गुवाहाटी: Difference between revisions

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गुवाहाटी राज्य का पर्यटन विभाग आसपास के स्थलों की यात्राएँ आयोजित करता है। कई स्थानीय मेले तथा उत्सव भी यहाँ मनाए जाते हैं। सर्दियों में [[असम]] चाय उत्सव मनाया जाता है। गुवाहाटी में मंदिरों वाली छोटी पहाड़ियाँ हैं। शहर के बीचोंबीच शुक्लेश्वर की पहाड़ी पर जनार्दन मंदिर है। उसमें स्थापित बुद्ध की प्रतिमा में हिंदू और बौद्ध विशिष्टताओं का अनोखा मिश्रण है। चित्राचल पहाड़ी पर बना नवगढ़ (नवगृह) मंदिर, ज्योतिष और ख़गोल शास्त्र के अध्ययन का प्राचीन केंद्र था। संभवतः गुवाहाटी का प्राचीन नाम प्रागज्योतिषपुर इसी मंदिर के कारण पड़ा होगा। नगर के केन्द्र से 8 किलोमीटर के फ़ासले पर पवित्र नीलाचंल की पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर सबसे महत्त्वपूर्ण है। यह तांत्रिक अनुष्ठानों तथा वैश्विक मातृसत्ता की प्रतीक शक्ति का उपासना स्थल है। वर्तमान मंदिर का निर्माण मूल मंदिर के 10 वीं सदी में ध्वस्त कर दिए जाने पर किया गया था। इस पहाड़ी की चोटी से ब्रह्मपुत्र नदी के मयूर द्वीप में स्थित उमानंद ([[शिव]]) मंदिर तथा नगर से 12 किलोमीटर दूर स्थित वसिष्ठ आश्रम हैं।
गुवाहाटी राज्य का पर्यटन विभाग आसपास के स्थलों की यात्राएँ आयोजित करता है। कई स्थानीय मेले तथा उत्सव भी यहाँ मनाए जाते हैं। सर्दियों में [[असम]] चाय उत्सव मनाया जाता है। गुवाहाटी में मंदिरों वाली छोटी पहाड़ियाँ हैं। शहर के बीचोंबीच शुक्लेश्वर की पहाड़ी पर जनार्दन मंदिर है। उसमें स्थापित बुद्ध की प्रतिमा में हिंदू और बौद्ध विशिष्टताओं का अनोखा मिश्रण है। चित्राचल पहाड़ी पर बना नवगढ़ (नवगृह) मंदिर, ज्योतिष और ख़गोल शास्त्र के अध्ययन का प्राचीन केंद्र था। संभवतः गुवाहाटी का प्राचीन नाम प्रागज्योतिषपुर इसी मंदिर के कारण पड़ा होगा। नगर के केन्द्र से 8 किलोमीटर के फ़ासले पर पवित्र नीलाचंल की पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर सबसे महत्त्वपूर्ण है। यह तांत्रिक अनुष्ठानों तथा वैश्विक मातृसत्ता की प्रतीक शक्ति का उपासना स्थल है। वर्तमान मंदिर का निर्माण मूल मंदिर के 10 वीं सदी में ध्वस्त कर दिए जाने पर किया गया था। इस पहाड़ी की चोटी से ब्रह्मपुत्र नदी के मयूर द्वीप में स्थित उमानंद ([[शिव]]) मंदिर तथा नगर से 12 किलोमीटर दूर स्थित वसिष्ठ आश्रम हैं।



Revision as of 09:42, 24 January 2011

गुवाहाटी
[[चित्र:Kamakhya-Temple-Gauwahati.jpg|कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी|200px|center]]
विवरण गुवाहाटी शहर, भूतपूर्व गौहाटी, पश्चिमी असम राज्य पूर्वोत्तर भारत में स्थित है। गुवाहाटी ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर बसा एक नैसर्गिक सौंदर्य संपन्न शहर है।
राज्य असम
ज़िला कामरूप ज़िला
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 26.13° पूर्व- 91.77°
प्रसिद्धि गुवाहाटी को विश्व का सबसे बड़ा चाय का बाजार माना जाता है।
कैसे पहुँचें रेल, बस, हवाई जहाज, टैक्सी
हवाई अड्डा नज़दीकी बोरार हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन गुवाहाटी रेलवे स्टेशन
बस अड्डा गुवाहाटी बस अड्डा
यातायात बस, टैक्सी
क्या देखें गुवाहाटी पर्यटन
कहाँ ठहरें होटल, अतिथि-ग्रह, धर्मशाला
क्या ख़रीदें रेशमी और ऊनी कपड़े
एस.टी.डी. कोड 0361
चित्र:Map-icon.gif गूगल मानचित्र
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गुवाहाटी शहर, भूतपूर्व गौहाटी, पश्चिमी असम राज्य पूर्वोत्तर भारत में स्थित है। गुवाहाटी ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर बसा एक नैसर्गिक सौंदर्य संपन्न शहर है, जिसके दक्षिण में वनाच्छादित पहाड़ियाँ हैं। गुवाहाटी असम का सबसे बड़ा और ख़ूबसूरत शहर है। गुवाहाटी अपनी अद्वितीय, विविध और रंगीन संस्कृति के लिए जाना जाता है।

इतिहास

400 ई. में गुवाहाटी कामरूप की राजधानी (प्रागज्योतिषपुर यानी "ज्योतिषशास्त्र का नगर" के नाम से) हुआ करता था। महाभारत काल में पूर्व के प्रकाश के नाम से प्रसिद्ध यह स्थान असुर राजा नरकासुर की राजधानी थी। कहा जाता है कि यहीं पर सौन्दर्य और जीवन के स्रोत हिन्दू देव कामरूप का पुनर्जन्म हुआ था। इसके उल्लेख भारतीय पुराणों में भी हैं। काफ़ी समय तक यह हिंदू तीर्थस्थल तथा शिक्षा का केन्द्र भी रहा है। सातवीं सदी के महान यात्री ह्वेनसांग ने इस शहर का वर्णन किया है। ख़ासतौर से गुवाहाटी के वनों, सुंदर पर्वत मालाओं तथा वन्यजीवन का उल्लेख किया गया है। 17 वीं सदी में यह नगर बार-बार मुसलमान तथा अहोम शासकों (चीन के युन्नान प्रांत से यहाँ पहुँची ताई भाषा बोलने वाली जाति) के हाथों में आता-जाता रहा और अंततः 1681 में यह निचले असम के अहोम प्रशासक का मुख्यालय बना तथा 1786 में अहोम राजा ने इसे अपनी राजधानी बना लिया। गुवाहाटी पर 1816 से 1826 तक बर्मियों का क़ब्ज़ा रहा, जब यांदाबू की संधि के द्वारा उन्होंने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया। 1874 में असम की राजधानी को यहाँ से 108 किलोमीटर दूर शिलांग ले जाया गया। 1973 से गुवाहाटी असम की राजधानी है। दिसपुर के नई राजधानी बन जाने के बाद भी यह शहर न केवल असम बल्कि समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र का व्यापारिक केंद्र बना हुआ है।

उद्योग व व्यवसाय

गुवाहाटी असम का महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र तथा बंदरगाह है। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार गुवाहाटी आसपास के क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे विश्व का सबसे बड़ा चाय का बाज़ार माना जाता है। यहाँ एक तेलशोधन संयंत्र और सरकारी कृषि क्षेत्र है तथा उद्योगों में चाय तथा कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, अनाज पिसाई तथा साबुन बनाना हैं। यहाँ कोई अन्य बड़े उद्योग नहीं हैं। लगभग 17 प्रतिशत आबादी उद्योग, व्यापार तथा वाणिज्य में लगी हुई है तथा उद्योगों पर राजस्थान से आए मारवाड़ियों का एकाधिकार है।

संस्कृति

गुवाहाटी की आबादी मिलीजुली है, जिसमें बंगाली, पंजाबी, बिहारी, नेपाली, राजस्थानी तथा बांग्लादेशी शामिल हैं। इसके अलावा यहाँ सारे पूर्वोत्तर भारत के आदिवासी समुदायों के लोग भी बसते हैं। यहाँ गुवाहाटी विश्वविद्यालय (स्थापना 1948), अर्ल लॉ कॉलेज, राज्य उच्च न्यायालय अनेक हिंदू तीर्थस्थलों के अवशेष बिखरे पड़े हैं।

परिवहन

गुवाहाटी में हवाई अड्डा और छोटी तथा बड़ी लाइन के रेलमार्ग हैं। बोरझार हवाई अड्डा शहर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नगर पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के साथ भली-भाँति जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसों के अलावा निजी बसें तथा टैक्सियाँ भी उपलब्ध हैं। वृहत्तर गुवाहाटी की नगरयोजना में 262 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र शामिल है।

वायु मार्ग

गुवाहाटी से 18 किलोमीटर दूर बोरार हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है। इस हवाई अड्डे से दिल्ली, कोलकाता, अगरतला, इम्फाल, आईजोल, डिब्रूगढ़ और जोरहट की सीधी उड़ाने है।

रेल मार्ग

गुवाहाटी नार्थईस्ट फ्रन्टियर रेलवे का मुख्यालय है जो देश के प्रमुख शहरों द्वारा जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग

गुवाहाटी सड़क मार्ग द्वारा अनेक शहरों से जुड़ा है। असम राज्य परिवहन निगम की बसें शिलांग, तेजपुर, सिलचर, आईजोल, डिब्रूगढ़, इम्फाल, अगरतला आदि शहरों को अपनी सेवाएँ प्रदान करती हैं।

पर्यटन

गुवाहाटी राज्य का पर्यटन विभाग आसपास के स्थलों की यात्राएँ आयोजित करता है। कई स्थानीय मेले तथा उत्सव भी यहाँ मनाए जाते हैं। सर्दियों में असम चाय उत्सव मनाया जाता है। गुवाहाटी में मंदिरों वाली छोटी पहाड़ियाँ हैं। शहर के बीचोंबीच शुक्लेश्वर की पहाड़ी पर जनार्दन मंदिर है। उसमें स्थापित बुद्ध की प्रतिमा में हिंदू और बौद्ध विशिष्टताओं का अनोखा मिश्रण है। चित्राचल पहाड़ी पर बना नवगढ़ (नवगृह) मंदिर, ज्योतिष और ख़गोल शास्त्र के अध्ययन का प्राचीन केंद्र था। संभवतः गुवाहाटी का प्राचीन नाम प्रागज्योतिषपुर इसी मंदिर के कारण पड़ा होगा। नगर के केन्द्र से 8 किलोमीटर के फ़ासले पर पवित्र नीलाचंल की पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर सबसे महत्त्वपूर्ण है। यह तांत्रिक अनुष्ठानों तथा वैश्विक मातृसत्ता की प्रतीक शक्ति का उपासना स्थल है। वर्तमान मंदिर का निर्माण मूल मंदिर के 10 वीं सदी में ध्वस्त कर दिए जाने पर किया गया था। इस पहाड़ी की चोटी से ब्रह्मपुत्र नदी के मयूर द्वीप में स्थित उमानंद (शिव) मंदिर तथा नगर से 12 किलोमीटर दूर स्थित वसिष्ठ आश्रम हैं।

जनसंख्या

2001 की जनगणना के अनुसार गुवाहाटी शहर की जनसंख्या 8,08,021 है।


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