गैलेना: Difference between revisions
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[[संयुक्त राष्ट्र अमेरिका]], मेक्सिको, [[ऑस्ट्रेलिया]] तथा कनाडा इस खनिज के मुख्य उत्पादक हैं। [[भारत]] में यह खनिज [[राजस्थान]] में [[उदयपुर]] से लगभग 30 मील दूर जावर की खदानों से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]] तथा [[मद्रास]] में भी इस खनिज के निक्षेप हैं।<ref>{{cite web |url=http:// | [[संयुक्त राष्ट्र अमेरिका]], मेक्सिको, [[ऑस्ट्रेलिया]] तथा कनाडा इस खनिज के मुख्य उत्पादक हैं। [[भारत]] में यह खनिज [[राजस्थान]] में [[उदयपुर]] से लगभग 30 मील दूर जावर की खदानों से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त [[बिहार]], [[मध्य प्रदेश]] तथा [[मद्रास]] में भी इस खनिज के निक्षेप हैं।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%97%E0%A5%88%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A4%BE |title=गैलेना |accessmonthday=16 जुलाई |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिंदी }}</ref> | ||
Latest revision as of 12:22, 25 October 2017
गैलेना (अंग्रेज़ी: Galena) सीसा (लैड) का मुख्य खनिज है। प्रकृति में सीसा धातु रूप में नहीं पाया जाता। यह धातु गैलेना आदि सीसा के खनिजों से प्राप्त की जाती है। इसकी प्राप्तिविधि बड़ी सरल है। इसी कारण प्राचीन काल से ही मनुष्य इसका उपयोग करता आ रहा है। पानी ले जाने के लिये प्राचीन काल में भी सीसा के नल उपयोग में लाए जाते थे। टिन (वंग) और ऐंटिमनी धातु के साथ सीसा टाइप ढालने का सर्वोत्तम पदार्थ सिद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त यह विद्युच्छंचायक बैटरियों, केबल (cable), युद्धसामग्री अर्थात् गोला बारूद आदि, वार्निश, दवाइयाँ, छपाई, रँगाई, और रबर उद्योग में भी काम आता है।
गुण
यह सीसा का सल्फाइड[1] है, पर इसमें अल्प मात्रा में चाँदी भी विद्यमान रहती है। इसके मणिभ घन निकाय (cubic system) के होते हैं। यह अधिकतर घनाकार रूप में पाया जाता है। इसका रंग काला पर धात्वीय चमक लिए होता है। यह खनिज तीन दिशाओं में सरलता से तोड़ा जा सकता है। इसकी कठोरता 2.5 होती है तथा आपेक्षिक घनत्व 7.5।
प्राप्ति
प्राप्ति यह खनिज तलछटी शिलाओं (sedimentary rocks) में धारियों (veins) के रूप में मिलता है। चूने की शिलाओं तथा डोलोमाइट शिलाओं में यह पुन:स्थापन क्रिया के फलस्वरूप स्थापित हो जाता है।
मुख्य उत्पादक
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया तथा कनाडा इस खनिज के मुख्य उत्पादक हैं। भारत में यह खनिज राजस्थान में उदयपुर से लगभग 30 मील दूर जावर की खदानों से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त बिहार, मध्य प्रदेश तथा मद्रास में भी इस खनिज के निक्षेप हैं।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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