वांगह्यु एनत्से: Difference between revisions

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*इसके बाद वह विजयी बनकर [[चीन]] वापस लौट गया।
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*वांगह्यु  एनत्से 657 ई. में तीसरी और अन्तिम बार तीर्थाटन के लिए [[भारत]] आया।
*वांगह्यु  एनत्से 657 ई. में तीसरी और अन्तिम बार तीर्थाटन के लिए [[भारत]] आया।
*उसने [[वैशाली]] एवं [[बोध गया]] सरीखे [[बौद्ध]] तीर्थस्थलों पर वस्त्रदान किया और [[अफ़ग़ानिस्तान]] होकर पामीर के मार्ग से स्वदेश लौट गया।
*उसने [[वैशाली]] एवं [[बोध गया]] सरीखे [[बौद्ध]] तीर्थस्थलों पर वस्त्रदान किया और [[अफ़ग़ानिस्तान]] होकर [[पामीर]] के मार्ग से स्वदेश लौट गया।





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वांगह्यु एनत्से एक चीनी राजदूत था, जिसने तीन बार भारत की यात्रा की थीं। ये यात्राएँ उसने 643 ई., 646-647 ई. और 657 ई. में कीं। उसकी दूसरी भारत यात्रा के समय सम्राट हर्षवर्धन का निधन हो चुका था। हर्ष के मंत्री अर्जुन ने वांगह्यु एनत्से पर आक्रमण कर दिया और उसके साथ आये हुए लोगों को भी लूटकर भारत से भगा दिया।

  • एनत्से की पहली यात्रा के समय सम्राट हर्षवर्धन जीवित था, किन्तु जब वह दूसरी बार भारत आया, तब उसके राजधानी पहुँचने से पहले से ही सम्राट हर्षवर्धन का निधन हो चुका था।
  • हर्ष की मृत्यु के उपरान्त उसके मंत्री अर्जुन ने सिंहासन पर अधिकार कर लिया।
  • अर्जुन ने चीनी दूतमंडल पर भी आक्रमण कर दिया और अंगरक्षकों की हत्या कर उसकी सम्पत्ति को लूट लिया, किन्तु वांगह्यु एनत्से तिब्बत भाग जाने में सफल रहा।
  • तिब्बत के राजा स्रोङ्गचन्-साम् पो ने उसे शरण दी और अपनी सेना की सहायता भी प्रदान की।
  • इस सेना की सहायता से वांगह्यु एनत्से ने तिरहुत पर आक्रमण किया और अर्जुन को परास्त करके बन्दी बना लिया।
  • इसके बाद वह विजयी बनकर चीन वापस लौट गया।
  • वांगह्यु एनत्से 657 ई. में तीसरी और अन्तिम बार तीर्थाटन के लिए भारत आया।
  • उसने वैशाली एवं बोध गया सरीखे बौद्ध तीर्थस्थलों पर वस्त्रदान किया और अफ़ग़ानिस्तान होकर पामीर के मार्ग से स्वदेश लौट गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 428 |


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