शौर्य चक्र: Difference between revisions

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इसका फीता हरे रंग का होता है जिस पर तीन सीधी रेखाएं बनी होती हैं। ये रेखाएं फीते को चार बराबर हिस्सों में विभाजित करती हैं।
==बार==
यदि चक्र विजेता बहादुरी के ऐसे ही कारनामे का फिर से प्रदर्शन करता है, जिसके कारण वह चक्र प्राप्त करने का पात्र हो जाता है तो बहादुरी के इस कारनामे को सम्मानित करने के लिए चक्र जिस फीते से लटका होता है, उसके साथ एक बार लगा दिया जाता है। यदि केवल फीता पहनना हो तो यह पदक जितनी बार प्रदान किया जाता है, उतनी बार के लिए फीते के साथ इसकी लघु प्रतिकृति लगाई जाती है।
==पात्रता==
निम्नलिखित श्रेणियों के कार्मिक चक्र प्राप्त करने के पात्र होंगे-
*सेना, नौसेना और वायु सेना, किसी भी रिजर्व सेना, प्रादेशिक सेना, नागरिक सेनाऔर कानूनी रूप से गठित अन्य सशस्त्र सेना के सभी रैंकों के अफसर और पुरुष व महिला सैनिक।
*सशस्त्र सेनाओं की नर्सिंग सेवाओं के सदस्य।
*समाज के प्रत्येक क्षेत्र के सभी लिंगों के सिविलियन नागरिक और पुलिस फोर्स, केन्द्रीय पैरा-मिलिट्री फोर्स और रेलवे सुरक्षा फोर्स के कार्मिक।<ref name="pp"/>
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यह पदक शौर्य के कारनामे को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। इसमें शुगमन का मुकाबला करना शामिल नहीं है। यह पदक मरणोपरांत भी प्रदान किया जाता है।
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Latest revision as of 10:58, 22 November 2021

शौर्य चक्र
विवरण यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को शांति के समय वीरता अथवा बलिदान के लिए दिया जाता है।
स्थापना 1952
पहली बार 1952
आख़िरी बार 2016
वरियता वीर चक्र के बाद आता है।
संबंधित लेख परमवीर चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र
अन्य जानकारी यह सम्मान मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है।
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शौर्य चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है। यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरीयता में यह कीर्ति चक्र के बाद आता है। इस पदक की शुरुआत 4 जनवरी, 1952 को की गई और 27 जनवरी, 1967 को इसका नाम बदलकर 'शौर्य चक्र' कर दिया गया। यह पदक शौर्य के कारनामे के लिए प्रदान किया जाता है। इसमें शुगमन का मुकाबला करना शामिल नहीं है।

पदक

यह पदक गोलाकार होता है और कांसे का बना हुआ है, इसका व्यास 1.375 इंच है। इस पदक के सामने के हिस्से के बीच में चक्र बना हुआ है जिसके चारों ओर कमल के फूलों की बेल बनी हुई है। इसके पीछे वाले हिस्से पर हिंदी और अंग्रेज़ी में 'शौर्य चक्र' खुदा हुआ है और हिंदी व अंग्रेज़ी के शब्दों के बीच कमल के दो फूल बने हुए हैं।[1]

फीता

इसका फीता हरे रंग का होता है जिस पर तीन सीधी रेखाएं बनी होती हैं। ये रेखाएं फीते को चार बराबर हिस्सों में विभाजित करती हैं।

बार

यदि चक्र विजेता बहादुरी के ऐसे ही कारनामे का फिर से प्रदर्शन करता है, जिसके कारण वह चक्र प्राप्त करने का पात्र हो जाता है तो बहादुरी के इस कारनामे को सम्मानित करने के लिए चक्र जिस फीते से लटका होता है, उसके साथ एक बार लगा दिया जाता है। यदि केवल फीता पहनना हो तो यह पदक जितनी बार प्रदान किया जाता है, उतनी बार के लिए फीते के साथ इसकी लघु प्रतिकृति लगाई जाती है।

पात्रता

निम्नलिखित श्रेणियों के कार्मिक चक्र प्राप्त करने के पात्र होंगे-

  • सेना, नौसेना और वायु सेना, किसी भी रिजर्व सेना, प्रादेशिक सेना, नागरिक सेनाऔर कानूनी रूप से गठित अन्य सशस्त्र सेना के सभी रैंकों के अफसर और पुरुष व महिला सैनिक।
  • सशस्त्र सेनाओं की नर्सिंग सेवाओं के सदस्य।
  • समाज के प्रत्येक क्षेत्र के सभी लिंगों के सिविलियन नागरिक और पुलिस फोर्स, केन्द्रीय पैरा-मिलिट्री फोर्स और रेलवे सुरक्षा फोर्स के कार्मिक।[1]

पात्रता की शर्तें

यह पदक शौर्य के कारनामे को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। इसमें शुगमन का मुकाबला करना शामिल नहीं है। यह पदक मरणोपरांत भी प्रदान किया जाता है।

शौर्य चक्र विजेताओं के नाम

  1. आशीष कुमार तिवारी
  2. सिपाही कपिल देव
  3. सिपाही अमरजीत
  4. फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनीष अरोड़ा
  5. कमांडर दिलीप डोंडे
  6. कैप्टन सुमित कोहली
  7. मेजर मनीष बराल
  8. मेजर दीपक यादव
  9. उदय सिंह
  10. सुरेन्द्र पाल
  11. मेजर मोहिन्द्र सिंह नेगी
  12. फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनीष अरोड़ा
  13. सुरेंद्र कुमार
  14. रघुवीर सिंह
  15. परसाराम
  16. सूबेदार सुभाषचन्द्र मूण्ड
  17. मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 शौर्य चक्र (हिंदी) indianairforce.nic.in। अभिगमन तिथि: 22 नवंबर, 2021।

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