Template:विशेष आलेख: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 6: Line 6:
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
<div style="padding:3px">[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|botom|130px|भारतीय संविधान की मूल सुलेखित प्रतिलिपि में प्रदर्शित अशोक के चित्र की प्रतिलिपि |link=अशोक|border]]</div>
<div style="padding:3px">[[चित्र:Colaj-delhi.jpg|right|botom|130px|भारत की राजधानी दिल्ली के विभिन्न दृश्य|link=दिल्ली|border]]</div>
<poem>
<poem>
[[अशोक|अशोक महान ने कहा है:-]]
    '''[[दिल्ली]]''' तो है दिल वालों की। [[दिल्ली का इतिहास|दिल्ली के इतिहास]] में सम्पूर्ण [[भारत]] की झलक सदैव मौजूद रही है। [[अमीर ख़ुसरो]] और [[ग़ालिब]] की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली [[नादिरशाह]] की लूट की चीख़ों से सहम भी जाती है। [[चाँदनी चौक]]-[[जामा मस्जिद]] की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]] के सीने में धँस गयी थी। दिल्ली ने [[दौलताबाद]] जाने के तुग़लकी फ़रमानों को भी सुना और [[लाल क़िला दिल्ली|लाल क़िले]] से [[प्रधानमंत्री]] के अभिभाषणों पर तालियाँ भी बजायी। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है। [[दिल्ली|... और पढ़ें]]</poem>
    हर दशा में दूसरे सम्प्रदायों का आदर करना ही चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य अपने सम्प्रदाय की उन्नति और दूसरे सम्प्रदायों का उपकार करता है। इसके विपरीत जो करता है, वह अपने सम्प्रदाय की जड़ काटता है और दूसरे सम्प्रदायों का भी अपकार करता है ... ।
... इसलिए समवाय (परस्पर मेलजोल से रहना) ही अच्छा है, अर्थात् लोग एक-दूसरे के धर्म को ध्यान देकर सुनें और उसकी सेवा करें -[[अशोक|सम्राट अशोक महान]] [[अशोक|... और पढ़ें]]</poem>
----
----
<center>
<center>
Line 16: Line 14:
|-
|-
| [[चयनित लेख|पिछले विशेष आलेख]] →
| [[चयनित लेख|पिछले विशेष आलेख]] →
| [[अशोक]]·
| [[श्रावस्ती]] ·
| [[श्रावस्ती]] ·
| [[श्राद्ध]] ·
| [[श्राद्ध]] ·
| [[रंग]] ·
| [[रंग]]  
| [[वाराणसी]]  
|}</center>
|}</center>
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:विशेष आलेख के साँचे]]</noinclude>

Revision as of 11:48, 17 June 2012

विशेष आलेख

     दिल्ली तो है दिल वालों की। दिल्ली के इतिहास में सम्पूर्ण भारत की झलक सदैव मौजूद रही है। अमीर ख़ुसरो और ग़ालिब की रचनाओं को गुनगुनाती हुई दिल्ली नादिरशाह की लूट की चीख़ों से सहम भी जाती है। चाँदनी चौक-जामा मस्जिद की सकरी गलियों से गुज़रकर चौड़े राजपथ पर 26 जनवरी की परेड को निहारती हुई दिल्ली 30 जनवरी को उन तीन गोलियों की आवाज़ को नहीं भुला पाती जो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सीने में धँस गयी थी। दिल्ली ने दौलताबाद जाने के तुग़लकी फ़रमानों को भी सुना और लाल क़िले से प्रधानमंत्री के अभिभाषणों पर तालियाँ भी बजायी। नौ बार लूटे जाने से भी दिल्ली के श्रृंगार में कोई कमी नहीं आयी। आज भी दिल्ली विश्व के सुन्दरतम नगरों में गिनी जाती है। ... और पढ़ें


पिछले विशेष आलेख अशोक· श्रावस्ती · श्राद्ध · रंग