एडम स्मिथ: Difference between revisions
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पिता की मृत्यु के | पिता की मृत्यु के पश्चात् स्मिथ को उसकी माँ ने 'ग्लासगो विश्वविद्यालय' में पढ़ने भेज दिया। उस समय स्मिथ की अवस्था केवल चौदह वर्ष थी। प्रखर बुद्धि होने के कारण उसने स्कूल स्तर की पढ़ाई अच्छे अंकों के साथ पूरी की, जिससे उसको छात्रवृत्ति मिलने लगी। इससे आगे के अध्ययन के लिए 'आ॓क्सफोर्ड विश्वविद्यालय' जाने का रास्ता खुल गया। वहां उसने प्राचीन यूरोपीय भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। उस समय तक यह तय नहीं हो पाया था कि भाषा विज्ञान का वह विद्यार्थी आगे चलकर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में न केवल नाम कमाएगा, बल्कि अपनी मौलिक स्थापनाओं के दम पर वैश्विक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में युगपरिवर्तनकारी योगदान भी देगा। | ||
==ख्याति== | ==ख्याति== | ||
सन 1738 में स्मिथ ने सुप्रसिद्ध विद्वान-दार्शनिक फ्रांसिस हचीसन के नेतृत्व में नैतिक दर्शनशास्त्र में स्नातक की परीक्षा पास की। वह फ्रांसिस की मेधा से अत्यंत प्रभावित था तथा उसको एवं उसके अध्यापन में बिताए गए दिनों को, अविस्मरणीय मानता था। अत्यंत मेधावी होने के कारण स्मिथ की प्रतिभा कॉलेज स्तर से ही पहचानी जाने लगी थी। इसलिए अध्ययन पूरा करने के | सन 1738 में स्मिथ ने सुप्रसिद्ध विद्वान-दार्शनिक फ्रांसिस हचीसन के नेतृत्व में नैतिक दर्शनशास्त्र में स्नातक की परीक्षा पास की। वह फ्रांसिस की मेधा से अत्यंत प्रभावित था तथा उसको एवं उसके अध्यापन में बिताए गए दिनों को, अविस्मरणीय मानता था। अत्यंत मेधावी होने के कारण स्मिथ की प्रतिभा कॉलेज स्तर से ही पहचानी जाने लगी थी। इसलिए अध्ययन पूरा करने के पश्चात् युवा स्मिथ जब वापस अपने पैत्रिक नगर स्काटलेंड पहुंचा, तब तक वह अनेक महत्त्वपूर्ण लेक्चर दे चुका था, जिससे उसकी ख्याति फैलने लगी थी।<ref name="aa"/> | ||
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अपने पैत्रिक [[ग्राम]] में रहते हुए स्मिथ ने अपनी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक 'द वेल्थ ऑफ़ नेशन्स' पूरी की, जो राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र पर अनूठी पुस्तक है। 1776 में पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही एडम स्मिथ की गणना अपने समय के मूर्धन्य विद्वानों में होने लगी। इस पुस्तक पर दर्शनशास्त्र का प्रभाव है। जो लोग स्मिथ के जीवन से परिचित नहीं हैं, उन्हें यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि स्मिथ ने इस पुस्तक की रचना एक [[दर्शनशास्त्र]] का प्राध्यापक होने के नाते अपने अध्यापन कार्य के संबंध में की थी। इसके अतिरिक्त एडम स्मिथ अपनी रचना 'द थ्योरी ऑफ़ मोरल सेंटीमेंट्स' (1759) के लिए भी जाने जाते हैं। | अपने पैत्रिक [[ग्राम]] में रहते हुए स्मिथ ने अपनी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक 'द वेल्थ ऑफ़ नेशन्स' पूरी की, जो राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र पर अनूठी पुस्तक है। 1776 में पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही एडम स्मिथ की गणना अपने समय के मूर्धन्य विद्वानों में होने लगी। इस पुस्तक पर दर्शनशास्त्र का प्रभाव है। जो लोग स्मिथ के जीवन से परिचित नहीं हैं, उन्हें यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि स्मिथ ने इस पुस्तक की रचना एक [[दर्शनशास्त्र]] का प्राध्यापक होने के नाते अपने अध्यापन कार्य के संबंध में की थी। इसके अतिरिक्त एडम स्मिथ अपनी रचना 'द थ्योरी ऑफ़ मोरल सेंटीमेंट्स' (1759) के लिए भी जाने जाते हैं। |
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एडम स्मिथ
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पूरा नाम | एडम स्मिथ |
जन्म | 5 जून या 16 जून, 1723 |
जन्म भूमि | स्कॉटलैण्ड, ग्रेट ब्रिटेन |
मृत्यु | 17 जुलाई, 1790 |
मृत्यु स्थान | ग्रेट ब्रिटेन |
मुख्य रचनाएँ | 'द थ्योरी ऑफ़ मोरल सेंटीमेंट्स', 'द वेल्थ ऑफ़ नेशन्स' आदि। |
विद्यालय | 'ग्लासगो विश्वविद्यालय', 'आ॓क्सफोर्ड विश्वविद्यालय' |
प्रसिद्धि | दार्शनिक तथा अर्थशास्त्री |
नागरिकता | ब्रिटिश |
अन्य जानकारी | अपने पैत्रिक ग्राम में रहते हुए ही स्मिथ ने अपनी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक 'द वेल्थ ऑफ़ नेशन्स' पूरी की, जो राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र पर अनूठी पुस्तक है। |
एडम स्मिथ (अंग्रेज़ी: Adam Smith ; जन्म- 5 जून या 16 जून, 1723, स्कॉटलैण्ड, ग्रेट ब्रिटेन; मृत्यु- 17 जुलाई, 1790) एक प्रसिद्ध स्कॉटिश नीतिवेत्ता, दार्शनिक और राजनैतिक अर्थशास्त्री थे। उन्हें "अर्थशास्त्र का पितामह" भी कहा जाता है।
जन्म
एडम स्मिथ के जन्म की तिथि सुनिश्चित नहीं है। कुछ विद्वान् उसका जन्म 5 जून, 1723 को तथा कुछ उसी वर्ष की 16 जून को मानते हैं। उसका जन्म स्काटलैंड के एक गांव किर्काल्दी में हुआ था। एडम के पिता कस्टम विभाग में इंचार्ज रह चुके थे, किंतु उनका निधन स्मिथ के जन्म से लगभग छह महीने पहले ही हो चुका था। एडम अपने माता-पिता की संभवतः अकेली संतान था।[1]
शिक्षा
पिता की मृत्यु के पश्चात् स्मिथ को उसकी माँ ने 'ग्लासगो विश्वविद्यालय' में पढ़ने भेज दिया। उस समय स्मिथ की अवस्था केवल चौदह वर्ष थी। प्रखर बुद्धि होने के कारण उसने स्कूल स्तर की पढ़ाई अच्छे अंकों के साथ पूरी की, जिससे उसको छात्रवृत्ति मिलने लगी। इससे आगे के अध्ययन के लिए 'आ॓क्सफोर्ड विश्वविद्यालय' जाने का रास्ता खुल गया। वहां उसने प्राचीन यूरोपीय भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। उस समय तक यह तय नहीं हो पाया था कि भाषा विज्ञान का वह विद्यार्थी आगे चलकर अर्थशास्त्र के क्षेत्र में न केवल नाम कमाएगा, बल्कि अपनी मौलिक स्थापनाओं के दम पर वैश्विक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में युगपरिवर्तनकारी योगदान भी देगा।
ख्याति
सन 1738 में स्मिथ ने सुप्रसिद्ध विद्वान-दार्शनिक फ्रांसिस हचीसन के नेतृत्व में नैतिक दर्शनशास्त्र में स्नातक की परीक्षा पास की। वह फ्रांसिस की मेधा से अत्यंत प्रभावित था तथा उसको एवं उसके अध्यापन में बिताए गए दिनों को, अविस्मरणीय मानता था। अत्यंत मेधावी होने के कारण स्मिथ की प्रतिभा कॉलेज स्तर से ही पहचानी जाने लगी थी। इसलिए अध्ययन पूरा करने के पश्चात् युवा स्मिथ जब वापस अपने पैत्रिक नगर स्काटलेंड पहुंचा, तब तक वह अनेक महत्त्वपूर्ण लेक्चर दे चुका था, जिससे उसकी ख्याति फैलने लगी थी।[1]
रचनाएँ
अपने पैत्रिक ग्राम में रहते हुए स्मिथ ने अपनी सर्वाधिक चर्चित पुस्तक 'द वेल्थ ऑफ़ नेशन्स' पूरी की, जो राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र पर अनूठी पुस्तक है। 1776 में पुस्तक के प्रकाशन के साथ ही एडम स्मिथ की गणना अपने समय के मूर्धन्य विद्वानों में होने लगी। इस पुस्तक पर दर्शनशास्त्र का प्रभाव है। जो लोग स्मिथ के जीवन से परिचित नहीं हैं, उन्हें यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि स्मिथ ने इस पुस्तक की रचना एक दर्शनशास्त्र का प्राध्यापक होने के नाते अपने अध्यापन कार्य के संबंध में की थी। इसके अतिरिक्त एडम स्मिथ अपनी रचना 'द थ्योरी ऑफ़ मोरल सेंटीमेंट्स' (1759) के लिए भी जाने जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 एडम स्मिथ: आधुनिक अर्थशास्त्र का निर्माता (हिन्दी) आखरमाला। अभिगमन तिथि: 16 मार्च, 2015।
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