न्यायिक प्रभाग
न्यायिक प्रभाग गृह मंत्रालय के अधीन भारतीय दंड संहिता (आई.पी.सी.), दण्ड प्रक्रिया संहिता (सी.आर.पी.सी.) और जांच आयोग अधिनियम के भी विधायी पहलुओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है। यह प्रभाग राज्य विधानों जिनके लिए संविधान के अन्तर्गत राष्ट्रपति की स्वीकृति अपेक्षित होती है, स्वतन्त्रता से पहले पूर्व में रह चुके शासकों द्वारा प्रदान की गई राजनीतिक पेंशन, तथा संविधान के अनुच्छेद 72 के अन्तर्गत दया याचिकाओं से संबंधित मामलों को भी देखता है।
राजनीतिक III अनुभाग के न्याायिक और राजनीतिक पेंशन और अन्य शेष मामले
- गृह मंत्रालय की टिप्पणियों हेतु अन्य मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले विधेयक और मंत्रिमंडल नोट।
- निम्नलिखित प्रकार के राज्य के विधायी प्रस्ताव:-
- संविधान के अनुच्छेद 201 के अन्तर्गत राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक;
- संविधान के अनुच्छेद 213 (1) के अन्तर्गत राष्ट्रपति के अनुदेशों हेतु अध्यादेश;
- संविधान के अनुच्छेद 304 (ख) के अन्तर्गत राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति हेतु विधेयक; तथा
- अनुसूचित क्षेत्रों के लिए संविधान की पांचवी अनुसूची के उप-पैरा 5 (4) के अन्तर्गत राष्ट्रपति की सहमति हेतु विनियम।
- जांच आयोग अधिनियम के विधायी पहलू– अधिनियम और इसके अन्तर्गत नियमों का संशोधन;
- गृह मंत्रालय के अन्य अनुभागों को विशिष्टरत: नहीं सौंपे गए मामलों से संबंधित न्यायालय मामलों (सम्मन, निर्णय आदि) का समन्वय- और इसका संबंधित मंत्रालयों/विभागों/राज्य सरकारों को अग्रेषण करना। दण्डन प्रक्रिया संहिता इत्याददि की धारा 80 के अन्तंर्गत विधायी नोटिसों के उत्तरों की मानीटरिंग सहित गृह मंत्रालय में अन्य अनुभागों को विशिष्टत: नहीं सौपे गए मामलों से संबंधित न्यायालयों के सम्मनों और दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 80 के अन्तर्गत विधायी नोटिसों का समन्वन भी करना।
- अन्य अनुभागों को विशिष्टत: नहीं सौंपे गए मामलों में मुकदमों पर प्रतिवाद करने के लिए राज्यन सरकारों के साथ व्यवस्था करना।
- राज्य भत्ता और विशेषाधिकार को समाप्त करने से बने भारतीय राज्यों के पूर्व शासक और उनके कुटुम्बों से जुड़े मामले।
- राजनीतिक पेंशन
- राज्य विधानों की तीन पहलूओं की जांच पड़ताल की जानी अपेक्षित है अर्थात:
(i) केन्द्रीय विधियों के साथ असंगति
(ii) राष्ट्रीय अथवा केन्द्रीय नीति से विचलन तथा
(iii) विधिक तथा संवैधानिक वैधता।
- राज्य विधानों में सम्मिलित नीतिगत मुद्दों को संबंधित मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकार के साथ परामर्श से निपटाया जाता है। इस प्रकार, इस संबंध में समय-सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती।
न्यायिक एकक
- इसके प्रावधानों के कार्यान्वयन को छोड कर समय-समय पर संशोधित दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के विधायी पक्षों से संबंधित सभी मामले।
- उन मामलों को छोड़ कर
- जो मुख्य रूप से इस मंत्रालय के अन्य प्रभागों से संबंधित है; और
- जो इसके प्रावधानों के कार्यान्वयन से संबंधित हैं, अर्थात् विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत अपराध समिति समय समय पर संशोधित भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के विधायी पक्षों से संबंधित सभी मामले।
- किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलम्बन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत प्रस्तु्त दया याचिकाएं।
- केन्द्रीय जांच ब्यूरो और विदेशी सरकारों के अलावा दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 188 के अंतर्गत अभियोजन के लिए स्वीकृति हेतू अनुरोध (और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के अंतर्गत नहीं)
- केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा जांच किए गए या भारत की रक्षा नियमावली या भारत की रक्षा सुरक्षा नियमावली के अंतर्गत आरम्भ करने के अलावा दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 321 के अंतर्गत मामलों को वापिस लेने के लिए अनुमति हेतु अनुरोध।
- दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं।
- मुख्य रूप से अन्य प्रभागों/विभागों से संबंधित मामलों को छोड़ कर भारतीय दण्ड संहिता के प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाएं।
- केन्द्रीय और राज्यद विधानों में दाण्डिक प्रावधानों की जांच।
अधिनियम
- दाण्डिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013
- दण्ड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) अधिनियम, 2010
- जांच आयोग अधिनियम, 1952
- भारतीय दण्ड संहिता अधिनियम, 1860
- दण्डी प्रक्रिया संहिता, 1973
- दण्ड प्रक्रिया संहिता, (संशोधन) अधिनियम, 2005
- दाण्डिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2005
- दण्ड प्रक्रिया संहिता, (संशोधन) अधिनियम 2008
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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