गेरू: Difference between revisions
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*यह दो प्रकार की होती है। एक का आधार चिकनी मिट्टी होती है तथा दूसरे का [[खड़िया]] मिश्रित मिट्टी। दोनों जातियों में से प्रथम का [[रंग]] अधिक शुद्ध तथा दर्शनीय होता है। | *यह दो प्रकार की होती है। एक का आधार चिकनी मिट्टी होती है तथा दूसरे का [[खड़िया]] मिश्रित मिट्टी। दोनों जातियों में से प्रथम का [[रंग]] अधिक शुद्ध तथा दर्शनीय होता है। | ||
*कुछ प्रकार के गेरू पीस लेने पर ही काम में लाने योग्य हो जाते हें, किंतु अन्य को निस्तापित करना पड़ता है, जिससे उनके रंगों में परिवर्तन हो जाता है और तब वे काम के होते हैं। | *कुछ प्रकार के गेरू पीस लेने पर ही काम में लाने योग्य हो जाते हें, किंतु अन्य को निस्तापित करना पड़ता है, जिससे उनके रंगों में परिवर्तन हो जाता है और तब वे काम के होते हैं। | ||
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Latest revision as of 09:28, 4 November 2014
thumb|250px|गेरू गेरू हल्की पीली से लेकर गहरी लाल, भूरी या बैंगनी रंग की मिट्टी जो लोह ऑक्साइड से ढँकी रहती है।
- यह दो प्रकार की होती है। एक का आधार चिकनी मिट्टी होती है तथा दूसरे का खड़िया मिश्रित मिट्टी। दोनों जातियों में से प्रथम का रंग अधिक शुद्ध तथा दर्शनीय होता है।
- कुछ प्रकार के गेरू पीस लेने पर ही काम में लाने योग्य हो जाते हें, किंतु अन्य को निस्तापित करना पड़ता है, जिससे उनके रंगों में परिवर्तन हो जाता है और तब वे काम के होते हैं।
- प्रसिद्ध गेरू, जिसको रोमन मृत्तिका कहते हैं, प्राकृतिक अवस्था में धूमिल रंग का होता है, किंतु निस्तापित करने पर यह कलाकारों को प्रिय, सुंदर भूरे रंग का हो जाता है।
- जिस गेरू में कार्बनिक पदार्थ अधिक होता है उसे निस्तापित करके वार्निश या तेल में मिलाने पर, शीघ्र सूखने का गुण बढ़ जाता है।
- बहुत सा गेरू कृत्रिम रीति से भी तैयार किया जाता है।
- गेरू का उपयोग सोने के आभूषणों पर ओप या चमक लाने तथा कपड़ा रँगने के विविध प्रकार के रंगों और तैल रंग तैयार करने में होता है।[1]
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