अवध: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Text replace - ":ऐतिहासिक स्थाल कोश" to ":ऐतिहासिक स्थान कोश") |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अवध / Avadh'''<br /> | |||
अवध शब्द [[अयोध्या]] से निकला है । [[उत्तर प्रदेश]] का यह भाग [[कोशल]] कहलाता था । [[दशरथ]] यहाँ के राजा थे और अयोध्या उनकी राजधानी थी । | अवध शब्द [[अयोध्या]] से निकला है । [[उत्तर प्रदेश]] का यह भाग [[कोशल]] कहलाता था । [[दशरथ]] यहाँ के राजा थे और अयोध्या उनकी राजधानी थी । | ||
*इतिहास में उत्तर भारत के जिन [[सोलह महाजनपद|सोलह जनपदों]] का उल्लेख है, उनमें यह भी था और [[श्रावस्ती]] इसकी राजधानी थी । बाद में इसको जीतकर नंदों और मोर्यों ने [[मगध]] राज्य का अंग बना लिया । | *इतिहास में उत्तर भारत के जिन [[सोलह महाजनपद|सोलह जनपदों]] का उल्लेख है, उनमें यह भी था और [[श्रावस्ती]] इसकी राजधानी थी । बाद में इसको जीतकर नंदों और मोर्यों ने [[मगध]] राज्य का अंग बना लिया । |
Revision as of 08:06, 20 April 2010
अवध / Avadh
अवध शब्द अयोध्या से निकला है । उत्तर प्रदेश का यह भाग कोशल कहलाता था । दशरथ यहाँ के राजा थे और अयोध्या उनकी राजधानी थी ।
- इतिहास में उत्तर भारत के जिन सोलह जनपदों का उल्लेख है, उनमें यह भी था और श्रावस्ती इसकी राजधानी थी । बाद में इसको जीतकर नंदों और मोर्यों ने मगध राज्य का अंग बना लिया ।
- चौथी शताब्दी में अवध गुप्त साम्राज्य का और सातवीं में हर्षवर्धन के साम्राज्य का अंग था ।
- नवीं शताब्दी में गुर्जर-प्रतिहारों ने इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया ।
- सन 1192 में शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी के एक सहायक ने अवध को जीता तो उसके बाद मुसलमान अमीरों का यहाँ बसना आरंभ हो गया ।
- मुहम्म्द तुगलक के शासन काल में सबसे अधिक व्यक्ति आये । 1340 ई॰ में अवध को दिल्ली के शासन का अंग बना लिया और यह स्थिति 1724 ई॰ तक रही । इस वर्ष अवध के मुग़ल सूबेदार सआदत खां ने अपने को दिल्ली से स्वतंत्र करके अवध के नवाब वंश की नींव डाली । तीन पीढ़ियों तक शासन करने के बाद इस वंश का अन्तिम नवाब शुजाउद्दौला 1764 ई॰ में अंग्रेजों से हार गया । इसके बाद नवाबों की शक्ति घटती गई और ईस्ट इंडिया कंपनी का पंजा कसता गया अंतिम नवाब वाजिद अली शाह को अंग्रेजों ने 1856 ई॰ में कुशासन का अभियोग लगाकर अवध की गद्दी से उतार दिया और यह भाग ब्रिटिश भारत का अंग बन गया ।
- 1902 ई॰ में आगरा और अवध को मिलाकर ‘संयुक्त प्रांत आगरा व अवध’ बनाया गया । भारत के स्वतंत्र होने पर इस प्रांत का नाम उत्तर प्रदेश पड़ा ।
- अवध के नवाबों के शासनकाल में यहां मुस्लिम संस्कृति का पर्याप्त प्रसार हुआ । उन्होंने अनेक मस्जिदों और भवनों का निर्माण किया जो आज भी राजधानी लखनऊ तथा अन्य निकटवर्ती नगरों का आकर्षण है ।