मुम्बई का भूगोल: Difference between revisions

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[[मुम्बई]] शहर प्रायद्विपीय स्थल पर बसा हुआ है, जो मूलतः पश्चिम [[भारत]] के कोंकण तट के पास स्थित सात द्वीपिकाओं से मिलकर बना है। 17 वीं शताब्दी से अपवाह व भूमि फिर से हासिल करने की परियोजनाओं और जलमार्गों व [[जल]] अवरोधकों के निर्माण के कारण ये द्वीपिकाएं मिलकर एक बड़े भूभाग का निर्माण करती हैं, जिसे बंबई द्वीप के नाम से जाना जाता था।  इस द्वीप के पूर्व में मुम्बई बंदरगाह का स्थिर जलक्षेत्र है। यह द्वीप निम्न मैदान से बना है, जिसका एक चौथाई हिस्सा समुद्र तल से भी नीचा है; इस मैदान के पूर्वी और पश्चिमी किनारों में निचली पहाड़ियों की दो समानांतर पर्वतश्रेणियाँ हैं। इनमें से लंबी पर्वतश्रेणी द्वारा सुदूर दक्षिण में निर्मित कोलाबा पॉइंट मुम्बई बंदरगाह को खुले समुद्र से बचाता है। पश्चिमी पर्वतश्रेणी मालाबार हिल पर समुद्र तल से 55 मीटर की ऊँचाई पर समाप्त होती है, जो मुम्बई की सबसे ऊँचे इलाकों में से एक है। इन दो पर्वत श्रेणियों के बीच पश्च खाड़ी (बैक बे) का छिछला विस्तार है। इस खाड़ी के शीर्ष और बंदरगाह के बीच कुछ ऊँची भूपट्टिकाओं पर दुर्ग स्थित है, मूलतः इसी के चारों ओर शहर का विस्तार हुआ। अब यहाँ मुख्यतः सार्वजनिक एवं वाणिज्यिक कार्यालय हैं। पश्च खाड़ी से उत्तर की ओर भूतल मध्यवर्ती मैदान की दिशा में ढलान वाली है। बंबई के सुदूर उत्तर में विशाल खारे दलदल हैं।
[[मुम्बई]] शहर प्रायद्विपीय स्थल पर बसा हुआ है, जो मूलतः पश्चिम [[भारत]] के कोंकण तट के पास स्थित सात द्वीपिकाओं से मिलकर बना है। 17 वीं शताब्दी से अपवाह व भूमि फिर से हासिल करने की परियोजनाओं और जलमार्गों व [[जल]] अवरोधकों के निर्माण के कारण ये द्वीपिकाएं मिलकर एक बड़े भूभाग का निर्माण करती हैं, जिसे बंबई द्वीप के नाम से जाना जाता था।  इस द्वीप के पूर्व में मुम्बई बंदरगाह का स्थिर जलक्षेत्र है। यह द्वीप निम्न मैदान से बना है, जिसका एक चौथाई हिस्सा समुद्र तल से भी नीचा है; इस मैदान के पूर्वी और पश्चिमी किनारों में निचली पहाड़ियों की दो समानांतर पर्वतश्रेणियाँ हैं। इनमें से लंबी पर्वतश्रेणी द्वारा सुदूर दक्षिण में निर्मित कोलाबा पॉइंट मुम्बई बंदरगाह को खुले समुद्र से बचाता है। पश्चिमी पर्वतश्रेणी मालाबार हिल पर समुद्र तल से 55 मीटर की ऊँचाई पर समाप्त होती है, जो मुम्बई की सबसे ऊँचे इलाकों में से एक है। इन दो पर्वत श्रेणियों के बीच पश्च खाड़ी (बैक बे) का छिछला विस्तार है। इस खाड़ी के शीर्ष और बंदरगाह के बीच कुछ ऊँची भूपट्टिकाओं पर दुर्ग स्थित है, मूलतः इसी के चारों ओर शहर का विस्तार हुआ। अब यहाँ मुख्यतः सार्वजनिक एवं वाणिज्यिक कार्यालय हैं। पश्च खाड़ी से उत्तर की ओर भूतल मध्यवर्ती मैदान की दिशा में ढलान वाली है। बंबई के सुदूर उत्तर में विशाल खारे दलदल हैं।



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[[चित्र:A-View-Of-Mumbai.jpg|thumb|मुम्बई का एक दृश्य]] मुम्बई शहर प्रायद्विपीय स्थल पर बसा हुआ है, जो मूलतः पश्चिम भारत के कोंकण तट के पास स्थित सात द्वीपिकाओं से मिलकर बना है। 17 वीं शताब्दी से अपवाह व भूमि फिर से हासिल करने की परियोजनाओं और जलमार्गों व जल अवरोधकों के निर्माण के कारण ये द्वीपिकाएं मिलकर एक बड़े भूभाग का निर्माण करती हैं, जिसे बंबई द्वीप के नाम से जाना जाता था। इस द्वीप के पूर्व में मुम्बई बंदरगाह का स्थिर जलक्षेत्र है। यह द्वीप निम्न मैदान से बना है, जिसका एक चौथाई हिस्सा समुद्र तल से भी नीचा है; इस मैदान के पूर्वी और पश्चिमी किनारों में निचली पहाड़ियों की दो समानांतर पर्वतश्रेणियाँ हैं। इनमें से लंबी पर्वतश्रेणी द्वारा सुदूर दक्षिण में निर्मित कोलाबा पॉइंट मुम्बई बंदरगाह को खुले समुद्र से बचाता है। पश्चिमी पर्वतश्रेणी मालाबार हिल पर समुद्र तल से 55 मीटर की ऊँचाई पर समाप्त होती है, जो मुम्बई की सबसे ऊँचे इलाकों में से एक है। इन दो पर्वत श्रेणियों के बीच पश्च खाड़ी (बैक बे) का छिछला विस्तार है। इस खाड़ी के शीर्ष और बंदरगाह के बीच कुछ ऊँची भूपट्टिकाओं पर दुर्ग स्थित है, मूलतः इसी के चारों ओर शहर का विस्तार हुआ। अब यहाँ मुख्यतः सार्वजनिक एवं वाणिज्यिक कार्यालय हैं। पश्च खाड़ी से उत्तर की ओर भूतल मध्यवर्ती मैदान की दिशा में ढलान वाली है। बंबई के सुदूर उत्तर में विशाल खारे दलदल हैं।

पुराना शहर दक्षिण में कोलाबा से उत्तर में माहिम और्सायन तक लगभग 67 वर्ग किमी में फैला हुआ था। 1950 में सालगेट के विशाल द्वीप को जलमार्ग द्वारा जोड़कर मुख्य क्षेत्र में शामिल करके उत्तर की ओर बंबई का विस्तार किया गया। 1957 तक वृहद बंबई में कई उपनगरीय नगरपालिका क्षेत्रों और कुछ पड़ोसी गावों को शामिल कर लिया गया। उसके बाद से इस महानगर का विस्तार जारी है। 1970 के दशक के आरंभ में भीड़भाड़ और सघनता दूर करने के प्रयास के रूप में सालगेट द्वीप को मुंबई बंदरगाह के मुख्य जलक्षेत्र थाना क्रीक पर पुल बनाकर मुख्यभूमि से जोड़ दिया गया। मुंबई का प्राकृतिक सौंदर्य इस क्षेत्र के किसी अन्य शहर से बेहतर है। समुद्र से बंदरगाह में प्रवेश स्थान से एक विशाल दृश्य दिखाई देता है, जिसके किनारों पर मुख्यभूमि पर स्थित पश्चिमी घाट की पहाड़ियाँ हैं। बेशुमार छोटे जलयानों की सफ़ेद पालों से चमकता द्वीपों से घिरा चौड़ा बंदरगाह जहाज़ों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है, विशेषकर जब तटीय क्षेत्र पर तूफ़ान की स्थिति हो। बंदरगाह के द्वीपों में सबसे बड़ा एलीफ़ेटा है, जो छठी शताब्दी के गुफ़ा मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

इस नगर में पाए जाने वाले सामान्य वृक्षों में नारियल, आम, इमली, और बरगद शामिल हैं। सालसेट द्वीप कभी बाघ, तेंदुआ, सियार और हिरन जैसे वन्य प्राणियों का आश्रय था, लेकिन अब ये प्राणी यहाँ नहीं पाये जाते। यहाँ के प्राणी जीवन में अब गाय, बैल, भेड़, बकरी और अन्य पालतू प्रजातियाँ हैं। यहाँ पाए जाने वाले पक्षियों में गिद्ध, कबूतर, सारस और बत्तख शामिल हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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