गंगा-यमुना दोआब: Difference between revisions
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* भौगर्भिक दृष्टि से यह समूचा इलाका भारत-गंगा जलोढ़ द्रोणिका का एक हिस्सा है। छोटे खंडों के रूप में पाए जाने वाले वनों में मुख्यत: [[बबूल]] और [[सागौन]] के वृक्ष हैं। | * भौगर्भिक दृष्टि से यह समूचा इलाका भारत-गंगा जलोढ़ द्रोणिका का एक हिस्सा है। छोटे खंडों के रूप में पाए जाने वाले वनों में मुख्यत: [[बबूल]] और [[सागौन]] के वृक्ष हैं। | ||
* क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था [[कृषि]] प्रधान है, सघन कृषि और फ़सल क्रमावर्तन पर आधारित फ़सलों में अनाज, दलहन (फली), [[गन्ना]] , [[फल]] और | * क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था [[कृषि]] प्रधान है, सघन कृषि और फ़सल क्रमावर्तन पर आधारित फ़सलों में अनाज, दलहन (फली), [[गन्ना]] , [[फल]] और [[सब्जियाँ]] शामिल हैं। | ||
* पशुपालन और डेयरी उद्योग भी महत्त्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र का बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण हुआ है और यहां [[चीनी]], छापेदार सूती वस्त्र, पंखे, गाड़ियों के रेडियेटर, बिजली के तार, वस्त्र उद्योग की मशीनें, वस्त्र, पीतल और [[तांबा|तांबे]] के बर्तन तथा रेलवे उपकरणों का निर्माण होता है। | * पशुपालन और डेयरी उद्योग भी महत्त्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र का बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण हुआ है और यहां [[चीनी उद्योग|चीनी]], छापेदार सूती वस्त्र, पंखे, गाड़ियों के रेडियेटर, बिजली के तार, वस्त्र उद्योग की मशीनें, [[वस्त्र]], पीतल और [[तांबा|तांबे]] के बर्तन तथा [[रेलवे उपकरण|रेलवे उपकरणों]] का निर्माण होता है। | ||
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गंगा-यमुना दोआब पूर्वोत्तर भारत में पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश राज्य के गंगा के मैदान का एक हिस्सा है जिसका क्षेत्रफल लगभग 60,500 वर्ग किमी है।
- यह गंगा के ऊपरी मैदान के पश्चिम में गंगा और यमुना नदियों के बीच स्थित है।
- यह दोआब लगभग 800 किमी लंबा और 100 किमी चौडा है तथा उत्तर में उच्च हिमालय और दक्षिण में दक्कन के पठार के बीच एक चौडी द्रोणिका के रूप में अवस्थित है।
- इसका निर्माण हिमालय से दक्षिण दिशा की ओर बहने वाली नदियों के अवसाद के जमाव से हुआ है।
- दोआब को तीन खंडों में बांटा जा सकता है, ऊपरी, मध्य और निम्न।
- ऊपरी दोआब उत्तर से हरिद्वार से दक्षिण में अलीगढ़ तक फैला हुआ है। ऊपरी दोआब की ढाल समान है और अनेक धाराएं इसे आड़ी-तिरछी काटती हुई गुज़रती हैं।
- प्राचीन बाढ़ के मैदानों में द्वितीयक अनुप्रस्थ ढलानों का विकास मध्य दोआब से हुआ। यह भू-आकृति निम्न दोआब तक आते-आते समतल हो जाती है, जहाँ सिंध, बेतवा और केन नदियाँ एक-दूसरे के समानांतर बहती हैं।
- भौगर्भिक दृष्टि से यह समूचा इलाका भारत-गंगा जलोढ़ द्रोणिका का एक हिस्सा है। छोटे खंडों के रूप में पाए जाने वाले वनों में मुख्यत: बबूल और सागौन के वृक्ष हैं।
- क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है, सघन कृषि और फ़सल क्रमावर्तन पर आधारित फ़सलों में अनाज, दलहन (फली), गन्ना , फल और सब्जियाँ शामिल हैं।
- पशुपालन और डेयरी उद्योग भी महत्त्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र का बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण हुआ है और यहां चीनी, छापेदार सूती वस्त्र, पंखे, गाड़ियों के रेडियेटर, बिजली के तार, वस्त्र उद्योग की मशीनें, वस्त्र, पीतल और तांबे के बर्तन तथा रेलवे उपकरणों का निर्माण होता है।
- क्षेत्रीय मुख्यालय सड़क तथा रेलमार्ग से जुड़े हैं और कानपुर व इलाहाबाद में हवाई अड्डे स्थित हैं।
- मेरठ, अलीगढ़, सहारनपुर और गाजियाबाद अन्य महत्त्वपूर्ण नगर हैं।
- यह दोआब भारत के सबसे उपजाऊ और सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है।
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