रहिमन जग जीवन बड़े -रहीम
‘रहिमन’ जग जीवन बड़े काहु न देखे नैन ।
जाय दशानन अछत ही, कपि लागे गथ लैन ॥
- अर्थ
दुनिया में किसी को अपने जीते-जी बड़ाई नहीं मिली। रावण के रहते हुए बन्दरों ने लंका को लूट लिया। उसकी आँखों के सामने ही उसका सर्वस्व नष्ट हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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