प्रयोग:कविता बघेल 9: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
Line 16: Line 16:
|नागरिकता=भारतीय
|नागरिकता=भारतीय
|प्रसिद्धि=
|प्रसिद्धि=
|पार्टी=भारतीय कांग्रेस पार्टी
|पार्टी=[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|भारतीय कांग्रेस पार्टी]]
|पद=वर्तमान में [[पंजाब]] के 26वें [[मुख्यमंत्री]] है।
|पद=वर्तमान में [[पंजाब]] के 26वें [[मुख्यमंत्री]] है।
|कार्य काल=
|कार्य काल=

Revision as of 12:02, 25 March 2017

कविता बघेल 9
पूरा नाम कैप्टन अमरिंदर सिंह
जन्म 11 मार्च, 1942
जन्म भूमि पटियाला
अभिभावक महाराजा यादविंदर सिंह
पति/पत्नी परनीत कौर
संतान पुत्र रनिंदर सिंह और पुत्री जय इंदर कौर
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय कांग्रेस पार्टी
पद वर्तमान में पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री है।
शिक्षा स्नातक
विद्यालय राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला
विशेष: कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कई किताबें लिखी हैं जिनमें 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुड़े इनके संस्मरण भी शामिल हैं।
अन्य जानकारी कैप्टन अमरिंदर ने अमृतसर से 2014 में लोकसभा चुनाव जीता और भाजपा नेता अरुण जेटली को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी।

कैप्टन अमरिंदर सिंह (अंग्रेज़ी:Captain Amrinder Singh जन्म: 11 मार्च, 1942 पटियाला) वर्तमान में पंजाब के 26वें मुख्यमंत्री है। मोदी लहर के बीच कांग्रेस के लिए जीत का परचम लहराने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने है। ये उन बहुत कम नेताओं में शामिल हैं, जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान लड़े थे। व्यापक रुप से लोकप्रिय एवं सम्मानित नेता अमरिंदर ने 117 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 77 सीटों पर शानदार जीत दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया और दूसरी बार मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला। इससे पहले ये 2002 से 2007 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।[1]

जन्म एवं शिक्षा

कैप्टन अमरिंदर सिंह का जन्म 11 मार्च 1942 को तत्कालीन पटियाला रियासत के शाही परिवार में हुआ था। यह महाराजा यादविंदर सिंह के पुत्र हैं। लॉरेंस स्कूल सनावर और देहरादून स्थित दून स्कूल में प्रारंभिक पढ़ाई करने के बाद इन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला में जुलाई 1959 में दाखिला लिया और दिसंबर 1963 में वहां से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।[2] इनकी पत्नी परनीत कौर है, जो राजनीति में सक्रिय हैं तथा मनमोहन सिंह की सरकार में ये भारत की विदेश राज्य मंत्री रह चुकी हैं। इनके परिवार में पुत्र रनिंदर सिंह और पुत्री जय इंदर कौर हैं। इनकी पत्नी परनीत कौर वर्ष 2009 से 2014 तक केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री रही हैं।[1]

भारत सेना में शामिल

कैप्टन अमरिंदर सिंह राजनीति में आने से पहले 1963 में भारतीय सेना में शामिल हुए और इन्हें दूसरी बटालियन सिख रेजीमेंट में तैनात किया गया। इसी रेजीमेंट में इनके पिता एवं दादा ने सेवाएं दी थी। अमरिंदर ने फील्ड एरिया-भारत तिब्बत सीमा पर दो साल तक सेवाएं दी और इन्हें पश्चिमी कमान के जीओसी इन सी लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह का ऐड डि कैम्प नियुक्त किया गया था। सेना में इनका करियर छोटा रहा। इनके पिता को इटली का राजदूत नियुक्त किए जाने के बाद इन्होंने 1965 की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था क्योंकि घर पर उनकी आवश्यकता थी लेकिन यह पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ने के तत्काल बाद सेना में शामिल हो गए और इन्होंने युद्ध अभियानों में हिस्सा लिया। इन्होंने युद्ध समाप्त होने के बाद 1966 की शुरुआत में फिर से इस्तीफा दे दिया।

राजनीतिक सफर

कैप्टन अमरिंदर सिंह का राजनीतिक करियर जनवरी 1980 में शुरु हुआ जब इन्हें सांसद नियुक्त किया गया लेकिन इन्होंने वर्ष 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार' के दौरान स्वर्ण मंदिर में सेना के घुसने के विरोध में कांग्रेस और लोकसभा से इस्तीफा दे दिया। अमरिंदर अगस्त 1985 में अकाली दल में शामिल हुए। इसके बाद इन्हें 1995 के चुनावों में अकाली दल लोंगोवाल की टिकट से पंजाब विधानसभा में चुना गया। यह सुरजीत सिंह बरनाला की सरकार में कृषि मंत्री रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 5 मई, 1986 में स्वर्ण मंदिर में अर्द्धसैन्य बलों के प्रवेश के खिलाफ कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद इन्होंने पंथिक अकाली दल का गठन किया जिसका बाद में 1997 में कांग्रेस में विलय हो गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 1998 में पटियाला से कांग्रेस के टिकट पर संसदीय चुनाव लड़ा लेकिन इन्हें सफलता नहीं मिली।

मुख्यमंत्री पद

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की पंजाब इकाई में प्रमुख रुप से 1999 से 2002 के बीच सेवाएं दीं। इसके बाद यह 2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने और इन्होंने 2007 तक इस पद पर सेवाएं दी। भूमि हस्तांतरण मामले में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर एक राज्य विधानसभा समिति ने सितंबर 2008 में इन्हें बर्खास्त कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने 2010 में इन्हें राहत देते हुए इनके निष्कासन को असंवैधानिक करार दिया। यह 2013 तक फिर से कांग्रेस के राज्य प्रमुख रहे। वर्ष 2013 तक कांग्रेस कार्यकारी समिति में स्थायी रुप से आमंत्रित किए जाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अमृतसर से 2014 में लोकसभा चुनाव जीता और भाजपा नेता अरुण जेटली को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी। इन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर समझौता रद्द करने के पंजाब के 2004 के क़ानून को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद नवंबर में सांसद के तौर पर इस्तीफा दे दिया। इन्हें कुछ दिनों बाद पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। अमरिंदर ने कई किताबें लिखी हैं जिनमें 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध से जुडे उनके संस्मरण भी शामिल हैं।