Difference between revisions of "Template:विशेष आलेख"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
Line 8: Line 8:
 
<div style="padding:3px">[[चित्र:Braj-Kolaz.jpg|right|130px|ब्रज के विभिन्न दृश्य|border|link=ब्रज]]</div>
 
<div style="padding:3px">[[चित्र:Braj-Kolaz.jpg|right|130px|ब्रज के विभिन्न दृश्य|border|link=ब्रज]]</div>
 
<poem>
 
<poem>
     '''[[ब्रज]]''' शब्द का प्रयोग [[वेद|वेदों]], [[रामायण]] और [[महाभारत]] के काल में गोष्ठ- 'गो-स्थान’ जैसे लघु स्थल के लिये होता था, वहीं पौराणिक काल में ‘गोप-बस्ती’ जैसे कुछ बड़े स्थानों के लिये किया जाने लगा। भागवत में ‘ब्रज’ क्षेत्र विशेष को इंगित करते हुए ही प्रयुक्त हुआ है। वहाँ इसे एक छोटे ग्राम की संज्ञा दी गई है। उसमें ‘पुर’ से छोटा ‘ग्राम’ और उससे भी छोटी बस्ती को ‘ब्रज’ कहा गया है। 16वीं शताब्दी में ‘ब्रज’ प्रदेश के अर्थ में होकर ‘[[ब्रजमंडल]]’ हो गया और तब उसका आकार '''[[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा|चौरासी कोस]]''' का माना जाने लगा था। आज जिसे हम ब्रज क्षेत्र मानते हैं उसकी दिशाऐं, उत्तर में [[पलवल]], [[हरियाणा]], दक्षिण में [[ग्वालियर]], [[मध्य प्रदेश]], पश्चिम में [[भरतपुर]], [[राजस्थान]] और पूर्व में [[एटा]] [[उत्तर प्रदेश]] को छूती हैं।</poem>
+
     '''[[ब्रज]]''' शब्द का प्रयोग [[वेद|वेदों]], [[रामायण]] और [[महाभारत]] के काल में गोष्ठ- 'गो-स्थान’ जैसे लघु स्थल के लिये होता था, वहीं पौराणिक काल में ‘गोप-बस्ती’ जैसे कुछ बड़े स्थानों के लिये किया जाने लगा। भागवत में ‘ब्रज’ क्षेत्र विशेष को इंगित करते हुए ही प्रयुक्त हुआ है। वहाँ इसे एक छोटे ग्राम की संज्ञा दी गई है। उसमें ‘पुर’ से छोटा ‘ग्राम’ और उससे भी छोटी बस्ती को ‘ब्रज’ कहा गया है। 16वीं शताब्दी में ‘ब्रज’ प्रदेश के अर्थ में होकर ‘[[ब्रजमंडल]]’ हो गया और तब उसका आकार '''[[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा|चौरासी कोस]]''' का माना जाने लगा था। आज जिसे हम ब्रज क्षेत्र मानते हैं उसकी दिशाऐं, उत्तर में [[पलवल]], [[हरियाणा]], दक्षिण में [[ग्वालियर]], [[मध्य प्रदेश]], पश्चिम में [[भरतपुर]], [[राजस्थान]] और पूर्व में [[एटा]] [[उत्तर प्रदेश]] को छूती हैं। [[ब्रज|... और पढ़ें]]</poem>
 
----
 
----
 
<center>
 
<center>

Revision as of 14:50, 2 April 2013

ek alekh

     braj shabd ka prayog vedoan, ramayan aur mahabharat ke kal mean goshth- 'go-sthan’ jaise laghu sthal ke liye hota tha, vahian pauranik kal mean ‘gop-basti’ jaise kuchh b de sthanoan ke liye kiya jane laga. bhagavat mean ‘braj’ kshetr vishesh ko iangit karate hue hi prayukt hua hai. vahaan ise ek chhote gram ki sanjna di gee hai. usamean ‘pur’ se chhota ‘gram’ aur usase bhi chhoti basti ko ‘braj’ kaha gaya hai. 16vian shatabdi mean ‘braj’ pradesh ke arth mean hokar ‘brajamandal’ ho gaya aur tab usaka akar chaurasi kos ka mana jane laga tha. aj jise ham braj kshetr manate haian usaki dishaaian, uttar mean palaval, hariyana, dakshin mean gvaliyar, madhy pradesh, pashchim mean bharatapur, rajasthan aur poorv mean eta uttar pradesh ko chhooti haian. ... aur padhean


pichhale vishesh alekh holi · kumbh mela · maisoor · dilli · ashok