नवंबर
नवंबर
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विवरण | ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ग्यारहवाँ महीना है। |
हिंदी माह | कार्तिक - मार्गशीर्ष |
हिजरी माह | मुहर्रम - सफ़र |
कुल दिन | 30 |
व्रत एवं त्योहार | कार्तिक पूर्णिमा, दीपावली (कार्तिक पूर्णिमा), गोवर्धन पूजा (मार्गशीर्ष प्रतिपदा), यम द्वितीया, छठ पूजा |
जयंती एवं मेले | गुरु नानक जयंती |
महत्त्वपूर्ण दिवस | विश्व उर्दू दिवस (9), राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (11), राष्ट्रीय पक्षी दिवस (12), बाल दिवस (14), विश्व मधुमेह दिवस (14) |
पिछला | अक्टूबर |
अगला | दिसम्बर |
अन्य जानकारी | नवंबर वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है। |
नवंबर (अंग्रेज़ी: November) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का ग्यारहवाँ महीना है। यह वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।[[चित्र:Lakshmi-ganesh-1.jpg|thumb|left|दीपावली]]
नवंबर के पर्व एवं त्योहार
स्मरणीय तथ्य यह है कि हिन्दुओं के पर्व एवं त्योहारों का संबंध ग्रेगोरी कैलंडर से न होकर विक्रम संवत से होता है।
का पोम्ब्लांग नोंगक्रेम
मेघालय के खासियों में मनाया जाने वाला यह पर्व नृत्य संगीत का एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है जो पाँच दिनों तक लगातार चलता रहता है। इस समय अच्छी फ़सल के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है, धन्यवाद दिया जाता है और वर्ष भर के लिए सुख व शांति की प्रार्थना की जाती है। अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित मेघालय के निवासी जब हज़ारों की संख्या में नोंगक्रेम का प्रदर्शन करते हैं तो हिमालय की इस घाटी का सौन्दर्य व उल्लास देखते ही बनता है।
लखनऊ महोत्सव
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दस दिन चलने वाले इस त्योहार में बड़ी ही चहल-पहल होती है। रंगबिरंगी शोभायात्राएं, पारम्पारिक नाट्य अभिनय, लखनऊ घराने का लोकप्रिय कथक नृत्य, सारंगी और सितार वादन, ग़ज़ल व कव्वालियों के साथ उत्सव को सजीव बना देते हैं। साथ ही समय के साथ भूले बिसरे नवाबी समय के खेल जैसे - इक्के की दौड़, मुर्गों की लड़ाई फिर से इतिहास को वर्तमान में ला खड़ा करते हैं। पतंगबाज़ी तथा अन्य अनेक खेल स्पर्धाएं जहाँ तहाँ आयोजित होती रहती हैं। उत्तर प्रदेश के उद्योग और व्यापार में भी इस महोत्सव का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
सोनपुर मेला
गंगा गंडक और घाघरा के त्रिकोण पर बसे बिहार के सोनपुर नगर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन एशिया का सबसे बड़ा पशु- मेला आयोजित किया जाता है। एक महीने तक चलने वाले इस मेले में पशुओं की सजधज और ख़रीद फरोख्त देखते ही बनती है। हर साल इस मेले में हज़ारों पशु ख़रीदे और बेचे जाते हैं। इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन और खिलौने, हस्तकला की वस्तुएँ, हस्त निर्मित वस्त्र और आभूषण इस मेले के प्रमुख आकर्षण हैं।[[चित्र:Pushkar-Camel-Fair.jpg|thumb|left|पुष्कर मेला]]
दीपावली
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ज्योति के इस पर्व का सम्पूर्ण भारत में आतुरता से इन्तजार किया जाता है। भगवान राम के चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या वापसी की खुशी मे दीवाली मनाई जाती हैं। घरों पर रंग-ओ-रोगन होता है। नये फर्नीचर, वस्त्रों, गहनों और बर्तनों की ख़रीदारी की जाती है, पुरानी और टूटी फूटी चीज़ों की रद्दोबदल की जाती है और दीपावली की रात में घर आने वाली लक्ष्मी की स्वागत की तैयारी में हर ओर सजावट की जाती है। रात में लक्ष्मी पूजन के बाद घर बाहर दिये जलाए जाते हैं, मित्रों और संबधियों में मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं तथा दीवाली की रात, सारी रात जाग कर अलग-अलग खेल खेलकर मनोरंजन किया जाता है। मिलना मिलाना तथा भेंट और मिष्ठान्न का आदान प्रदान कई दिनों तक चलता रहता है।
पुष्कर मेला
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पुष्कर, (राजस्थान) में कार्तिक महीने में बारह दिन चलने वाला यह मेला सजे धजे पुष्कर के मैदान में होता है। पशुओं की ख़रीद-फरोख्त, ऊँट रेस, चूडियाँ, बर्तन, कपड़े, ऊँट की सवारी में काम आने वाली वस्तुएँ जैसे गद्दी और उसमें लगाने वाली रस्सी, फुँदने, घंटियाँ और सजावट के सामानों का आकर्षण व्यापार यहाँ होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रद्धा के साथ पुष्कर के पवित्र तालाब में डुबकी लगाने और ब्रह्मा के मंदिर में दर्शन करने की परंपरा हैं। [[चित्र:Guru-Nanak.jpg|thumb|गुरु नानक]]
गुरु परब
सिक्ख धर्म के सबसे पहले गुरु गुरु नानक का जन्मदिन सिख समुदाय में गुरु परब नाम से बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता हैं। पूरे भारत में इस दिन गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। उनकी धार्मिक पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब की शोभायात्रा इस पर्व का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। गुरु पूर्णिमा नाम से यही पर्व भारत के अन्य भागों में भी मनाया जाता है।
हम्पी महोत्सव
प्राचीन साम्राज्य विजयनगर की राजधानी का अवशेष नगर हम्पी नवम्बर के पहले सप्ताह में उस समय पुनर्जीवित हो उठता है जब यहाँ पर यह नृत्य और संगीत का शास्त्रीय पर्व मनाया जाता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नवम्बर माह के पर्व (हिंदी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 10 जून, 2013।
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