सुन्दर सिंह भण्डारी: Difference between revisions

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==परिचय==
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==सरल जीवन, उच्च विचार==
==सरल जीवन, उच्च विचार==
सुन्दर सिंह भण्डारी ‘सरल जीवन और उच्च विचारों’ के प्रतीक थे। शांत भाव के भण्डारी जीवन भर अविवाहित रहे और राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। [[1942]] में शिक्षा पूरी करने के बाद मेवाड़ उच्च न्यायालय में लीगल प्रेक्टिस शुरू की। [[1937]] में उन्होंने एस.डी. कॉलेज, कानपुर में प्रवेश लिया, जहां [[दीनदयाल उपाध्याय]] उनके सहपाठी थे। [[दिसम्बर]] [[1937]] में [[इंदौर]] के बालू महाशब्दे ने उन्हें कानपुर के निकट नवाबगंज की आर.एस.एस शाखा में ले गए। तब से वे सदैव अपनी अंतिम सांस तक आरएसएस की विचारधारा के प्रति वचनबद्ध रहे।
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==महामंत्री का दायित्व==
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सुन्दर सिंह भण्डारी
पूरा नाम सुन्दर सिंह भण्डारी
जन्म 12 अप्रॅल, 1921
जन्म भूमि उदयपुर, राजस्थान
मृत्यु 22 जून, 2005
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद राज्यपाल, गुजरात- 18 मार्च, 1999 से 7 मई, 2003 तक

राज्यपाल, बिहार- 27 अप्रॅल, 1998 से 15 मार्च, 1999 तक

शिक्षा एम.ए. (अर्थशास्त्र), लॉ
विद्यालय डीएवी कॉलेज, कानपुर
संबंधित लेख राज्यपाल, भारत के राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूची
अन्य जानकारी सन 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जिन प्रमुख कार्यकर्ताओं को जनसंघ में कार्य के लिए भेजा गया था, उनमें सुन्दर सिंह भण्डारी का नाम प्रमुख रूप से शामिल था।

सुन्दर सिंह भण्डारी (अंग्रेज़ी: Sunder Singh Bhandari, जन्म- 12 अप्रॅल, 1921; मृत्यु- 22 जून, 2005) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ राजनीतिज्ञ थे। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। सुन्दर सिंह भण्डारी ‘सरल जीवन और उच्च विचारों’ के प्रतीक थे। शांत भाव के सुन्दर सिंह भण्डारी जीवन भर अविवाहित रहे और राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जिन प्रमुख कार्यकर्ताओं को जनसंघ में कार्य के लिए भेजा गया था, उनमें उनका नाम प्रमुख रूप से शामिल था। सन 1951 से 1965 तक सुन्दर सिंह भण्डारी ने राजस्थान जनसंघ में महामंत्री का दायित्व निभाया था।

परिचय

सुन्दर सिंह भण्डारी का जन्म 12 अप्रैल, 1921 को उदयपुर के एक जैन परिवार (राजस्थान) में हुआ। उनके पिता डॉ. सुजान सिंह भण्डारी डाक्टरी पेशे से संबद्ध थे। उनकी शिक्षा कई स्थानों पर हुई। उन्होंने उदयपुर से सिरोही से इंटरमीडिएट परीक्षा पास की और डीएवी कॉलेज, कानपुर से बीए और एम.ए. किया। उन्होंने अर्थशास्त्र में एम.ए. किया और बाद में लॉ का अध्ययन किया।[1]

सरल जीवन, उच्च विचार

सुन्दर सिंह भण्डारी ‘सरल जीवन और उच्च विचारों’ के प्रतीक थे। शांत भाव के भण्डारी जीवन भर अविवाहित रहे और राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। 1942 में शिक्षा पूरी करने के बाद मेवाड़ उच्च न्यायालय में लीगल प्रेक्टिस शुरू की। 1937 में उन्होंने एस.डी. कॉलेज, कानपुर में प्रवेश लिया, जहां दीनदयाल उपाध्याय उनके सहपाठी थे। दिसम्बर 1937 में इंदौर के बालू महाशब्दे ने उन्हें कानपुर के निकट नवाबगंज की आर.एस.एस शाखा में ले गए। तब से वे सदैव अपनी अंतिम सांस तक आरएसएस की विचारधारा के प्रति वचनबद्ध रहे।

महामंत्री का दायित्व

सन 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जिन प्रमुख कार्यकर्ताओं को जनसंघ में कार्य के लिए भेजा गया था, उनमें सुन्दर सिंह भण्डारी का नाम प्रमुख रूप से शामिल था। 1951 से 1965 तक भण्डारी ने राजस्थान जनसंघ में महामंत्री का दायित्व निभाया। इसके अलावा वे 1963 में जनसंघ के अखिल भारतीय मंत्री थे। पं. दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद 1968 में सुन्दर सिंह भण्डारी को अखिल भारतीय महामंत्री (संगठन) बनाया गया। उन्होंने कार्यकर्ताओं के सामने सरलता, सहनशीलता और मितव्ययता का उदाहरण पेश किया।[1]

राज्यपाल

सुन्दर सिंह भण्डारी ने 1977 तक जनसंघ महामंत्री के पद पर कार्य किया। वह 1966-1972 के समय राजस्थान से राज्य सभा के सदस्य भी निर्वाचित हुए, जब वह उस समय ‘मीसा' के अन्तर्गत हिरासत में थे। 1998 में उनका राज्य सभा का कार्यकाल समाप्त हुआ, तब उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। 1999 में उन्हें गुजरात का राज्यपल नियुक्त किया गया।

मृत्यु

22 जून, 2005 को सुन्दर सिंह भण्डारी का स्वर्गवास हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 सुन्दर सिंह भण्डारी (हिंदी) hindi.kamalsandesh.org। अभिगमन तिथि: 04 अगस्त, 2021।

संबंधित लेख

  1. पुनर्प्रेषित साँचा:राज्यपाल, उपराज्यपाल व प्रशासक