुं.) समुद्री झाग, (पुं.)
- 1. चन्द्रमा
- 2. शंख, (-जा)
- 1. वारुणी (समुद्र से उत्पन्न)
- 2. लक्ष्मी देवी,-द्वीपा (स्त्रीलिंग) पृथ्वी,-नगरी (स्त्री.) कृष्ण की राजधानी द्वारका,-नव-नीतकः (पुं.) चन्द्रमा,-मंडूकी (स्त्री.) मोती की सीप,-वाहन-शयनः विष्णु,-सारः (पुं.) रत्न।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑
संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 76 |
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