यादवगिरि: Difference between revisions
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'''यादवगिरि''' अथवा '''यादवाद्रि''' [[मैसूर]] से 30 मील की दूरी पर स्थित है। इसे 'मेलूकोटे' भी कहा जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=771|url=}}</ref> | '''यादवगिरि''' अथवा '''यादवाद्रि''' [[मैसूर]] से 30 मील की दूरी पर स्थित है। इसे '[[मेलुकोटे|मेलूकोटे]]' भी कहा जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=771|url=}}</ref> | ||
*इसी स्थान पर [[तोन्नूर]] नामक [[ग्राम]] बसा हुआ है। | *इसी स्थान पर [[तोन्नूर]] नामक [[ग्राम]] बसा हुआ है। | ||
*[[देवगिरि का यादव वंश|देवगिरि के यादव]] नरेशों के नाम से ही यह स्थान प्रसिद्ध था। | *[[देवगिरि का यादव वंश|देवगिरि के यादव]] नरेशों के नाम से ही यह स्थान प्रसिद्ध था। | ||
*प्रसिद्ध दार्शनिक तथा धर्माचार्य [[रामानुज]], [[चोल राजवंश|चोल]] नरेश [[करिकाल]] के अत्याचार से बचकर यादवगिरि के [[विष्णुवर्धन|राजा विष्णुवर्धन]] की शरण में आकर रहे थे। | *प्रसिद्ध दार्शनिक तथा धर्माचार्य [[रामानुज]], [[चोल राजवंश|चोल]] नरेश [[करिकाल]] के अत्याचार से बचकर यादवगिरि के [[विष्णुवर्धन|राजा विष्णुवर्धन]] की शरण में आकर रहे थे। | ||
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यादवगिरि अथवा यादवाद्रि मैसूर से 30 मील की दूरी पर स्थित है। इसे 'मेलूकोटे' भी कहा जाता है।[1]
- इसी स्थान पर तोन्नूर नामक ग्राम बसा हुआ है।
- देवगिरि के यादव नरेशों के नाम से ही यह स्थान प्रसिद्ध था।
- प्रसिद्ध दार्शनिक तथा धर्माचार्य रामानुज, चोल नरेश करिकाल के अत्याचार से बचकर यादवगिरि के राजा विष्णुवर्धन की शरण में आकर रहे थे।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 771 |