यू. यू. ललित: Difference between revisions
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जस्टिस यू. यू. ललित ने [[जून]] [[1983]] में वकालत की शुरुआत की थी। उन्होंने साल [[1983]] से साल [[1985]] तक मुम्बई उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। साल [[1986]] से साल [[1992]] तक वह पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ भी काम कर चुके हैं। साल [[2004]] में [[सुप्रीम कोर्ट]] ने उन्हें एक सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया। | जस्टिस यू. यू. ललित ने [[जून]] [[1983]] में वकालत की शुरुआत की थी। उन्होंने साल [[1983]] से साल [[1985]] तक मुम्बई उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। साल [[1986]] से साल [[1992]] तक वह पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ भी काम कर चुके हैं। साल [[2004]] में [[सुप्रीम कोर्ट]] ने उन्हें एक सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया। |
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उदय उमेश ललित (अंग्रेज़ी: Uday Umesh Lalit, जन्म- 9 नवम्बर, 1957) भारत के होने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं। वह पूर्व मुख्य न्ययाधीश एन. वी. रमण का स्थान लेंगे। जस्टिस यू. यू. ललित 27 अगस्त, 2022 से पदभार ग्रहण करेंगे। उनका कार्यकाल तीन महीने से भी कम का होगा, क्योंकि वह 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त होंगे। न्यायाधीश यू. यू. ललित कई हाई-प्रोफाइल केसेज़ से जुड़े रहे हैं। इसमें काला हिरण शिकार मामले में अभिनेता सलमान ख़ान का केस, भ्रष्टाचार के मामले में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का केस और अपनी जन्म तिथि से जुड़े एक मामले में पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी. के. सिंह का केस भी शामिल है। वह अमित शाह के वकील भी रह चुके हैं।
वकालत
जस्टिस यू. यू. ललित ने जून 1983 में वकालत की शुरुआत की थी। उन्होंने साल 1983 से साल 1985 तक मुम्बई उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। साल 1986 से साल 1992 तक वह पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ भी काम कर चुके हैं। साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया।
यू. यू. ललित क्रिमिनल लॉ के स्पेशलिस्ट हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2जी मामलों में सीबीआई के पब्लिक प्रोसिक्यूटर के रूप में ट्रायल्स में हिस्सा लिया। इसके अलावा उन्होंने दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। उन्हें 13 अगस्त, 2014 को सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। इसके बाद उन्हें मई 2021 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया।[1]
कब आये चर्चा में
- अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस यू. यू. ललित ने कई बार खुद को हाई-प्रोफाइल मामलों से अलग कर लिया। साल 2014 में उन्होंने याकूब मेनन की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इस याचिका में 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में मेनन की मौत की सजा को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी।
- साल 2015 में उन्होंने 2008 के मालेगांव विस्फोटों में निष्पक्ष सुनवाई की मांग करने वाली याचिका पर खुद को सुनवाई से अलग कर लिया, क्योंकि उन्होंने पहले एक आरोपी का बचाव किया था।
- साल 2016 में उन्होंने आसाराम बापू के मुकदमे में अभियोजन पक्ष के एक प्रमुख गवाह के लापता होने की जांच की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कौन हैं जस्टिस यूयू ललित? (हिंदी) dnaindia.com। अभिगमन तिथि: 19 अगस्त, 2021।
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