ग्वालियर घराना: Difference between revisions
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'''ग्वालियर घराना''' [[हिंदुस्तानी संगीत]] का सबसे प्राचीन [[घराना]] है। हस्सू खाँ, हद्दू खाँ के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है। [[दिल्ली]] के राजा ने इनको अपने पास बुला लिया था। इनके दो पुत्र थे-कादिर बख्श और पीर बख्श। इनमें कादिर बख्श को [[ग्वालियर]] के महाराज दौलत राव जी ने अपने राज्य में नौकर रख लिया था। कादिर बख्श के तीन पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं- हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ। ये तीनों भाई मशहूर [[ख्याल]] गाने वाले और ग्वालियर राज्य के दरबारी उस्ताद थे। इसी परम्परा के शिष्य बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर थे। इनके शिष्य [[विष्णु दिगम्बर पलुस्कर|पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर]] थे। पलुस्कर जी के प्रसिद्ध शिष्य [[ओंकारनाथ ठाकुर]], विनायक राव पटवर्धन, नारायण राव व्यास तथा वीणा सहस्रबुद्धे हुए जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का खूब प्रचार किया। | '''ग्वालियर घराना''' [[हिंदुस्तानी संगीत]] का सबसे प्राचीन [[घराना]] है। हस्सू खाँ, हद्दू खाँ के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है। [[दिल्ली]] के राजा ने इनको अपने पास बुला लिया था। इनके दो पुत्र थे-कादिर बख्श और पीर बख्श। इनमें कादिर बख्श को [[ग्वालियर]] के महाराज दौलत राव जी ने अपने राज्य में नौकर रख लिया था। कादिर बख्श के तीन पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं- हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ। ये तीनों भाई मशहूर [[ख्याल]] गाने वाले और ग्वालियर राज्य के दरबारी उस्ताद थे। इसी परम्परा के शिष्य बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर थे। इनके शिष्य [[विष्णु दिगम्बर पलुस्कर|पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर]] थे। पलुस्कर जी के प्रसिद्ध शिष्य [[ओंकारनाथ ठाकुर]], विनायक राव पटवर्धन, नारायण राव व्यास तथा वीणा सहस्रबुद्धे हुए जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का खूब प्रचार किया। | ||
==संस्थापक== | ==संस्थापक== | ||
हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ | |||
==विशेषतायें== | |||
# खुली आवाज़ का गायन | |||
# [[ध्रुपद]] अंग का गायन | |||
# अलापों का निराला ढंग | |||
# सीधी सपाट तानों का प्रयोग | |||
# गमक का प्रयोग | |||
# बोल तानों का विशेष प्रयोग | |||
==प्रतिपादक== | ==प्रतिपादक== | ||
* बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर | * बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://gwlmadhya.blogspot.in/2008/10/blog-post_6273.html ग्वालियर घराना ने की सरोद की खोज] | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{हिन्दुस्तानी संगीत के घराने}} | |||
[[Category:संगीत पद्वतियाँ और घराने]] | [[Category:संगीत पद्वतियाँ और घराने]] | ||
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ग्वालियर घराना हिंदुस्तानी संगीत का सबसे प्राचीन घराना है। हस्सू खाँ, हद्दू खाँ के दादा उस्ताद नत्थन पीरबख्श को इस घराने का जन्मदाता कहा जाता है। दिल्ली के राजा ने इनको अपने पास बुला लिया था। इनके दो पुत्र थे-कादिर बख्श और पीर बख्श। इनमें कादिर बख्श को ग्वालियर के महाराज दौलत राव जी ने अपने राज्य में नौकर रख लिया था। कादिर बख्श के तीन पुत्र थे जिनके नाम इस प्रकार हैं- हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ। ये तीनों भाई मशहूर ख्याल गाने वाले और ग्वालियर राज्य के दरबारी उस्ताद थे। इसी परम्परा के शिष्य बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर थे। इनके शिष्य पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर थे। पलुस्कर जी के प्रसिद्ध शिष्य ओंकारनाथ ठाकुर, विनायक राव पटवर्धन, नारायण राव व्यास तथा वीणा सहस्रबुद्धे हुए जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत का खूब प्रचार किया।
संस्थापक
हद्दू खाँ, हस्सू खाँ और नत्थू खाँ
विशेषतायें
- खुली आवाज़ का गायन
- ध्रुपद अंग का गायन
- अलापों का निराला ढंग
- सीधी सपाट तानों का प्रयोग
- गमक का प्रयोग
- बोल तानों का विशेष प्रयोग
प्रतिपादक
- बालकृष्ण बुआ इचलकरजीकर
- विष्णु दिगम्बर पलुस्कर
- ओंकारनाथ ठाकुर
- विनायक राव पटवर्धन
- नारायण राव व्यास
- वीणा सहस्रबुद्धे
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख