सिनागौग: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''सिनागौग''' यहूदियों के मंदिर या पूजास्थल को ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''सिनागौग''' [[यहूदी|यहूदियों]] के मंदिर या पूजास्थल को कहा जाता है। इसमें कीकट की लकड़ी का [[स्वर्ण]] से जड़ित एक पिटक रखा होता है, जिसमें दस धर्मसूत्रों की प्रति रखी होती है। इसे 'धर्म प्रतिज्ञा की नौका' भी कहते हैं। | '''सिनागौग''' [[यहूदी|यहूदियों]] के मंदिर या पूजास्थल को कहा जाता है। इसमें कीकट की लकड़ी का [[स्वर्ण]] से जड़ित एक पिटक रखा होता है, जिसमें दस धर्मसूत्रों की प्रति रखी होती है। इसे 'धर्म प्रतिज्ञा की नौका' भी कहते हैं। | ||
*[[पश्चिम बंगाल]] के शहर [[कोलकाता]] में भी '[[मगहेन डेविड सिनागॉग कोलकाता|मगहेन डेविड सिनागौग]]' है, जो एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। | |||
*यह सिनागौग कोलकाता का सबसे पुराना पूजा स्थल माना जाता है, जिसे आम लोगों के लिए [[1884]] ई. में खोला गया था। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}} |
Revision as of 13:32, 14 February 2013
सिनागौग यहूदियों के मंदिर या पूजास्थल को कहा जाता है। इसमें कीकट की लकड़ी का स्वर्ण से जड़ित एक पिटक रखा होता है, जिसमें दस धर्मसूत्रों की प्रति रखी होती है। इसे 'धर्म प्रतिज्ञा की नौका' भी कहते हैं।
- पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता में भी 'मगहेन डेविड सिनागौग' है, जो एक प्रमुख पर्यटन स्थल है।
- यह सिनागौग कोलकाता का सबसे पुराना पूजा स्थल माना जाता है, जिसे आम लोगों के लिए 1884 ई. में खोला गया था।
|
|
|
|
|