जी. बी. पटनायक: Difference between revisions
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}}'''गोपाल बल्लव पटनायक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopal Ballav Pattanaik'', जन्म- [[19 दिसम्बर]], [[1937]], [[कटक]], [[उड़ीसा]]) [[भारत]] के भूतपूर्व 32वें मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। वह [[8 नवम्बर]], [[2002]] से [[19 दिसम्बर]], [[2002]] तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। साल [[2021]] में जी. बी. पटनायक को क़ानून और न्याय के क्षेत्र में उनकी जीवन भर की उपलब्धि के लिए प्रतिष्ठित 'उत्कल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।<br/> | |||
*जी. बी. पटनायक का जन्म 19 दिसंबर सन 1937 को कटक शहर, उड़ीसा में हुआ था। | *जी. बी. पटनायक का जन्म 19 दिसंबर सन 1937 को कटक शहर, उड़ीसा में हुआ था। | ||
*वह [[पिता]] राशबिहारी पटनायक और [[माता]] बिदुलता देई के सबसे बड़े पुत्र थे। | *वह [[पिता]] राशबिहारी पटनायक और [[माता]] बिदुलता देई के सबसे बड़े पुत्र थे। | ||
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*उनकी तीन संतान- अमर, अंजन और रिंकू हैं। उनके तीन पोते हैं- आर्यमन पटनायक, आयुष्मान पटनायक और देवांश पटनायक। | *उनकी तीन संतान- अमर, अंजन और रिंकू हैं। उनके तीन पोते हैं- आर्यमन पटनायक, आयुष्मान पटनायक और देवांश पटनायक। | ||
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*जब उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला तो ऐसा प्रतीत हुआ कि वे अपने छोटे कार्यकाल को देखते हुए न्यायपालिका के प्रशासन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। हालांकि, उन्होंने उच्च न्यायपालिका के सदस्यों के खिलाफ कदाचार के आरोपों से निपटने के लिए [[1997]] में विकसित 'इन-हाउस प्रक्रिया' को व्यवहार में लाकर भारतीय न्यायपालिका के [[इतिहास]] में एक महत्वपूर्ण अध्याय शुरू किया। | *जब उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला तो ऐसा प्रतीत हुआ कि वे अपने छोटे कार्यकाल को देखते हुए न्यायपालिका के प्रशासन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। हालांकि, उन्होंने उच्च न्यायपालिका के सदस्यों के खिलाफ कदाचार के आरोपों से निपटने के लिए [[1997]] में विकसित 'इन-हाउस प्रक्रिया' को व्यवहार में लाकर भारतीय न्यायपालिका के [[इतिहास]] में एक महत्वपूर्ण अध्याय शुरू किया। | ||
*उत्कल विश्वविद्यालय द्वारा जी. बी. पटनायक को लॉ एलएलडी में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। | *उत्कल विश्वविद्यालय द्वारा जी. बी. पटनायक को लॉ एलएलडी में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। |
Latest revision as of 12:59, 20 August 2022
जी. बी. पटनायक
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पूरा नाम | गोपाल बल्लव पटनायक |
जन्म | 19 दिसम्बर, 1937 |
जन्म भूमि | कटक, उड़ीसा |
पति/पत्नी | मीरा पटनायक |
संतान | तीन |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | न्यायाधीश |
पद | मुख्य न्यायाधीश, भारत- 8 नवम्बर, 2002 से 19 दिसम्बर, 2002 तक |
शिक्षा | क़ानून की डिग्री |
विद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्कल विश्वविद्यालय |
पुरस्कार-उपाधि | उत्कल रत्न पुरस्कार, 2021 |
संबंधित लेख | भारत के मुख्य न्यायाधीश |
पूर्वा धिकारी | भूपेंद्र नाथ कृपाल |
उत्तरा धिकारी | वी. एन. खरे |
अन्य जानकारी | साल 2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा जी. बी. पटनायक को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। |
अद्यतन | 16:33, 20 अगस्त 2022 (IST)
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गोपाल बल्लव पटनायक (अंग्रेज़ी: Gopal Ballav Pattanaik, जन्म- 19 दिसम्बर, 1937, कटक, उड़ीसा) भारत के भूतपूर्व 32वें मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। वह 8 नवम्बर, 2002 से 19 दिसम्बर, 2002 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। साल 2021 में जी. बी. पटनायक को क़ानून और न्याय के क्षेत्र में उनकी जीवन भर की उपलब्धि के लिए प्रतिष्ठित 'उत्कल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- जी. बी. पटनायक का जन्म 19 दिसंबर सन 1937 को कटक शहर, उड़ीसा में हुआ था।
- वह पिता राशबिहारी पटनायक और माता बिदुलता देई के सबसे बड़े पुत्र थे।
- कटक के रेनशॉ कॉलेज में जी. बी. पटनायक ने अध्ययन किया और इविंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
- बाद के समय में जी. बी. पटनायक ने ओडिशा में मधुसूदन लॉ कॉलेज, उत्कल विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री हासिल की।
- वह अब अपनी पत्नी मीरा के साथ नई दिल्ली में रहते हैं। भारत और विदेशों में मध्यस्थ के रूप में वह सक्रिय है।
- उनकी तीन संतान- अमर, अंजन और रिंकू हैं। उनके तीन पोते हैं- आर्यमन पटनायक, आयुष्मान पटनायक और देवांश पटनायक।
- साल 2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वारा जी. बी. पटनायक को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
- जब उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला तो ऐसा प्रतीत हुआ कि वे अपने छोटे कार्यकाल को देखते हुए न्यायपालिका के प्रशासन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। हालांकि, उन्होंने उच्च न्यायपालिका के सदस्यों के खिलाफ कदाचार के आरोपों से निपटने के लिए 1997 में विकसित 'इन-हाउस प्रक्रिया' को व्यवहार में लाकर भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय शुरू किया।
- उत्कल विश्वविद्यालय द्वारा जी. बी. पटनायक को लॉ एलएलडी में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था।
- साल 2021 में जी. बी. पटनायक को क़ानून और न्याय के क्षेत्र में उनकी जीवन भर की उपलब्धि के लिए प्रतिष्ठित 'उत्कल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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