अदन की खाड़ी: Difference between revisions
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'''अदन की खाड़ी''' [[अरब सागर]] में यमन, जो कि अरब प्रायद्वीप का दक्षिणी तट है, और सोमालिया के मध्य स्थित है। पश्चिम में अरब सागर को 'अदन की खाड़ी' 'बाब एल–मंदेब' जलडमरूमध्य के माध्यम से [[लाल सागर]] से जोड़ती है। हाल के कुछ दिनों में इस खाड़ी में समुद्री लुटेरों की गतिविधियों में काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है, जिस कारण इसे 'जलदस्यु मार्ग' भी कहा जाने लगा है। | [[चित्र:Gulf-of-Aden.jpg|thumb|250px|'अदन की खाड़ी' की स्थिति]] | ||
'''अदन की खाड़ी''' [[अरब सागर]] में यमन, जो कि अरब प्रायद्वीप का दक्षिणी तट है, और [[सोमालिया]] के मध्य स्थित है। पश्चिम में अरब सागर को 'अदन की खाड़ी' 'बाब एल–मंदेब' जलडमरूमध्य के माध्यम से [[लाल सागर]] से जोड़ती है। हाल के कुछ दिनों में इस खाड़ी में समुद्री लुटेरों की गतिविधियों में काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है, जिस कारण इसे 'जलदस्यु मार्ग' भी कहा जाने लगा है। | |||
*'लाल सागर' और 'अदन की खाड़ी' को केवल 20 किलोमीटर चौड़ा 'बाब एल–मंदेब' जलडमरूमध्य आपस में जोड़ता है। | *'लाल सागर' और 'अदन की खाड़ी' को केवल 20 किलोमीटर चौड़ा 'बाब एल–मंदेब' जलडमरूमध्य आपस में जोड़ता है। | ||
*यह जलमार्ग उस स्वेज नहर जलयान मार्ग का एक | *यह जलमार्ग उस स्वेज नहर जलयान मार्ग का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, जो [[भूमध्य सागर]] को [[अरब सागर]] के द्वारा [[हिन्द महासागर]] से जोड़ता है | ||
*'अदन की खाड़ी' को प्रति वर्ष लगभग 21,000 जलयान पार करते हैं। | *'अदन की खाड़ी' को प्रति वर्ष लगभग 21,000 जलयान पार करते हैं। | ||
*खाड़ी में समुद्री डाकुओं द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही आपराधिक गतिविधियों के कारण इसे 'जलदस्यु मार्ग' भी कहते हैं। | *खाड़ी में समुद्री डाकुओं द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही आपराधिक गतिविधियों के कारण इसे 'जलदस्यु मार्ग' भी कहते हैं। | ||
*'अदन की खाड़ी' के तटीय कगार रिफ़्ट भ्रंशों से बने हैं, जो कि दक्षिण–पश्चिम की ओर अभिसरित होकर पूर्वी अथवा ग्रेट रिफ़्ट वैली के सीमांत कगारों के रूप में [[अफ़्रीका]] तक जाते हैं और पूर्वी अफ़्रीकी रिफ़्ट प्रणाली का एक हिस्सा है। | *'अदन की खाड़ी' के तटीय कगार रिफ़्ट भ्रंशों से बने हैं, जो कि दक्षिण–पश्चिम की ओर अभिसरित होकर पूर्वी अथवा ग्रेट रिफ़्ट वैली के सीमांत कगारों के रूप में [[अफ़्रीका]] तक जाते हैं और पूर्वी अफ़्रीकी रिफ़्ट प्रणाली का एक हिस्सा है। | ||
*अरब बेसिन '[[ओमान की खाड़ी]]' के बेसिन से, एक संकरे, [[भूकम्प]] सक्रिय जलमग्न मर्रे कटक द्वारा विभाजित है, जो कि पूर्वोत्तर से दक्षिण–पश्चिम में विस्तृत होकर कार्ल्सबर्ग से मिलता है। | *अरब बेसिन '[[ओमान की खाड़ी]]' के बेसिन से, एक संकरे, [[भूकम्प]] सक्रिय जलमग्न मर्रे कटक द्वारा विभाजित है, जो कि पूर्वोत्तर से दक्षिण–पश्चिम में विस्तृत होकर कार्ल्सबर्ग से मिलता है। | ||
*खाड़ी में पहले से ही अमेरिका, रूस और अन्य यूरोपीय देशों के नौसैनिक पोत समुद्री लुटेरों के कारण गश्त लगाते रहते हैं। इसके बाद भी यहाँ डकैती और अपहरण की घटनाएँ हो रही हैं। | *खाड़ी में पहले से ही अमेरिका, रूस और अन्य यूरोपीय देशों के नौसैनिक पोत समुद्री लुटेरों के कारण गश्त लगाते रहते हैं। इसके बाद भी यहाँ डकैती और अपहरण की घटनाएँ हो रही हैं। | ||
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Latest revision as of 13:01, 3 February 2015
thumb|250px|'अदन की खाड़ी' की स्थिति अदन की खाड़ी अरब सागर में यमन, जो कि अरब प्रायद्वीप का दक्षिणी तट है, और सोमालिया के मध्य स्थित है। पश्चिम में अरब सागर को 'अदन की खाड़ी' 'बाब एल–मंदेब' जलडमरूमध्य के माध्यम से लाल सागर से जोड़ती है। हाल के कुछ दिनों में इस खाड़ी में समुद्री लुटेरों की गतिविधियों में काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है, जिस कारण इसे 'जलदस्यु मार्ग' भी कहा जाने लगा है।
- 'लाल सागर' और 'अदन की खाड़ी' को केवल 20 किलोमीटर चौड़ा 'बाब एल–मंदेब' जलडमरूमध्य आपस में जोड़ता है।
- यह जलमार्ग उस स्वेज नहर जलयान मार्ग का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, जो भूमध्य सागर को अरब सागर के द्वारा हिन्द महासागर से जोड़ता है
- 'अदन की खाड़ी' को प्रति वर्ष लगभग 21,000 जलयान पार करते हैं।
- खाड़ी में समुद्री डाकुओं द्वारा बड़े पैमाने पर की जा रही आपराधिक गतिविधियों के कारण इसे 'जलदस्यु मार्ग' भी कहते हैं।
- 'अदन की खाड़ी' के तटीय कगार रिफ़्ट भ्रंशों से बने हैं, जो कि दक्षिण–पश्चिम की ओर अभिसरित होकर पूर्वी अथवा ग्रेट रिफ़्ट वैली के सीमांत कगारों के रूप में अफ़्रीका तक जाते हैं और पूर्वी अफ़्रीकी रिफ़्ट प्रणाली का एक हिस्सा है।
- अरब बेसिन 'ओमान की खाड़ी' के बेसिन से, एक संकरे, भूकम्प सक्रिय जलमग्न मर्रे कटक द्वारा विभाजित है, जो कि पूर्वोत्तर से दक्षिण–पश्चिम में विस्तृत होकर कार्ल्सबर्ग से मिलता है।
- खाड़ी में पहले से ही अमेरिका, रूस और अन्य यूरोपीय देशों के नौसैनिक पोत समुद्री लुटेरों के कारण गश्त लगाते रहते हैं। इसके बाद भी यहाँ डकैती और अपहरण की घटनाएँ हो रही हैं।
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