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पीला रंग वह रंग है जो कि मानवीय आँख के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यमक, दोनों [[तरंग दैर्घ्य]] वालों को प्रभावित करता है। यह वह रंग है, जिसमें लाल एवं हरा रंग बाहुल्य में, एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस की आवृति लगभग 5.07 - 5.19 तथा तरंग दैर्घ्य 5780 Å से 5920 Å<ref>(Å=10<sup>-10</sup> m = 10<sup>-8</sup> cm = 10<sup>-1</sup>nm (nanometre)</ref> है।
*[[रंग|रंगो]] का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगो से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगो से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी [[आँख|आँखों]] के [[वर्णक्रम]] से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
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*पीला रंग वह रंग है जो कि मानवीय आँख के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यमक, दोनों [[तरंग दैर्घ्य]] वालों को प्रभावित करता है। यह वह रंग है, जिसमें लाल एवं हरा रंग बाहुल्य में, एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस की आवृति लगभग 5.07 - 5.19 तथा तरंग दैर्घ्य 5780 Å से 5920 Å<ref>Å=10<sup>-10</sup> m = 10<sup>-8</sup> cm = 10<sup>-1</sup>nm (nanometre</ref> है।
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==धार्मिक मान्यता==
==धार्मिक मान्यता==
भगवान [[कृष्ण]] को पीतांबरधारी भी कहते हैं, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्रों से सुशोभित रहते हैं। दरअसल, पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का परिचायक है। यह सादगी और निर्मलता का भी प्रतीक है। सृष्टि के पालनकर्ता भगवान [[विष्णु]] को भी पीला रंग प्रिय है। पीला रंग धारण करने से हमारी सोच सकारात्मक होती है। यह हमारे सृजन का भी प्रतीक है। यह हमें परोपकार करने की प्रेरणा देता है।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/dharm/?page=article&articleid=4735&category=10 |title=देवताओं के प्रिय रंग |accessmonthday= 28|accessyear= जुलाई|authorlink= |last=जिंदल |first=मीता |format= |publisher=जागरण याहू इंडिया|language=}}</ref>  
भगवान [[कृष्ण]] को पीतांबरधारी भी कहते हैं, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्रों से सुशोभित रहते हैं। दरअसल, पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का परिचायक है। यह सादगी और निर्मलता का भी प्रतीक है। सृष्टि के पालनकर्ता भगवान [[विष्णु]] को भी पीला रंग प्रिय है। पीला रंग धारण करने से हमारी सोच सकारात्मक होती है। यह हमारे सृजन का भी प्रतीक है। यह हमें परोपकार करने की प्रेरणा देता है।<ref>{{cite web |url=http://in.jagran.yahoo.com/dharm/?page=article&articleid=4735&category=10 |title=देवताओं के प्रिय रंग |accessmonthday= 28|accessyear= जुलाई|authorlink= |last=जिंदल |first=मीता |format= |publisher=जागरण याहू इंडिया|language=}}</ref>  
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Latest revision as of 12:52, 27 July 2011

  • रंगो का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। रंगो से हमें विभिन्न स्थितियों का पता चलता है। हम अपने चारों तरफ अनेक प्रकार के रंगो से प्रभावित होते हैं। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
  • पीला रंग वह रंग है जो कि मानवीय आँख के शंकुओं में लम्बे एवं मध्यमक, दोनों तरंग दैर्घ्य वालों को प्रभावित करता है। यह वह रंग है, जिसमें लाल एवं हरा रंग बाहुल्य में, एवं नीला वर्ण न्यून हो। इस की आवृति लगभग 5.07 - 5.19 तथा तरंग दैर्घ्य 5780 Å से 5920 Å[1] है।
रंग आवृति विस्तार तरंगदैर्ध्य विस्तार
पीला 5.07 - 5.19 5780 Å से 5920 Å

धार्मिक मान्यता

भगवान कृष्ण को पीतांबरधारी भी कहते हैं, क्योंकि वे पीले रंग के वस्त्रों से सुशोभित रहते हैं। दरअसल, पीला रंग शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का परिचायक है। यह सादगी और निर्मलता का भी प्रतीक है। सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु को भी पीला रंग प्रिय है। पीला रंग धारण करने से हमारी सोच सकारात्मक होती है। यह हमारे सृजन का भी प्रतीक है। यह हमें परोपकार करने की प्रेरणा देता है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Å=10-10 m = 10-8 cm = 10-1nm (nanometre
  2. जिंदल, मीता। देवताओं के प्रिय रंग जागरण याहू इंडिया। अभिगमन तिथि: 28, जुलाई।

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