गुलमोहर: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
||
Line 20: | Line 20: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{पुष्प}} | {{पुष्प}} | ||
[[Category:पुष्प]] | [[Category:पुष्प]] |
Revision as of 14:07, 14 September 2010
thumb|250px|गुलमोहर के फूल
Delonix Regia
गुलमोहर एक सुगंन्धित पुष्प है। गुलमोहर मडागास्कर का पेड़ है। सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने मडागास्कर में इसे देखा था। प्रकृति ने गुलमोहर को बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से बनाया है, इसके हरे रंग की फर्न जैसी झिलमिलाती पत्तियों के बीच बड़े-बड़े गुच्छों में खिले फूल इस तरीके से शाखाओं पर सजते है कि इसे विश्व के सुंदरतम वृक्षों में से एक माना गया है।
इतिहास
फ्रांसीसियों ने गुलमोहर को सबसे अधिक आकर्षक नाम दिया है उनकी भाषा में इसे स्वर्ग का फूल कहते हैं। वास्तव में गुलमोहर का सही नाम 'स्वर्ग का फूल' ही है। भारत में इसका इतिहास क़रीब दो सौ वर्ष पुराना है। संस्कृत में इसका नाम 'राज-आभरण' है, जिसका अर्थ राजसी आभूषणों से सजा हुआ वृक्ष है। गुलमोहर के फूलों से श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा के मुकुट का श्रृंगार किया जाता है। इसलिए संस्कृत में इस वृक्ष को 'कृष्ण चूड' भी कहते हैं।
रंग
गुलमोहर में नारंगी और लाल मुख्यत: दो रंगों के फूल ही होते है। परंतु प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली प्रजाति फ्लेविडा" पीले रंग के फूलों वाली होती है।
गुलमोहर का फूल
गुलमोहर का फूल आकार में बड़ा होता है यह फूल लगभग 13 सेमी का होता है। इसमें पाँच पंखुड़ियाँ होती हैं। चार पंखुड़ियाँ तो आकार और रंग में समान होती हैं पर पाँचवी थोड़ी लंबी होती है और उस पर पीले सफ़ेद धब्बे भी होते हैं। फूलों का रंग सभी को अपनी ओर खींचता है मियामी में तो गुलमोहर को इतना पसंद किया जाता है कि वे लोग अपना वार्षिक पर्व भी तभी मनाते है जब गुलमोहर के पेड़ में फूल आते हैं। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। शहद की मक्खियाँ फूलों पर खूब मँडराती हैं। मकरंद के साथ पराग भी इन्हें इन फूलों से प्राप्त होता है। गुलमोहर की फली का रंग हरा होता है जबकि बीज भूरे रंग के बहुत सख्त होते हैं। कई जगहों पर इसे ईधन के काम में भी लाया जाता है। जब हवाएँ चलती हैं तो इनकी आवाज़ झुनझुने की तरह आती है, तब ऐसा लगता है जैसे कोई बातें कर रहा है इसीलिए इसका एक नाम "औरत की जीभ" भी है।
औषधीय प्रयोग
गुलमोहर की छाल और बीजों का आयुर्वेदिक महत्व भी हैं। सिरदर्द और हाजमे के लिए आदिवासी लोग इसकी छाल का प्रयोग करते है। मधुमेह की कुछ आयुर्वेदिक दवाओं में भी गुलमोहर के बीजों को अन्य जड़ी-बूटियों के साथ मिला कर भी उपयोग किया जा चुका है। गुलमोहर की छाल का उपयोग मलेरिया की दवा में भी किया जाता है। ऐसी बहुत-सी दवाएँ आज बाज़ार में उपलब्ध हैं जिनमें गुलमोहर के बीज या छाल को किसी न किसी रूप में डाला गया है। होली के रंग बनाने में गुलमोहर फूलों का प्रयोग किया जाता है।
|
|
|
|
|
संबंधित लेख