Difference between revisions of "कायल"

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*कायल [[केरल]] के ज़िला तिन्नेवली में ताम्रपर्णी नदी के तट पर स्थित है।
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'''कायल''' [[केरल]] के [[ताम्रपर्णी नदी]] के [[तट]] पर स्थित एक नगर और बन्दरगाह था। प्राचीन काल में कयाल बन्दरगाह उस समय के सभ्य संसार में अपने समृद्ध व्यापार के लिए प्रख्यात था। कायल जो [[पाण्ड्य]] राज्य का मुख्य द्वार था, यहाँ पर [[यूरोप|यूरोपीय]] और [[अरब]] व्यापारियों का ताँता लगा रहता था। प्रसिद्ध इटालियन पर्यटक मार्कोपोलो 13वीं [[सदी]] के अंतिम चरण में यहाँ आया था।
*कायल जो पाण्ड्य राज्य का मुख्य द्वार था।
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==मार्कोपोलो का वर्णन==
*कायल मध्यकाल का प्रसिद्ध बन्दरगाह था।
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मार्कोपोलो यहाँ के निवासियों की समृद्धि देखकर चकित रह गया था। वह अपने यात्रा विवरण में लिखता है- "जिस राजा का यह नगर है, उसके पास विशाल कोषागार है और वह खुद कीमती जवाहरात धारण किये रहता है। वह बहुत ठाट-बाट से रहता है और अपने राज्य पर युक्तियुक्त ढंग से शासन करता है और विदेशियों और व्यापारियों के प्रति पक्षपात बरतता है, ताकि वे इस शहर में आकर प्रसन्न हों। इस शहर में सभी जहाज़ आते हैं पश्चिम से, हारमोस से, किश से, अदन से और सभी अरब देशों से उन पर घोड़े और बिक्री की अन्य चीज़ें लदी रहती हैं। व्यापारिक बन्दरगाह होने के कारण यहाँ आस-पास के क्षेत्रों में बड़ी भीड़ होती है और इस शहर में बड़े-बड़े व्यापार का आदान-प्रदान होता है।"
*यहाँ पर [[यूरोप|यूरोपीय]] और [[अरब]] व्यापारियों का ताँता लगा रहता था।  
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*प्रसिद्ध इटालियन पर्यटक मार्कोपोलो 13वीं [[सदी]] के अंतिम चरण में यहाँ आया था।  
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मार्कोपोलो के विवरण से इस स्थान के वैभव एवं इसके व्यापारिक महत्त्व का पता चलता है। कालांतर में यह बन्दरगाह नदी के साथ आयी [[मिट्टी]] से अट कर उजाड़ हो गया और यहाँ के व्यापारियों ने अपनी कोठियाँ कायल से तूतीकोरिन को स्थानांतरित कर लीं। अब कायल कुछ मछुआरों की बस्ती मात्र रह गया है।  
*वह यहाँ के निवासियों की समृद्धि देखकर चकित रह गया।
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*वह अपने यात्रा विवरण में लिखता है, 'जिस राजा का यह नगर है, उसके पास विशाल कोषागार है और वह खुद कीमती जवाहरात धारण किये रहता है।  
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वह बहुत ठाट-बाट से रहता है और अपने राज्य पर युक्तियुक्त ढंग से शासन करता है और विदेशियों और व्यापारियों के प्रति पक्षपात बरतता है ताकि वे इस शहर में आकर प्रसन्न हों।  
 
इस शहर में सभी जहाज़ आते हैं पश्चिम से, हारमोस से, किश से, अदन से और सभी अरब देशों से उन पर घोड़े और बिक्री की अन्य चीज़ें लदी रहती हैं।  
 
इसके कारण यहाँ आस-पास के क्षेत्रों में बड़ी भीड़ होती है और इस शहर में बड़े-बड़े व्यापार का आदान-प्रदान होता है।'
 
*मार्कोपोलो के इस विवरण से इस स्थान के वैभव एवं इसके व्यापारिक महत्त्व का पता चलता है।  
 
*कालांतर में यह बन्दरगाह नदी के साथ आयी मिट्टी से अट कर उजाड़ हो गया और यहाँ के व्यापारियों ने अपनी कोठियाँ कायल से तूतीकोरिन को स्थानांतरित कर लीं।  
 
*अब कायल कुछ मछुआरों की बस्ती मात्र रह गया है।  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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[[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
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Latest revision as of 07:57, 6 September 2012

kayal keral ke tamraparni nadi ke tat par sthit ek nagar aur bandaragah tha. prachin kal mean kayal bandaragah us samay ke sabhy sansar mean apane samriddh vyapar ke lie prakhyat tha. kayal jo pandy rajy ka mukhy dvar tha, yahaan par yooropiy aur arab vyapariyoan ka taanta laga rahata tha. prasiddh italiyan paryatak markopolo 13vian sadi ke aantim charan mean yahaan aya tha.

markopolo ka varnan

markopolo yahaan ke nivasiyoan ki samriddhi dekhakar chakit rah gaya tha. vah apane yatra vivaran mean likhata hai- "jis raja ka yah nagar hai, usake pas vishal koshagar hai aur vah khud kimati javaharat dharan kiye rahata hai. vah bahut that-bat se rahata hai aur apane rajy par yuktiyukt dhang se shasan karata hai aur videshiyoan aur vyapariyoan ke prati pakshapat baratata hai, taki ve is shahar mean akar prasann hoan. is shahar mean sabhi jahaz ate haian pashchim se, haramos se, kish se, adan se aur sabhi arab deshoan se un par gho de aur bikri ki any chizean ladi rahati haian. vyaparik bandaragah hone ke karan yahaan as-pas ke kshetroan mean b di bhi d hoti hai aur is shahar mean b de-b de vyapar ka adan-pradan hota hai."

markopolo ke vivaran se is sthan ke vaibhav evan isake vyaparik mahattv ka pata chalata hai. kalaantar mean yah bandaragah nadi ke sath ayi mitti se at kar uja d ho gaya aur yahaan ke vyapariyoan ne apani kothiyaan kayal se tootikorin ko sthanaantarit kar lian. ab kayal kuchh machhuaroan ki basti matr rah gaya hai.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh