सुचित्रा भट्टाचार्य
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सुचित्रा भट्टाचार्य (अंग्रेज़ी: Suchitra Bhattacharya, जन्म- 10 जनवरी, 1950; मृत्यु- 12 मई, 2015) बांग्ला भाषा की प्रसिद्ध महिला उपन्यासकार थीं। उनमें बचपन से ही लिखने के प्रति विशेष रुचि थी।
- सुचित्रा भट्टाचार्य ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध जोगमाया देवी कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी।
- शिक्षा पूर्ण होने के बाद उन्होंने विवाह कर लिया और कुछ समय के लिए लेखन से आराम ले लिया।
- वह सत्तर के दशक के अंत (1978-1979) में छोटी कहानियों में लेखन के साथ लौटीं।
- उन्होंने अस्सी के दशक के मध्य में उपन्यास लिखना शुरू किया।
- एक दशक के भीतर, विशेषकर उपन्यास 'काचर देवल' (ग्लास वाल) के प्रकाशन के बाद, वे बंगाल के प्रमुख लेखकों में से एक बन गईं।
- 12 मई, 2015 को ढकुरिया, कोलकाता स्थित उनके निज निवास में हृदयाघात की वजह से उनका निधन हो गया।
लेखन कार्य
सुचित्रा जी ने विभिन्न प्रमुख बंगाली साहित्यिक पत्रिकाओं में लगभग 24 उपन्यास और बड़ी संख्या में लघु कहानियां लिखी-
- मिटिन मासी पुस्तक श्रृंखला
- दशती उपनिषद (दस उपन्यास)
- जर्मन गणेश
- एक्का (अकेला)
- हेमोन्तर पाखी (शरद ऋतु का पक्षी)
- नील घुन्नी (नीला बवंडर)
- उरो मेघ (उडता बादल)
- छेरा तार (टूटा तारा)
- आलोछाया (प्रकाश की छाया)
- एनीओ बसंतो (एक अन्य बसन्त)
- प्रभास
- कचहरी मानुष (मेरे करीब)
- दहन (द बर्निंग)
- काचर देवल (कांच की दीवार)
- पालबर पथ नी (कोई निकास नहीं)
- आमी रायकिशोरी
- रंगिन प्रीतिबी (रंगीन दुनिया)
- जलछोबी (वॉटरमार्क)
- एलीक शुख (स्वर्गीय आनंद)
- गभीर आशुख (एक गंभीर बीमारी)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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