इंदुलाल याज्ञिक: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 6: | Line 6: | ||
====राजनीति==== | ====राजनीति==== | ||
वर्ष [[1956]] में अलग [[गुजरात]] की मांग करते हुए इंदुलाल याज्ञिक [[लोक सभा]] के सदस्य चुने गए। याज्ञिक स्वतंत्र विचारों के व्यक्ति थे और गांधीजी तथा [[सरदार पटेल]] से अपना विचार भेद सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में उन्हें संकोच नहीं था। | वर्ष [[1956]] में अलग [[गुजरात]] की मांग करते हुए इंदुलाल याज्ञिक [[लोक सभा]] के सदस्य चुने गए। याज्ञिक स्वतंत्र विचारों के व्यक्ति थे और गांधीजी तथा [[सरदार पटेल]] से अपना विचार भेद सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में उन्हें संकोच नहीं था। | ||
==गुजरात की मांग== | |||
याज्ञिक जी [[1930]]-[[1931]] में बर्लिन, लंदन और आयरलैंड की यात्रा पर भी गये थे। वहाँ उन्होंने [[भारत]] की आजादी के लिए दिलोजान से काम किया। आयरलैंड में तो उन्होंने अपने जीवन निर्वाह के लिए सिगरेट बेचने तक का काम किया। वर्ष 1956 में 'महागुजरात जनता परिषद' की स्थापना हुई थी। इस परिषद का उददेश्य [[मुम्बई]] प्रांत को विभाजित करके गुजराती भाषा-भाषी आबादी के लिए अलग प्रदेश बनाना था। यह आंदोलन अंतत: सफल रहा और सन [[1960]] में [[गुजरात]] एक पृथक राज्य बन गया। उसके बाद इंदुलाल याज्ञकि ने 'नूतन गुजरात जनता परिषद' बनाया। 'महागुजरात जनता परिषद' के उम्मीदवार के रूप में वे [[1957]] में [[अहमदाबाद]] से [[लोकसभा]] के सदस्य चुने गये थे। वे [[1962]] में 'नूतन गुजरात जनता परिषद' के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए चुने गये। इसके बाद वर्ष [[1967]] और [[1971]] में भी वे लोकसभा के सदस्य चुने गये।<ref>{{cite web |url= http://prabhatkhabar.com/node/223059|title=गुजरात निर्माता की याद में|accessmonthday=22 फ़रवरी|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | |||
==सम्पत्ति का दान== | ==सम्पत्ति का दान== | ||
इंदुलाल याज्ञिक ने अपनी पूरी संपत्ति 'महागुजरात सेवा ट्रस्ट' को दान कर दी थी। यह बात उनके वसीयतनामे में भी दर्ज थी। उनके निधन के बाद सहकारिता बैंक के सेफ़ डिपॉजिट में मिले वसीयतनामे के अनुसार उनके पास तब बैंक में कुल जमा राशि 17 हज़ार, 614 रुपये थी। याज्ञिक जी ने अपनी पुस्तकों की रॉयल्टी, दफ्तर का फर्नीचर तथा समस्त चल और अचल संपत्ति ट्रस्ट को दे देने का फैसला कर लिया था। | इंदुलाल याज्ञिक ने अपनी पूरी संपत्ति 'महागुजरात सेवा ट्रस्ट' को दान कर दी थी। यह बात उनके वसीयतनामे में भी दर्ज थी। उनके निधन के बाद सहकारिता बैंक के सेफ़ डिपॉजिट में मिले वसीयतनामे के अनुसार उनके पास तब बैंक में कुल जमा राशि 17 हज़ार, 614 रुपये थी। याज्ञिक जी ने अपनी पुस्तकों की रॉयल्टी, दफ्तर का फर्नीचर तथा समस्त चल और अचल संपत्ति ट्रस्ट को दे देने का फैसला कर लिया था। | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
[[17 जुलाई]], [[1972]] को इंदुलाल याज्ञिक का निधन हुआ। | [[17 जुलाई]], [[1972]] को इंदुलाल याज्ञिक का निधन हुआ। उनके निधन के बाद अख़बारों ने लिखा था कि "50 वर्षों का 'याज्ञिक युग' समाप्त हो गया।' इंदुलाल याज्ञिक उन थोड़े से नेताओं में थे, जिनके नाम के साथ 'युग' शब्द जुड़ा था। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
Revision as of 11:43, 22 February 2013
इंदुलाल याज्ञिक (अंग्रेज़ी: Indulal Yagnik; जन्म- 22 फ़रवरी, 1892, खेड़ा ज़िला, गुजरात; मृत्यु- 17 जुलाई, 1972) 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' में भाग लेने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं में से एक थे। वे गुजरात प्रदेश के निर्माताओं में से एक और 'ऑल इंडिया किसान सभा' के नेता थे। उन्होंने 'गुजरात विद्यापीठ' की स्थापना की योजना बनाई थी। इंदुलाल याज्ञिक गुजरात की सत्याग्रह कमेटी के सचिव बनाये गए थे और वर्ष 1923 में गिरफ्तार करके यरवदा जेल में महात्मा गाँधी के साथ बंद थे। यह बात भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति 'महागुजरात सेवा ट्रस्ट' को दान कर दी थी।
जन्म तथा शिक्षा
इंदुलाल याज्ञिक का जन्म 22 फ़रवरी, सन 1892 को गुजरात के खेड़ा ज़िले में हुआ था। इनके पिता का नाम कन्हैयालाल था। इंदुलाल याज्ञिक ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा खेड़ा से ही प्राप्त की थी। वर्ष 1906 में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद याज्ञिक ने 'गुजरात कॉलेज', अहमदाबाद में प्रवेश ले लिया। यहाँ से इंटर पास करने के बाद वे मुम्बई आ गये और फिर यहाँ बी. ए. की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एल.एल.बी. की परीक्षा वर्ष 1912 में उत्तीर्ण की।
कार्यक्षेत्र
इंदुलाल याज्ञिक के ऊपर अरबिंदो और एनी बेसेंट के विचारों का अधिक प्रभाव पड़ा। वे पत्रकारिता के क्षेत्र में आए। उन्होंने गुजराती पत्रिका ‘नवजीवन अणे सत्य’ का और शंकरलाल बैंकर के साथ ‘यंग इंडिया’ का प्रकाशन आरंभ किया। बाद में ये दोनों पत्र गांधीजी को सौंप दिए गए थे। इंदुलाल ने होमरूल लीग आंदोलन में भाग लिया और ‘गुजरात राजकीय परिषद’ की स्थपना की। किशोरी लाल मशरूवाला के साथ स्वदेशी का प्रचार किया और गुजरात विद्यापीठ की स्थापना की योजना बनाई। वे गुजरात की सत्याग्रह कमेटी के सचिव थे और 1923 में गिरफ्तार करके यरवदा जेल में महात्मा गाँधी के साथ बंद किए गए थे। जेल से छूटने के बाद उनके विचारों में परिवर्तन हुआ और वे किसान सभा में सम्मिलित हो गए। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय युद्ध विरोधी प्रचार करते हुए वे फिर गिरफ्तार हुए।
राजनीति
वर्ष 1956 में अलग गुजरात की मांग करते हुए इंदुलाल याज्ञिक लोक सभा के सदस्य चुने गए। याज्ञिक स्वतंत्र विचारों के व्यक्ति थे और गांधीजी तथा सरदार पटेल से अपना विचार भेद सार्वजनिक रूप से प्रकट करने में उन्हें संकोच नहीं था।
गुजरात की मांग
याज्ञिक जी 1930-1931 में बर्लिन, लंदन और आयरलैंड की यात्रा पर भी गये थे। वहाँ उन्होंने भारत की आजादी के लिए दिलोजान से काम किया। आयरलैंड में तो उन्होंने अपने जीवन निर्वाह के लिए सिगरेट बेचने तक का काम किया। वर्ष 1956 में 'महागुजरात जनता परिषद' की स्थापना हुई थी। इस परिषद का उददेश्य मुम्बई प्रांत को विभाजित करके गुजराती भाषा-भाषी आबादी के लिए अलग प्रदेश बनाना था। यह आंदोलन अंतत: सफल रहा और सन 1960 में गुजरात एक पृथक राज्य बन गया। उसके बाद इंदुलाल याज्ञकि ने 'नूतन गुजरात जनता परिषद' बनाया। 'महागुजरात जनता परिषद' के उम्मीदवार के रूप में वे 1957 में अहमदाबाद से लोकसभा के सदस्य चुने गये थे। वे 1962 में 'नूतन गुजरात जनता परिषद' के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए चुने गये। इसके बाद वर्ष 1967 और 1971 में भी वे लोकसभा के सदस्य चुने गये।[1]
सम्पत्ति का दान
इंदुलाल याज्ञिक ने अपनी पूरी संपत्ति 'महागुजरात सेवा ट्रस्ट' को दान कर दी थी। यह बात उनके वसीयतनामे में भी दर्ज थी। उनके निधन के बाद सहकारिता बैंक के सेफ़ डिपॉजिट में मिले वसीयतनामे के अनुसार उनके पास तब बैंक में कुल जमा राशि 17 हज़ार, 614 रुपये थी। याज्ञिक जी ने अपनी पुस्तकों की रॉयल्टी, दफ्तर का फर्नीचर तथा समस्त चल और अचल संपत्ति ट्रस्ट को दे देने का फैसला कर लिया था।
निधन
17 जुलाई, 1972 को इंदुलाल याज्ञिक का निधन हुआ। उनके निधन के बाद अख़बारों ने लिखा था कि "50 वर्षों का 'याज्ञिक युग' समाप्त हो गया।' इंदुलाल याज्ञिक उन थोड़े से नेताओं में थे, जिनके नाम के साथ 'युग' शब्द जुड़ा था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गुजरात निर्माता की याद में (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 22 फ़रवरी, 2013।
बाहरी कड़ियाँ