केन्द्रीय सतर्कता आयोग: Difference between revisions

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'''केन्द्रीय सतर्कता आयोग''' ([[अंग्रेज़ी]]: Central Vegilence Commission - सीवीसी) एक परामर्शदात्री संस्था है। इसकी स्थापना केन्द्र सरकार के विभागों में प्रशासनिक भ्रष्टाचार की जांच करने के उद्देश्य से संथानम समिति की अनुशंसा पर सन [[1964]] में कार्यपालिका के एक संकल्प के द्वारा की गई थी। प्रारम्भ में यह कोई संवैधानिक संस्था नहीं थी, परन्तु बाद में [[23 अगस्त]], [[1998]] को जारी [[राष्ट्रपति]] के अध्यादेश द्वारा इसे संवैधानिक और बहुसदस्यीय बना दिया गया। [[संसद]] द्वारा [[2003]] में सीवीसी को एक सांविधिक निकाय के रूप में मान्यता प्रदान की गई। इसके लिए संसद द्वारा एक विधेयक को पारित किया गया। [[11 सितम्बर]], [[2003]] को राष्ट्रपति द्वारा अनुमति प्रदान कर दिये जाने के साथ ही केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 प्रभावी हो गया।
'''केन्द्रीय सतर्कता आयोग''' ([[अंग्रेज़ी]]: Central Vegilence Commission - सीवीसी) [[भारत]] की एक परामर्शदात्री संस्था है। इसकी स्थापना केन्द्र सरकार के विभागों में प्रशासनिक भ्रष्टाचार की जाँच करने के उद्देश्य से 'संथानम समिति' की अनुशंसा पर सन [[1964]] में कार्यपालिका के एक संकल्प के द्वारा की गई थी। प्रारम्भ में यह कोई संवैधानिक संस्था नहीं थी, परन्तु बाद में [[23 अगस्त]], [[1998]] को जारी [[राष्ट्रपति]] के अध्यादेश द्वारा इसे संवैधानिक और बहुसदस्यीय बना दिया गया। [[संसद]] द्वारा [[2003]] में सीवीसी को एक सांविधिक निकाय के रूप में मान्यता प्रदान की गई। इसके लिए संसद द्वारा एक विधेयक को पारित किया गया। [[11 सितम्बर]], [[2003]] को राष्ट्रपति द्वारा अनुमति प्रदान कर दिये जाने के साथ ही केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 प्रभावी हो गया।
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==गठन==
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केन्द्रीय सतर्कता आयोग एक बहुसदस्यीय निकाय है। इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (चैयरपर्सन) और दो अन्य सतर्कता आयुक्त सदस्य के रूप में होते हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा तीन सदस्यीय समिति, जिसमें [[प्रधानमंत्री]] (अध्यक्ष), केन्द्रीय गृहमंत्री तथा [[लोकसभा]] में विपक्ष के नेता शामिल होते है, कि सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
केन्द्रीय सतर्कता आयोग एक बहुसदस्यीय निकाय है। इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (चैयरपर्सन) और दो अन्य सतर्कता आयुक्त सदस्य के रूप में होते हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा तीन सदस्यीय समिति, जिसमें [[प्रधानमंत्री]] (अध्यक्ष), केन्द्रीय गृहमंत्री तथा [[लोकसभा]] में विपक्ष के नेता शामिल होते है, कि सिफारिशों के आधार पर की जाती है।


केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त को प्रशासनिक सहायता प्रदान करने हेतु एक सचिव, पांच निदेशक/उप सचिव, तीन अवर सचिव सहित कुल 150 अधिकारी व कर्मचारी आयोग में पदस्थापित हैं। आयोग में 11 पद विभागीय जांच-पड़ताल आयुक्तों (सीडीआई) के सृजित हैं तथा प्राविधिक शाखा में दो मुख्य प्राविधिक परीक्षक, आठ प्राविधिक परीक्षक तथा छ: सहायक प्राविधिक परीक्षक भी पदस्थापित होते हैं। जांच अधिकारी के रूप में सीडीआई का कार्य लोक सेवक के विरुद्ध प्रारंभ की गई विभागीय कार्यवाही में मौखिक जांच करना है।
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त को प्रशासनिक सहायता प्रदान करने हेतु एक सचिव, पांच निदेशक/उप सचिव, तीन अवर सचिव सहित कुल 150 अधिकारी व कर्मचारी आयोग में पदस्थापित हैं। आयोग में 11 पद विभागीय जांच-पड़ताल आयुक्तों (सीडीआई) के सृजित हैं तथा प्राविधिक शाखा में दो मुख्य प्राविधिक परीक्षक, आठ प्राविधिक परीक्षक तथा छ: सहायक प्राविधिक परीक्षक भी पदस्थापित होते हैं। जांच अधिकारी के रूप में सीडीआई का कार्य लोक सेवक के विरुद्ध प्रारंभ की गई विभागीय कार्रवाई में मौखिक जांच करना है।
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केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त एवं अन्य सतर्कता आयुक्तों को [[राष्ट्रपति]] द्वारा दुर्व्यवहार या अयोग्यता सिद्ध होने के आधार पर पदच्युत किया जा सकता है। किंतु यह मामला जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय को भेजना होता है।
केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त एवं अन्य सतर्कता आयुक्तों को [[राष्ट्रपति]] द्वारा दुर्व्यवहार या अयोग्यता सिद्ध होने के आधार पर पदच्युत किया जा सकता है। किंतु यह मामला जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय को भेजना होता है।
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Latest revision as of 09:03, 10 February 2021

केन्द्रीय सतर्कता आयोग (अंग्रेज़ी: Central Vegilence Commission - सीवीसी) भारत की एक परामर्शदात्री संस्था है। इसकी स्थापना केन्द्र सरकार के विभागों में प्रशासनिक भ्रष्टाचार की जाँच करने के उद्देश्य से 'संथानम समिति' की अनुशंसा पर सन 1964 में कार्यपालिका के एक संकल्प के द्वारा की गई थी। प्रारम्भ में यह कोई संवैधानिक संस्था नहीं थी, परन्तु बाद में 23 अगस्त, 1998 को जारी राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा इसे संवैधानिक और बहुसदस्यीय बना दिया गया। संसद द्वारा 2003 में सीवीसी को एक सांविधिक निकाय के रूप में मान्यता प्रदान की गई। इसके लिए संसद द्वारा एक विधेयक को पारित किया गया। 11 सितम्बर, 2003 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमति प्रदान कर दिये जाने के साथ ही केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 प्रभावी हो गया।

गठन

केन्द्रीय सतर्कता आयोग एक बहुसदस्यीय निकाय है। इसमें एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (चैयरपर्सन) और दो अन्य सतर्कता आयुक्त सदस्य के रूप में होते हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा तीन सदस्यीय समिति, जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), केन्द्रीय गृहमंत्री तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते है, कि सिफारिशों के आधार पर की जाती है।

केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त को प्रशासनिक सहायता प्रदान करने हेतु एक सचिव, पांच निदेशक/उप सचिव, तीन अवर सचिव सहित कुल 150 अधिकारी व कर्मचारी आयोग में पदस्थापित हैं। आयोग में 11 पद विभागीय जांच-पड़ताल आयुक्तों (सीडीआई) के सृजित हैं तथा प्राविधिक शाखा में दो मुख्य प्राविधिक परीक्षक, आठ प्राविधिक परीक्षक तथा छ: सहायक प्राविधिक परीक्षक भी पदस्थापित होते हैं। जांच अधिकारी के रूप में सीडीआई का कार्य लोक सेवक के विरुद्ध प्रारंभ की गई विभागीय कार्रवाई में मौखिक जांच करना है।

कार्यकाल

केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त एवं अन्य सतर्कता आयुक्तों को राष्ट्रपति द्वारा दुर्व्यवहार या अयोग्यता सिद्ध होने के आधार पर पदच्युत किया जा सकता है। किंतु यह मामला जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय को भेजना होता है।

वेतन एवं भत्ते

केन्द्रीय सतर्कता आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों को वेतन, भत्ते तथा अन्य परिलब्धियाँ एवं सेवा शर्तें 'संघ लोक सेवा आयोग' के अध्यक्ष एवं सदस्यों के समान निर्धारित है। 15 जनवरी, 2009 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (अध्यक्ष) का वेतन 30,000 हज़ार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 90,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है। इसी प्रकार आयोग के सदस्यों का वेतन भी 26,000 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 80,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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