एम. पी. शास्त्री: Difference between revisions
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Latest revision as of 08:20, 1 September 2022
एम. पी. शास्त्री
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पूरा नाम | एम. पतंजलि शास्त्री |
जन्म | 4 जनवरी, 1889 |
जन्म भूमि | तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु |
मृत्यु | 16 मार्च, 1963 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
पति/पत्नी | एम. कामाक्षी अम्माली |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | न्यायाधीश |
पद | मुख्य न्यायाधीश, भारत- 7 नवम्बर, 1951 से 3 जनवरी, 1954 तक |
संबंधित लेख | भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय |
पूर्वाधिकारी | एच. जे. कनिया |
उत्तराधिकारी | मेहरचंद महाजन |
एम. पतंजलि शास्त्री (अंग्रेज़ी: M. Patanjali Sastri, जन्म- 4 जनवरी, 1889; मृत्यु- 16 मार्च, 1963) भारत के भूतपूर्व दूसरे मुख्य न्यायाधीश थे। वह सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे न्यायाधीश थे, जो 7 नवम्बर, 1951 से 3 जनवरी, 1954 तक इस पद पर रहे।
- एम. पतंजलि शास्त्री मद्रास के पचैयप्पा कॉलेज के वरिष्ठ संस्कृत पंडित कृष्ण शास्त्री के पुत्र थे।
- उन्होंने बी. ए. में स्नातक किया और फिर मद्रास विश्वविद्यालय से एलएलबी कि डिग्री लेने के बाद एक वकील बन गए।
- सन 1914 में मद्रास उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में एम. पतंजलि शास्त्री ने अपना कॅरियर शुरू किया। विशेषकर उन्होंने चेट्टियार ग्राहकों के साथ कर कानून में विशेष विशेषज्ञता के रूप में ख्याति प्राप्त की।
- सन 1922 में उन्हें आयकर आयुक्त का स्थायी सलाहकार नियुक्त किया गया। उन्होंने 15 मार्च, 1939 को खंडपीठ में अपने पद तक पहुंचने तक पद संभाला।
- इस दौरान एम. पतंजलि शास्त्री ने सर सिडनी वाड्सवर्थ के साथ मद्रास के कृषक ऋण मुक्ति अधिनियम के पारित होने के बाद कार्य किया।
- 6 दिसंबर, 1947 को मद्रास उच्च न्यायालय में वरिष्ठता में तीसरे स्थान पर रहने के बाद उन्हें संघीय न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया, जो बाद में सर्वोच्च न्यायालय बन गया।
- मुख्य न्यायाधीश सर एच. जे. कनिया की अप्रत्याशित मौत के बाद 7 नवंबर, 1951 को एम. पतंजलि शास्त्री को सबसे वरिष्ठ सहयोगी न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्त किया गया। वह 3 जनवरी, 1954 को सेवानिवृत्ति की आयु तक इस पद पर रहे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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