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'''पेरू''' राज्य में मारानोन नदी के बाएँ तट पर लोरेटो प्रदेश में निवास करनेवाली दक्षिणी अमरीका की एक आदिम जाति हे। यह प्रदेश 'रीओ नापा' के मुहाने से ७५ मील उत्तर है। ईसाई धर्मप्रचारकों के अथक प्रयत्न करने पर भी ये असभ्य ही रह गए हैं। ये शिलाओं पर अंकित पशु पक्षियों के चित्रों को पूजते हैं। ये कुछ व्यापार भी करते हैं और व्यापार में आयात की मुख्य वस्तुएँ रबर से बदली जाती हैं। 20वीं सदी के प्रारंभ में इनकी कुल संख्या 12,000 थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=506 |url=}}</ref>
'''पेरू''' राज्य में मारानोन नदी के बाएँ तट पर लोरेटो प्रदेश में निवास करनेवाली दक्षिणी अमरीका की एक आदिम जाति है। यह प्रदेश 'रीओ नापा' के मुहाने से ७५ मील उत्तर है। ईसाई धर्मप्रचारकों के अथक प्रयत्न करने पर भी ये असभ्य ही रह गए हैं। ये शिलाओं पर अंकित पशु पक्षियों के चित्रों को पूजते हैं। ये कुछ व्यापार भी करते हैं और व्यापार में आयात की मुख्य वस्तुएँ रबर से बदली जाती हैं। 20वीं सदी के प्रारंभ में इनकी कुल संख्या 12,000 थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=506 |url=}}</ref>





Latest revision as of 11:07, 27 June 2018

पेरू राज्य में मारानोन नदी के बाएँ तट पर लोरेटो प्रदेश में निवास करनेवाली दक्षिणी अमरीका की एक आदिम जाति है। यह प्रदेश 'रीओ नापा' के मुहाने से ७५ मील उत्तर है। ईसाई धर्मप्रचारकों के अथक प्रयत्न करने पर भी ये असभ्य ही रह गए हैं। ये शिलाओं पर अंकित पशु पक्षियों के चित्रों को पूजते हैं। ये कुछ व्यापार भी करते हैं और व्यापार में आयात की मुख्य वस्तुएँ रबर से बदली जाती हैं। 20वीं सदी के प्रारंभ में इनकी कुल संख्या 12,000 थी।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 506 |

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