उग्र (सूर्य): Difference between revisions

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*[[सूर्य देवता]] का भी नाम उग्र है। वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। # ये ही अखिल सृष्टि के आदि कारण हैं। इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है।
*[[सूर्य देवता]] का भी नाम उग्र है। वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। ये ही अखिल सृष्टि के आदि कारण हैं। इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है।
*पौराणिक सन्दर्भ में सूर्यदेव की उत्पत्ति के अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं। यद्यपि उनमें वर्णित घटनाक्रमों में अन्तर है, किन्तु कई प्रसंग परस्पर मिलते-जुलते हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी [[अदिति]] के गर्भ से उत्पन्न हुए। अदिति के पुत्र होने के कारण ही उनका एक नाम [[आदित्य देवता|आदित्य]] हुआ। पैतृक नाम के आधार पर वे काश्यप प्रसिद्ध हुए। संक्षेप में यह कथा इस प्रकार है- एक बार दैत्य-दानवों ने मिलकर [[देवता|देवताओं]] को पराजित कर दिया। देवता घोर संकट में पड़कर इधर-उधर भटकने लगे। देव-माता अदिति इस हार से दु:खी होकर भगवान सूर्य की उपासना करने लगीं। भगवान सूर्य प्रसन्न होकर अदिति के समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने अदिति से कहा- देवि! तुम चिन्ता का त्याग कर दो। मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण करूँगा तथा अपने हज़ारवें अंश से तुम्हारे उदर से प्रकट होकर तेरे पुत्रों की रक्षा करूँगा।' इतना कहकर भगवान सूर्य अन्तर्धान हो गये।  
*पौराणिक सन्दर्भ में सूर्यदेव की उत्पत्ति के अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं। यद्यपि उनमें वर्णित घटनाक्रमों में अन्तर है, किन्तु कई प्रसंग परस्पर मिलते-जुलते हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी [[अदिति]] के गर्भ से उत्पन्न हुए। अदिति के पुत्र होने के कारण ही उनका एक नाम [[आदित्य देवता|आदित्य]] हुआ। पैतृक नाम के आधार पर वे काश्यप प्रसिद्ध हुए। संक्षेप में यह कथा इस प्रकार है- एक बार दैत्य-दानवों ने मिलकर [[देवता|देवताओं]] को पराजित कर दिया। देवता घोर संकट में पड़कर इधर-उधर भटकने लगे। देव-माता अदिति इस हार से दु:खी होकर भगवान सूर्य की उपासना करने लगीं। भगवान सूर्य प्रसन्न होकर अदिति के समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने अदिति से कहा- देवि! तुम चिन्ता का त्याग कर दो। मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण करूँगा तथा अपने हज़ारवें अंश से तुम्हारे उदर से प्रकट होकर तेरे पुत्रों की रक्षा करूँगा।' इतना कहकर भगवान सूर्य अन्तर्धान हो गये।  


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Latest revision as of 11:32, 7 September 2011

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  • सूर्य देवता का भी नाम उग्र है। वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। ये ही अखिल सृष्टि के आदि कारण हैं। इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है।
  • पौराणिक सन्दर्भ में सूर्यदेव की उत्पत्ति के अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं। यद्यपि उनमें वर्णित घटनाक्रमों में अन्तर है, किन्तु कई प्रसंग परस्पर मिलते-जुलते हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए। अदिति के पुत्र होने के कारण ही उनका एक नाम आदित्य हुआ। पैतृक नाम के आधार पर वे काश्यप प्रसिद्ध हुए। संक्षेप में यह कथा इस प्रकार है- एक बार दैत्य-दानवों ने मिलकर देवताओं को पराजित कर दिया। देवता घोर संकट में पड़कर इधर-उधर भटकने लगे। देव-माता अदिति इस हार से दु:खी होकर भगवान सूर्य की उपासना करने लगीं। भगवान सूर्य प्रसन्न होकर अदिति के समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने अदिति से कहा- देवि! तुम चिन्ता का त्याग कर दो। मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण करूँगा तथा अपने हज़ारवें अंश से तुम्हारे उदर से प्रकट होकर तेरे पुत्रों की रक्षा करूँगा।' इतना कहकर भगवान सूर्य अन्तर्धान हो गये।