अनामिका (कविता संग्रह): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=अनामिका|लेख का नाम=अनामिका (बहुविकल्पी)}}
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Anamika.jpg
|चित्र=Anamika.jpg
Line 38: Line 39:
'राम की शक्ति पूजा' के भाव तथा [[शैली]] में महाकाव्यात्मक औदात्य पाया जाता है। [[राम]] के अव्यर्थ वारों की मार से विकल वानरी सेना को देखकर राम की व्याकुल मनोस्थिति का इसमें बहुत ही मनोवैज्ञानिक तथा प्रभावपूर्ण चित्रण किया गया है। यह एक अलकृति प्रधान रचना है, अलकृति का यह संभार [[वीर रस]] के पोषक के रूप में आया है। कवि की नवीन कल्पना तथा मनोवैज्ञानिकता के पुट ने इसे पूर्णतया आधुनिकों के अनुकूल बना दिया है।
'राम की शक्ति पूजा' के भाव तथा [[शैली]] में महाकाव्यात्मक औदात्य पाया जाता है। [[राम]] के अव्यर्थ वारों की मार से विकल वानरी सेना को देखकर राम की व्याकुल मनोस्थिति का इसमें बहुत ही मनोवैज्ञानिक तथा प्रभावपूर्ण चित्रण किया गया है। यह एक अलकृति प्रधान रचना है, अलकृति का यह संभार [[वीर रस]] के पोषक के रूप में आया है। कवि की नवीन कल्पना तथा मनोवैज्ञानिकता के पुट ने इसे पूर्णतया आधुनिकों के अनुकूल बना दिया है।


‘सरोज स्मृति’ [[हिंदी]] का सर्वश्रेष्ठ शोकगीत है। इस अतिशय वयैक्तिक वस्तु की अभिव्यंजना में कवि की आत्यंतिक निर्लिप्तता उसकी श्रेष्ठता का परिचायक है। अनुभूति की गहरी व्यंजना की दृष्टि से भी यह बेजोड़ रचना है। बीच-बीच में आई हुई व्यंगोक्तियां व्यथा के भार को और भी बढ़ा देती हैं। दान, वनबेला आदि में कवि तथाकथित दानियों, नेताओं आदि का पर्दाफाश कर उनकी वास्तविकता को उद्घाटित कर देता है।  
‘सरोज स्मृति’ [[हिंदी]] का सर्वश्रेष्ठ शोकगीत है। इस अतिशय वयैक्तिक वस्तु की अभिव्यंजना में कवि की आत्यंतिक निर्लिप्तता उसकी श्रेष्ठता का परिचायक है। अनुभूति की गहरी व्यंजना की दृष्टि से भी यह बेजोड़ रचना है। बीच-बीच में आई हुई व्यंगोक्तियां व्यथा के भार को और भी बढ़ा देती हैं। दान, वनबेला आदि में कवि तथाकथित दानियों, नेताओं आदि का पर्दाफाश कर उनकी वास्तविकता को उद्घाटित कर देता है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 09:16, 29 June 2018

चित्र:Disamb2.jpg अनामिका एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अनामिका (बहुविकल्पी)
अनामिका (कविता संग्रह)
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
मूल शीर्षक 'अनामिका'
प्रकाशक राजकमल प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 2004
ISBN 81-7178-850-5
देश भारत
पृष्ठ: 139
भाषा हिन्दी
पुस्तक क्रमांक 3184

अनामिका सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का तीसरा तथा प्रौढ़तम काव्य संग्रह है, जिसकी अधिकांश कविताएं सन 1935 से 1938 के बीच लिखी गई हैं। इस नाम का एक और काव्य संग्रह सन 1922 ईस्वी में प्रकाशित हो चुका था, पर इस ‘अनामिका’ में पूर्व प्रकाशित अनामिका का कोई अवशिष्ट चिन्ह नहीं है। उस अनामिका के सभी अच्छे गीत ‘परिमल’ मैं समाविष्ट कर लिए गए। इस अनामिका का प्रकाशन सन 1938 में हुआ।

सन 1935 से 1938 के बीच लिखी गई रचनाओं में, जो अनामिका में संग्रहित हैं, प्रयोग की विविधता मिलती है। पर छंदों के विस्तृत प्रयोग, भाषा की क्लिष्टता, व्यक्तिगत घटनाओं के सन्निवेश, दार्शनिक तथ्यों और अपेक्षाकृत झुकाव, संस्कृत गर्भ पदावली तथा रूप के सफल निर्वाह की चेष्टाओं से स्पष्ट हो जाता है कि कवि पांडित्य और कलात्मक प्रौढ़ता के समस्त उपादानों को लेकर आगे बढ़ा है। इस समय इस तरह की रचनाओं के अतिरिक्त कवि व्यंगात्मक कविताएं भी लिख रहा था। यह कवि की एक ही मनोवृत्ति के दो पहलू हैं। एक ओर वह अपनी कलापूर्ण प्रौढ़ कृतियों द्वारा अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रहा था और दूसरी ओर व्यंग्यात्मक रचनाओं से विरोधियों पर तीव्र कशाघात कर उनकी रूढ़ मान्यताओं की हंसी उड़ा रहा था।[1]

‘प्रेयसी’, ‘रेखा’, ‘सरोज स्मृति’, ‘राम की शक्ति पूजा’ में उनके भाव और कला के श्रेष्ठ स्थापत्य को देखा जा सकता है जबकि ‘दान’, 'वनबेला’, ‘सेवा प्रारंभ’ आदि दूसरे प्रकार की रचनाएं हैं।

'राम की शक्ति पूजा' के भाव तथा शैली में महाकाव्यात्मक औदात्य पाया जाता है। राम के अव्यर्थ वारों की मार से विकल वानरी सेना को देखकर राम की व्याकुल मनोस्थिति का इसमें बहुत ही मनोवैज्ञानिक तथा प्रभावपूर्ण चित्रण किया गया है। यह एक अलकृति प्रधान रचना है, अलकृति का यह संभार वीर रस के पोषक के रूप में आया है। कवि की नवीन कल्पना तथा मनोवैज्ञानिकता के पुट ने इसे पूर्णतया आधुनिकों के अनुकूल बना दिया है।

‘सरोज स्मृति’ हिंदी का सर्वश्रेष्ठ शोकगीत है। इस अतिशय वयैक्तिक वस्तु की अभिव्यंजना में कवि की आत्यंतिक निर्लिप्तता उसकी श्रेष्ठता का परिचायक है। अनुभूति की गहरी व्यंजना की दृष्टि से भी यह बेजोड़ रचना है। बीच-बीच में आई हुई व्यंगोक्तियां व्यथा के भार को और भी बढ़ा देती हैं। दान, वनबेला आदि में कवि तथाकथित दानियों, नेताओं आदि का पर्दाफाश कर उनकी वास्तविकता को उद्घाटित कर देता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी साहित्य कोश, भाग 2 |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |संपादन: डॉ. धीरेंद्र वर्मा |पृष्ठ संख्या: 14 |

संबंधित लेख