बांकुड़ा: Difference between revisions
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शहर के विकास और समृद्धि में ईसाई मिशनरियों का बहुत योगदान है। 1869 में नगरपालिका बने बांकुड़ा में बर्द्धमान विश्वविद्यालय से संबध्द अनेक महाविद्यालय है, जिनमें एक मेडिकल कॉलेज शामिल है। | शहर के विकास और समृद्धि में ईसाई मिशनरियों का बहुत योगदान है। 1869 में नगरपालिका बने बांकुड़ा में बर्द्धमान विश्वविद्यालय से संबध्द अनेक महाविद्यालय है, जिनमें एक मेडिकल कॉलेज शामिल है। |
Revision as of 06:36, 21 August 2010
स्थिति
बांकुड़ा नगर पूर्वोत्तर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में सघन आबादी वाले जलोढ़ मैदान में स्थित है। इसी नाम के ज़िले का मुख्यालय भी है। इसके पूर्व में जलोढ़ मैदान और पश्चिम में छोटा नागपुर का पठार है। ढालकिशोर नदी के उत्तर में स्थित है। ज़िले के मध्य से भूमि धीरे-धीरे असमतल मैदानों के रूप में बढ़ती हुई छोटा नागपुर पठार की ओर स्पष्ट पहाड़ों का रूप ले लेती है।
इतिहास
मल्लमूम राज्य के काल में यह क्षेत्र लंबे समय तक हिंदू संस्कृति का केंद्र रहा, जिसकी राजधानी बिष्णुपुर में थी।
कृषि
धान, गेंहूं, मक्का और गन्ना आसपास के कृषि क्षेत्र की प्रमुख फ़सलें हैं। कृषि वितरण का प्रमुख केंद्र है। आसपास के इलाक़ों में मुख्यत: चावल, गेहूं मकई और गन्ने की खेती होती है
उद्योग और व्यापार
चावल व तिलहन मिलें , सूती वस्त्र उत्पादन , धातु की वस्तुओं का निर्माण और रेल कार्यशालाएं यहां के प्रमुख उद्योग है।
खनिज सम्पदा
इसके अलावा यहां अभ्रक, चीनी मिट्टी, लौह-अयस्क, सीसा, जस्ता और वुल्फ़्रेमाइट पाया जाता है। यहां अभ्रक, चीनी मिट्टी , लौह-अयस्क, सीसा, जस्ता और वुल्फ़्रेमाइट का खनन भी होता है।
जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार नगर की जनसंख्या कुल 31,91,822 है।
परिवहन
बांकुड़ा प्रमुख ग्रैंड ट्रंक रोड और रेल जंक्शन होने के कारण एक विकसित नगर है।
शिक्षा
शहर के विकास और समृद्धि में ईसाई मिशनरियों का बहुत योगदान है। 1869 में नगरपालिका बने बांकुड़ा में बर्द्धमान विश्वविद्यालय से संबध्द अनेक महाविद्यालय है, जिनमें एक मेडिकल कॉलेज शामिल है।
दर्शनीय स्थल
महाभारत में प्राचीन सुम्ह, जैन अचरंग सूत्र में रार और जातकों में सम्हभूमि के रूप में वर्णित बांकुड़ा में कई प्रख्यात मंदिर हैं, जिनमें #16वीं शताब्दी का रासमंच,
- श्यामराय (1643) ,
- जोर बंगला और
- दीवारों पर महाभारत, रामायण और पुराणों के दृश्यांकन वाला मदनमोहन मंदिर (1643) शामिल हैं।