शासक होने की इच्छा -राजेश जोशी: Difference between revisions

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तो पेड़ वहाँ नहीं था
तो पेड़ वहाँ नहीं था


फिर एक दिन परिंदों को एक दरवाजा दिखा
फिर एक दिन परिंदों को एक दरवाज़ा दिखा


परिंदे उस दरवाजे से आने-जाने लगे
परिंदे उस दरवाज़े से आने-जाने लगे


फिर एक दिन परिंदों को एक मेज दिखी
फिर एक दिन परिंदों को एक मेज दिखी

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शासक होने की इच्छा -राजेश जोशी
कवि राजेश जोशी
जन्म 18 जुलाई, 1946
जन्म स्थान नरसिंहगढ़, मध्य प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'समरगाथा- एक लम्बी कविता', एक दिन बोलेंगे पेड़, मिट्टी का चेहरा, दो पंक्तियों के बीच, पतलून पहना आदमी धरती का कल्पतरु
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
राजेश जोशी की रचनाएँ

वहाँ एक पेड़ था

उस पर कुछ परिंदे रहते थे

पेड़ उनकी आदत बन चुका था


फिर एक दिन जब परिंदे आसमान नापकर लौटे

तो पेड़ वहाँ नहीं था

फिर एक दिन परिंदों को एक दरवाज़ा दिखा

परिंदे उस दरवाज़े से आने-जाने लगे

फिर एक दिन परिंदों को एक मेज दिखी

परिंदे उस मेज पर बैठकर सुस्ताने लगे

फिर परिंदों को एक दिन एक कुर्सी दिखी

परिंदे कुर्सी पर बैठे

तो उन्हें तरह-तरह के दिवास्वप्न दिखने लगे


और एक दिन उनमें

शासक बनने की इच्छा जगने लगी !

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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