एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता: Difference between revisions
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'''एशियाटिक सोसायटी''' अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सम्पादन तथा पत्रिकाएं, बिबलोथिका इण्डिका, मोनोग्राफ तथा अदालती कार्यवाहियों की विभिन्न श्रृंखलाएं और जीवनवृत्त तथा भाषण शामिल है। यह पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर में स्थित है। | |||
*सुप्रसिद्ध अंग्रेज भारतविद् विलियम जोंस (1747-94) ने [[एशिया]] के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास, पुरावशेष, कला विज्ञान तथा [[साहित्य]] की खोज के उद्देश्य से 1784 में एशियाटिक सोसायटी, [[कोलकाता]] की नींव रखी थी। दो सौ वर्ष पुरानी यह संस्था [[भारत]] में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई। | *सुप्रसिद्ध अंग्रेज भारतविद् विलियम जोंस (1747-94) ने [[एशिया]] के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास, पुरावशेष, कला विज्ञान तथा [[साहित्य]] की खोज के उद्देश्य से 1784 में एशियाटिक सोसायटी, [[कोलकाता]] की नींव रखी थी। दो सौ वर्ष पुरानी यह संस्था [[भारत]] में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई। | ||
*सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हज़ार पुस्तकों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं। | *एशियाटिक सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हज़ार पुस्तकों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं। | ||
*मार्च 1984 में [[संसद]] के एक अधिनियम के द्वारा इस सोसायटी को राष्टीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। | *मार्च 1984 में [[संसद]] के एक अधिनियम के द्वारा इस सोसायटी को राष्टीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। | ||
*इसमें [[एशिया]] का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था। | *इसमें [[एशिया]] का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था। | ||
*इसके संग्रहालय की स्थापना 1814 ई. में हुई थी। | *इसके संग्रहालय की स्थापना 1814 ई. में हुई थी। |
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[[चित्र:Asiatic-Society-Kolkata.jpg|thumb|250px|एशियाटिक सोसाइटी, कोलकाता]] एशियाटिक सोसायटी अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सम्पादन तथा पत्रिकाएं, बिबलोथिका इण्डिका, मोनोग्राफ तथा अदालती कार्यवाहियों की विभिन्न श्रृंखलाएं और जीवनवृत्त तथा भाषण शामिल है। यह पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर में स्थित है।
- सुप्रसिद्ध अंग्रेज भारतविद् विलियम जोंस (1747-94) ने एशिया के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास, पुरावशेष, कला विज्ञान तथा साहित्य की खोज के उद्देश्य से 1784 में एशियाटिक सोसायटी, कोलकाता की नींव रखी थी। दो सौ वर्ष पुरानी यह संस्था भारत में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई।
- एशियाटिक सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हज़ार पुस्तकों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं।
- मार्च 1984 में संसद के एक अधिनियम के द्वारा इस सोसायटी को राष्टीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है।
- इसमें एशिया का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था।
- इसके संग्रहालय की स्थापना 1814 ई. में हुई थी।
- लेकिन इसके संग्रह की अधिकांश वस्तुएं अब 'इंडियन म्युज़ियम' में रख दी गई हैं।
- यहाँ अब देखने योग्य वस्तुओं का छोटा संग्रह ही है।
- इन्हीं वस्तुओं में तिब्बतियन थंगस तथा अशोक का प्रसिद्ध शिलास्तंभ भी है।
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