एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या: Difference between revisions

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एक तपस्वी जो कि खडूर साहिब में रहता था जो कि खैहरे जाटों का गुरु कहलाता था। गुरु जी के बढ़ते यश को देखकर आपसे जलन करने लगा और निन्दा भी करता था। [[संवत]] 1601 में भयंकर सूखा पड़ा। लोग दुखी होकर [[वर्षा]] कराने के उदेश्य से तपस्वी के पास आए। पर उसने कहना शुरू किया कि यहाँ तो उलटी [[गंगा]] बह रही है। श्री अंगद देव जी गृहस्थी होकर अपने को गुरु कहलाता है और अपनी पूजा कराता है। जब तक आप इन्हें बाहर नहीं निकालोगे तब तक वर्षा नहीं होगी। मैं आठ पहर में वर्षा करा दूँगा अगर इन्हें गाँव से बाहर निकाल दोगे। ऐसी बात सुनकर गाँव के पंच आदि मिलकर गुरु जी के पास आए और कहने लगे कि गुरु जी आप या तो वर्षा कराये नहीं तो हमारे गाँव से चले जाओ। गुरु जी कहने लगे भाई! हम परमात्मा के विरुद्ध नहीं हैं, यदि हमारे यहाँ से चले जाने से वर्षा हो जाती है तो हम यहाँ से चले जाते हैं। गाँव खान रजादे की संगत पूरी बात पता लगने पर उन्हें अपने साथ ले गई।<br />
एक तपस्वी जो कि खडूर साहिब में रहता था जो कि खैहरे जाटों का गुरु कहलाता था। गुरु जी के बढ़ते यश को देखकर आपसे जलन करने लगा और निन्दा भी करता था। [[संवत]] 1601 में भयंकर सूखा पड़ा। लोग दुखी होकर [[वर्षा]] कराने के उदेश्य से तपस्वी के पास आए। पर उसने कहना शुरू किया कि यहाँ तो उलटी [[गंगा]] बह रही है। श्री अंगद देव जी गृहस्थी होकर अपने को गुरु कहलाता है और अपनी पूजा कराता है। जब तक आप इन्हें बाहर नहीं निकालोगे तब तक वर्षा नहीं होगी। मैं आठ पहर में वर्षा करा दूँगा अगर इन्हें गाँव से बाहर निकाल दोगे। ऐसी बात सुनकर गाँव के पंच आदि मिलकर गुरु जी के पास आए और कहने लगे कि गुरु जी आप या तो वर्षा कराये नहीं तो हमारे गाँव से चले जाओ। गुरु जी कहने लगे भाई! हम परमात्मा के विरुद्ध नहीं हैं, यदि हमारे यहाँ से चले जाने से वर्षा हो जाती है तो हम यहाँ से चले जाते हैं। गाँव खान रजादे की संगत पूरी बात पता लगने पर उन्हें अपने साथ ले गई।<br />
तपस्वी लोगों को दिलासा देता रहा पर जब आठ दिन तक वर्षा नहीं हुई तो लोग बहुत हताश हो गये। एक दिन अचानक ही [[गुरु अमरदास|श्री अमरदास जी]] गुरु जी को मिलने खडूर साहिब आए। असलियत का पता लगते ही बहुत दुखी हुए और संगतों को समझाने लगे। अगर आप योगी तपस्वी को गाँव में से निकाल दोगे और गुरु जी से क्षमा माँग लोगे तो बहुत जल्दी वर्षा होगी। आप जी [[गुरु नानक  |गुरु नानक देव]] जी की गद्दी पर सुशोभित है, जो की बहुत शक्तिशाली है। उनको प्रसन्न करके ही वर्षा होने की आशा है। गुरु घर का आदर न करने से वर्षा नहीं होगी।<br />
तपस्वी लोगों को दिलासा देता रहा पर जब आठ दिन तक वर्षा नहीं हुई तो लोग बहुत हताश हो गये। एक दिन अचानक ही [[गुरु अमरदास|श्री अमरदास जी]] गुरु जी को मिलने खडूर साहिब आए। असलियत का पता लगते ही बहुत दुखी हुए और संगतों को समझाने लगे। अगर आप योगी तपस्वी को गाँव में से निकाल दोगे और गुरु जी से क्षमा माँग लोगे तो बहुत जल्दी वर्षा होगी। आप जी [[गुरु नानक  |गुरु नानक देव]] जी की गद्दी पर सुशोभित है, जो की बहुत शक्तिशाली है। उनको प्रसन्न करके ही वर्षा होने की आशा है। गुरु घर का आदर न करने से वर्षा नहीं होगी।<br />
भाई अमरदास जी के ऐसे वचन सुनकर ज़मींदारों ने तपस्वी को कहा कि आप आठ दिनों में भी वर्षा नहीं करा सके और गुरु जी को भी गाँव से बाहर निकाल दिया। इसलिए आप गाँव छोडकर चले जाओ। हम अपने आप गुरु जी को सम्मान सहित वापिस लाकर वर्षा करायेंगे। तपस्वी को गाँव छोड़कर जाना पड़ा और सारी संगत गुरु जी से क्षमा मांगकर गुरुजी को वापिस खडूर साहिब ले आई। लोगों की खुशी की सीमा ना रही जब [[आकाश]] पर बादल छाये और खूब वर्षा हुई। गुरु जी के ऐसे कौतक को देखकर संगतों का विश्वाश और पक्का हो गया।<ref>{{cite web |url=http://www.spiritualworld.co.in/ten-gurus-of-sikhism/2-shri-guru-angad-dev-ji/shri-guru-angad-dev-ji-saakhiya/177-ek-tapasvi-yogi-ki-irsha-shri-guru-angad-dev-ji-sakhi-story.html |title=एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या |accessmonthday= 23 मार्च|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=आध्यात्मिक जगत |language=हिंदी }}</ref>
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Latest revision as of 14:06, 30 June 2017

[[चित्र:Guru-angad-dev.jpg|thumb|गुरु अंगद देव]] एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या गुरु अंगद देव की साखियों में से पाँचवीं साखी है।

साखी

एक तपस्वी जो कि खडूर साहिब में रहता था जो कि खैहरे जाटों का गुरु कहलाता था। गुरु जी के बढ़ते यश को देखकर आपसे जलन करने लगा और निन्दा भी करता था। संवत 1601 में भयंकर सूखा पड़ा। लोग दुखी होकर वर्षा कराने के उदेश्य से तपस्वी के पास आए। पर उसने कहना शुरू किया कि यहाँ तो उलटी गंगा बह रही है। श्री अंगद देव जी गृहस्थी होकर अपने को गुरु कहलाता है और अपनी पूजा कराता है। जब तक आप इन्हें बाहर नहीं निकालोगे तब तक वर्षा नहीं होगी। मैं आठ पहर में वर्षा करा दूँगा अगर इन्हें गाँव से बाहर निकाल दोगे। ऐसी बात सुनकर गाँव के पंच आदि मिलकर गुरु जी के पास आए और कहने लगे कि गुरु जी आप या तो वर्षा कराये नहीं तो हमारे गाँव से चले जाओ। गुरु जी कहने लगे भाई! हम परमात्मा के विरुद्ध नहीं हैं, यदि हमारे यहाँ से चले जाने से वर्षा हो जाती है तो हम यहाँ से चले जाते हैं। गाँव खान रजादे की संगत पूरी बात पता लगने पर उन्हें अपने साथ ले गई।
तपस्वी लोगों को दिलासा देता रहा पर जब आठ दिन तक वर्षा नहीं हुई तो लोग बहुत हताश हो गये। एक दिन अचानक ही श्री अमरदास जी गुरु जी को मिलने खडूर साहिब आए। असलियत का पता लगते ही बहुत दुखी हुए और संगतों को समझाने लगे। अगर आप योगी तपस्वी को गाँव में से निकाल दोगे और गुरु जी से क्षमा माँग लोगे तो बहुत जल्दी वर्षा होगी। आप जी गुरु नानक देव जी की गद्दी पर सुशोभित है, जो की बहुत शक्तिशाली है। उनको प्रसन्न करके ही वर्षा होने की आशा है। गुरु घर का आदर न करने से वर्षा नहीं होगी।
भाई अमरदास जी के ऐसे वचन सुनकर ज़मींदारों ने तपस्वी को कहा कि आप आठ दिनों में भी वर्षा नहीं करा सके और गुरु जी को भी गाँव से बाहर निकाल दिया। इसलिए आप गाँव छोडकर चले जाओ। हम अपने आप गुरु जी को सम्मान सहित वापिस लाकर वर्षा करायेंगे। तपस्वी को गाँव छोड़कर जाना पड़ा और सारी संगत गुरु जी से क्षमा मांगकर गुरुजी को वापिस खडूर साहिब ले आई। लोगों की खुशी की सीमा ना रही जब आकाश पर बादल छाये और खूब वर्षा हुई। गुरु जी के ऐसे कौतक को देखकर संगतों का विश्वाश और पक्का हो गया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) आध्यात्मिक जगत्। अभिगमन तिथि: 23 मार्च, 2013।

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