हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था: Difference between revisions
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हिमाचल प्रदेश में अधिकांश लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि, पशु चराई, ऋतु प्रवास, बाग़वानी और वनों पर निर्भर हैं। राज्य के उद्योगों में नाहन कृषि उपकरण, तारपीन का तेल और रेज़िन निर्माण उद्योग, सोलन में टीवी सेट्स, उर्वरक, बीयर, शराब और बल्ब निर्माण उद्योग, राजबन में सीमेंट उद्योग, परवानू में प्रसंस्कृत फल, ट्रैक्टर के पुर्ज़े और विद्युत उपकरण उद्योग, शिमला के निकट विद्युत उपकरण और बाड़ी तथा बरोटीवाला में काग़ज़ और गत्ते का निर्माण उद्योग शामिल हैं। राज्य ने अपने प्रचुर जलविद्युत, खनिजों और वन संसाधनों के आधार पर अपना विकास शुरू किया है। यह अपनी सड़कों और पर्यटन संसाधन का भी विकास कर रहा है।
जलविद्युत
देश की कुल जलविद्युत का क़रीब 20 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश पैदा करता है। मौजूदा प्रमुख जलविद्युत केंद्रों में उहल नदी पर जोगिंदर नगर जलविद्युत गृह, सतलुज नदी पर ऊँचा और विशाल भाखड़ा बाँध, व्यास नदी पर बना पोंग बाँध और गिरि नदी पर बना गिरि बाँध आते हैं। हिमाचल प्रदेश ने केन्द्र सरकार के साथ मिलकर शिमला ज़िले में नाथपा- झाकड़ी जैसी नई जलविद्युत परियोजनाएँ शुरू की हैं। हिमालय क्षेत्र भूक्षरण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए राज्य में बड़े पैमाने पर वनीकरण कार्यक्रम शुरू किया है और मौजूदा पर्यावरण क़ानूनों को सख़्ती से लागू करना भी शुरू कर दिया है।
परिवहन
सड़कों के जाल के अलावा हिमाचल प्रदेश में, कालका से शिमला और पठानकोट से जोगिंदरनगर, दो छोटी रेलवे लाइनें भी हैं। सड़कें विभिन्न पर्वतों और घाटियों से होकर गुज़रती हैं और ये राज्य की जीवन-रेखाएँ हैं। हिमाचल प्रदेश की सीमा में 140 से अधिक हिस्सों में सरकारी बस सेवा संचालित होती है।
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