अविरति: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''अविरति''' धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित बर्ताव कर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
'''अविरति''' धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित बर्ताव करना। यह 12 प्रकार का कहा गया है। [[जैन धर्म]] में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग [[हिन्दी साहित्य]] में किया गया है।  
'''अविरति''' धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित बर्ताव करना। यह 12 प्रकार का कहा गया है। [[जैन धर्म]] में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग [[हिन्दी साहित्य]] में किया गया है।  


'''अविरति''' ([[विशेषण]]) [नञ- बहुव्रीहि समास] [निरन्तर-'''ति:''' ([[स्त्रीलिंग]])] [नञ- तत्पुरुष समास]
1. सातत्य, निरन्तरता
2. कामातुरता
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
Line 8: Line 16:
[[Category:जैन धर्म शब्दावली]]
[[Category:जैन धर्म शब्दावली]]
[[Category:जैन धर्म]]
[[Category:जैन धर्म]]
[[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
[[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:संस्कृत हिन्दी शब्दकोश]][[Category:संस्कृत शब्दकोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 09:13, 21 May 2024

अविरति धर्मशास्त्र की मर्यादा से रहित बर्ताव करना। यह 12 प्रकार का कहा गया है। जैन धर्म में प्रचलित इस शब्द का प्रयोग हिन्दी साहित्य में किया गया है।


अविरति (विशेषण) [नञ- बहुव्रीहि समास] [निरन्तर-ति: (स्त्रीलिंग)] [नञ- तत्पुरुष समास]

1. सातत्य, निरन्तरता

2. कामातुरता


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • पुस्तक- पौराणिक कोश |लेखक- राणा प्रसाद शर्मा | पृष्ठ संख्या- 561

संबंधित लेख

जैन धर्म शब्दावली

त्रिरत्न तड़ितकुमार ढुढ़िया चक्रेश्वरी चन्द्रप्रभ चंडकौशिक गोपालदारक गुण व्रत गवालीक खरतरगच्छ कृष्ण (जैन) कुंभ (जैन) काश्यप (जैन) कायोत्सर्ग कंदीत आदेयकर्म अस्तेय असुर कुमार अविरति अवसर्पिणी अवधिदर्शन अरुणोद (जैन) अद्धामिश्रित वचन अतिरिक्तकंबला अतिपांडुकंबला अतिथि संविभाग अच्युत (जैन) अच्छुप्ता अचक्षु दर्शनावरणीय अंतराय