हुविष्क: Difference between revisions

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हुविष्क [[कुषाण]] राजा [[कनिष्क]] का पुत्र और उत्तराधिकारी जिसने लगभग 162 ई. से 180 ई. तक राज्य किया।
'''हुविष्क ईसवी (140-183)'''<br />
==जुन्म==
 
हुविष्क का जन्म 140 ईसवी में हुआ था।
कुषाण सम्राट [[कनिष्क]], हुविष्क और [[वसुदेव|वासुदेव]] का शासन काल माथुरी कला का 'स्वर्णिम काल' था। इस समय इस कला शैली ने पर्याप्त समृद्धि और पूर्णता प्राप्त की। एक और मूर्ति जो संभवत: [[कुषाण]] सम्राट 'हुविष्क' की हो सकती है, इस समय '[[गोकर्णेश्वर महादेव|गोकर्णेश्वर]]' के नाम से [[मथुरा]] में पूजी जाती है। ऐसा लगता है कि कुषाण राजाओं को अपने और पूर्वजों के प्रतिमा मन्दिर या 'देवकुल' बनवाने की विशेष रुचि थी।
==हुविष्क का शासनकाल==
 
*हुविष्क के शासनकाल के सिक्के अनेक स्थानों में और बड़ी मात्रा में मिले हैं। इन पर [[भारतीय]], [[ईरानी]] और [[यूनानी]] देवी-देवताओं के चित्र अंकित हैं। इससे ज्ञात होता है कि कनिष्क का जीता हुआ पूरा राज्य इसके अधिकार में था और उसका विस्तार पूर्व में [[पाटलिपुत्र]] तक था।
*कुषाण सम्राट कनिष्क, हुविष्क और [[वसुदेव|वासुदेव]] का शासन काल माथुरी कला का 'स्वर्णिम काल' था। इस समय इस कला शैली ने पर्याप्त समृद्धि और पूर्णता प्राप्त की। एक और मूर्ति जो संभवत: कुषाण सम्राट 'हुविष्क' की हो सकती है, इस समय '[[गोकर्णेश्वर महादेव|गोकर्णेश्वर]]' के नाम से [[मथुरा]] में पूजी जाती है। ऐसा लगता है कि कुषाण राजाओं को अपने और पूर्वजों के प्रतिमा मन्दिर या 'देवकुल' बनवाने की विशेष रुचि थी।
==मृत्यु==
हुविष्क की मृत्यु 183 ईसवी में हुई थी।


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Revision as of 07:29, 14 September 2010

हुविष्क कुषाण राजा कनिष्क का पुत्र और उत्तराधिकारी जिसने लगभग 162 ई. से 180 ई. तक राज्य किया।

जुन्म

हुविष्क का जन्म 140 ईसवी में हुआ था।

हुविष्क का शासनकाल

  • हुविष्क के शासनकाल के सिक्के अनेक स्थानों में और बड़ी मात्रा में मिले हैं। इन पर भारतीय, ईरानी और यूनानी देवी-देवताओं के चित्र अंकित हैं। इससे ज्ञात होता है कि कनिष्क का जीता हुआ पूरा राज्य इसके अधिकार में था और उसका विस्तार पूर्व में पाटलिपुत्र तक था।
  • कुषाण सम्राट कनिष्क, हुविष्क और वासुदेव का शासन काल माथुरी कला का 'स्वर्णिम काल' था। इस समय इस कला शैली ने पर्याप्त समृद्धि और पूर्णता प्राप्त की। एक और मूर्ति जो संभवत: कुषाण सम्राट 'हुविष्क' की हो सकती है, इस समय 'गोकर्णेश्वर' के नाम से मथुरा में पूजी जाती है। ऐसा लगता है कि कुषाण राजाओं को अपने और पूर्वजों के प्रतिमा मन्दिर या 'देवकुल' बनवाने की विशेष रुचि थी।

मृत्यु

हुविष्क की मृत्यु 183 ईसवी में हुई थी।


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