डाक टिकटों में महात्मा गाँधी: Difference between revisions

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चित्र:gandhi 11.jpg|महात्मा गाँधी
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चित्र:Gandhi_Carkha.jpg|महात्मा गाँधी शताब्दी
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चित्र:Gandhi_Nehru 22.jpg|भारत छोङो प्रस्ताव , अगस्त 1942 पर महात्मा गाँधी और नेहरू जी
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चित्र:Mahatma-Gandhi-And-Jawahar-Lal-Nehru-Stamp.jpg|[[जवाहर लाल नेहरू]] और [[महात्मा गाँधी]] के सम्मान में जारी डाक टिकट
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चित्र:Mahatma_Gandhi 33.jpg|महात्मा गाँधी
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चित्र:gandhi st.jpg|महात्मा गाँधी <br />चित्रकार
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चित्र:gandhi baby 11.jpg|विश्व बाल दिवस 1979 पर महात्मा गाँधी
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चित्र:gandhi four.jpg|महात्मा गाँधी
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चित्र:Gandhi two.jpg|डंडी यात्रा और नमक सत्याग्रह आन्दोलनों में महात्मा गाँधी
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चित्र:Mahatma_Gandhi 23.jpg|महात्मा गाँधी के 125 वर्ष पर <br />1994
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चित्र:gandhi wife.jpg|महात्मा गाँधी
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चित्र:Gandhi_0014.jpg|60वें मानव अधिकार दिवस पर महात्मा गाँधी
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चित्र:gandhi jry.jpg|गाँधी जी<br />चित्रकार
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चित्र:gandhi 55.gif|महात्मा गाँधी
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चित्र:gandhi pp.jpg|महात्मा गाँधी
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चित्र:gandhi  by.jpg|भारतीय गणराज्य के 50 वर्ष पर महात्मा गाँधी 
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चित्र:gandhi bapu.jpg|महात्मा गाँधी
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महात्मा गाँधी और विश्व
गाँधी जी के विभिन्न चित्र|thumb विश्व पटल पर महात्मा गाँधी सिर्फ एक नाम नहीं अपितु शान्ति और अहिंसा का प्रतीक है। महात्मा गाँधी के पूर्व भी शान्ति और अहिंसा की अवधारणा फलित थी, परन्तु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह एवं शान्ति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुये अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता। तभी तो गांधी की मृत्यु पर, प्रख्यात वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि -‘‘हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इन्सान धरती पर कभी आया था। / आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात का यकीन कर पाएं कि कभी धरती पर गांधी जैसा कोई शख्स भी पैदा हुआ था।’’ संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गाँधी जयन्ती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाये जाने की घोषणा की।[1]

महात्मा गाँधी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय राजनेताओं और व्यक्तित्व में से हैं। यही कारण है कि प्राय: अधिकतर देशों ने उनके सम्मान में डाक-टिकट जारी किये हैं। देश विदेश के टिकटों में देखें तो गांधी का पूरा जीवन चरित्र पाया जा सकता है। सामान्यतः डाक टिकट एक छोटा सा काग़ज़ का टुकड़ा दिखता है, पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफ़ी ज़्यादा है। डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। यह किसी भी राष्ट्र के लोगों, उनकी आस्था व दर्शन, ऐतिहासिकता, संस्कृति, विरासत एवं उनकी आकांक्षाओं व आशाओं का प्रतीक है। ऐसे में डाक-टिकटों पर स्थान पाना गौरव की बात है। यह जानकर कोई आश्चर्य नहीं होगा कि डाक टिकटों की दुनिया में गांधी सबसे ज़्यादा दिखने वाले भारतीय हैं तथा भारत में सर्वाधिक बार डाक-टिकटों पर स्थान पाने वालों में गाँधी जी प्रथम हैं। यहाँ तक कि आजाद भारत में वे प्रथम व्यक्तित्व थे, जिन पर डाक टिकट जारी हुआ।

बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत को गुलामी के शिकंजे में कसने वाले ब्रिटेन ने जब पहली दफा किसी महापुरूष पर डाकटिकट निकाला तो वह महात्मा गांधी ही थे। इससे पहले ब्रिटेन में डाकटिकट पर केवल राजा या रानी के ही चित्र छापे जाते थे। गांधी जी पर डाक टिकट जारी करने का फैसला सबसे पहले साल 1948 में लिया गया। बापू श्रंखला के यह चारों डाक टिकट जो साल 2 अक्टूबर 1948 में गांधी जी की 80वीं वर्षगांठ पर इस डाक टिकट को जारी करने का फैसला लिया गया। लेकिन उससे पहले गांधी जी की हत्या कर दी गई। तब इन टिकटों को गांधी जी को सम्मान देने के लिए 15 अगस्त 1948 को जारी किया गया। इनके मूल्य डेढ़ आना, साढ़े तीन आना और 12 आना रखा गया था। गांधीजी के साथ ‘बा’ यानी कस्तूरबा गांधी को भी उन डाक टिकटों में जगह दी गई है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ही पहल करते हुए यह चारों डाक टिकट पर बापू को डिजाइन का हिस्सा बनाया था। इस पूरे घटनाक्रम में दिलचस्प बात यह थी कि जिंदगी भर ‘स्वदेशी’ को तवज्जो देने वाले गांधी जी को सम्मानित करने के लिए जारी किए गए इन डाक टिकटों की छपाई स्विट्जरलैंड में हुई थी। इसके बाद से लेकर आज तक किसी भी भारतीय डाक टिकट की छपाई विदेश में नहीं हुई।

डाक-टिकट पर पहले गाँधीजी के लिए बापू शब्द का प्रयोग हुआ था, मगर बाद की टिकटों पर महात्मा गाँधी लिखा जाने लगा। कई देशों ने महात्मा गांधी की जन्म शताब्दी, 125वीं जयंती व भारत की 50वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ पर कई प्रकार के अलग-अलग मूल्यों के डाक टिकट व डाक सामग्रियाँ समय–समय पर जारी की हैं। शांति के मसीहा व सहस्त्राब्दि के नायक के रूप में भी अनेक देशों ने, गांधी जी के चित्रों को आधार बना कर डाक टिकट व अन्य डाक सामग्रियाँ जारी की हैं। कई देशों ने महात्मा गांधी पर डाक टिकट ही नहीं बल्कि मिनीएचर और सोविनियर शीट्स जारी की। आज इस बात की हैरानी है कि दुनिया के अधिकांश देशों ने बापू पर टिकट जारी कर उन्हें सम्मान दिया, लेकिन पाकिस्तान ने नहीं। शांति के इस दूत की उपेक्षा की ही शायद वजह है कि पाकिस्तान में कभी भी शांति बहाल नहीं हुई।

सम्मान में जारी डाक टिकट

भारतवर्ष से बाहर के देशों में लगभग 100 से भी अधिक ने गांधी जी के जीवन से जुडे विभिन्न पहलुओं को केंद्र में रखते हुए उनके जीवन पर आधारित विभिन्न डाक सामग्रियाँ व डाक–टिकट जारी किए हैं। इन देशों में विश्व के सभी महाद्वीपों के देश शामिल हैं। [[चित्र:Gandhiji-Postage-Stamp.jpg|thumb|गाँधी जी के सम्मान में जारी विभिन्न देशों के डाक टिकट]]

  • एशिया महाद्वीप के रूस (रशिया), तजाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, वियतनाम, बर्मा, ईरान, भूटान, श्रीलंका, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, किरगीजिस्तान, यमन, सीरिया और साइप्रस जैसे देश इनमें प्रमुख हैं।
  • यूरोपीय देशों में बेल्जियम हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, जिब्राल्टर, ब्रिटेन, यूनान, माल्टा, पोलेंड, रोमानिया, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, ईजडेल द्वीप समूह, मैकोडोनिया, सैन मरीनो और स्टाफ़ा स्काटलैंड के नाम प्रमुख हैं।
  • अमरीकी देशों में संयुक्त राज्य अमरीका (यूनाइटेड स्टेट), ब्राजील, चिली, कोस्टा रीका, क्यूबा, ग्रेनाडा, गुयाना, मेक्सिको, मोंटेसेरेट, पनामा, सूरीनाम, उरुग्वे, वेनेजुएला, ट्रिनिनाड व टोबैगो, निकारागुआ, नेविस, डोमिनिका, एँटीगुआ एवं बारबूडा के नाम उल्लेखनीय हैं।
  • अफ्रीकी देशों में बुर्कीना फासो कैमरून, चाडक़ामरूज, कांगो, मिश्र, गैबन, गांबिया, घाना, लाइबेरिया, मैडागास्कर, माली, मारिटैनिया, मॉरिशस, मोरक्को, मोजांबिक, नाइजर, सेनेगल, सिएरा लियोन, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, टोगो, यूगांडा, और जांबिया के नाम प्रमुख हैं।
  • आस्ट्रेलियाई देशों में ऑस्ट्रेलिया, पलाऊ, माइक्रोनेशिया और मार्शल द्वीप प्रमुख हैं। अतिरिक्त देशो में साईबेरिया, ग्रेनेडा, सन मेरिनो, रोम, कोस्टारिका हैं।

विभिन्न प्रकार के डाक टिकट

गाँधी जी के तरह-तरह के डाक टिकट|thumb|250px

  • मारिशस ने 1969 में गांधी जी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर 6 टिकटों की एक सुन्दर सामूहिका जारी की। इन टिकटों में गांधी जी की विभिन्न मुद्राए शामिल की गई हैं। मारिशस में समूह के रूप में जारी किया जाने वाला यह पहला टिकट था। 6 टिकटों के इस सामूहिक टिकट के हाशिये पर पेंसिल से भारत के ग्रामीण परिवेश के अनेक सुंदर दृष्य अंकित किए गए थे।
  • 1896 में उनके जोहानसबर्ग के कार्यालय में खींचे गए एक चित्र को भारत, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, मार्शल द्वीप और स्कॉटलैंड सहित कई देशों ने अपने डाक टिकटों का विषय बनाया है। मार्शल द्वीप के इस टिकट में गांधी जी को वहाँ के मजदूरों के हितों के लिए आंदोलन करते हुए दिखाया गया है।
  • गांधी जी पर सबसे पहले जारी होने वाले टिकट उनकी 80 वीं वर्षगाँठ पर 2 अक्तूबर, 1949 को उन्हें समर्पित किए जाने के उद्देश्य से बनाए गए थे। लेकिन 30 जनवरी 1947 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद इन टिकटों को चार विभिन्न दरों की मुद्राओं में विक्रय हेतु राष्ट्र की प्रथम स्वतंत्रता वर्षगाँठ पर 15 अगस्त 1947 को जारी किया गया। इन टिकटों की ख़ास बात यह है कि बापू के हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में नाम लिखे हुए सिर्फ़ ये ही टिकट आज तक उपलब्ध हैं। रूस अपने बडे आकार के सुंदर डाक टिकटों के कारण पूरे विश्व में जाना जाता है।
  • भारत के अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमरीका वह पहला देश है जिसने महात्मा गांधी के सम्मानस्वरूप सबसे पहले डाक टिकट जारी किए। अमेरिका ने 26 जनवरी 1961 को महात्मा गांधी पर डाक टिकट जारी किए थे। अमेरिका ने यह टिकट चैंपियंस ऑफ लिबर्टी सीरीज के तहत जारी किए थे। संयुक्त राज्य अमरीका के इन टिकटों पर अंकित चित्र भी एक भारतीय चित्रकार आर. एल. लेखी द्वारा उपलब्ध कराए गए और इन्हें दो विभिन्न मुद्राओं में विक्रय के लिए जारी किया गया।
  • साल 1969 गांधी जी की जन्मशताब्दी के अवसर पर ब्रिटेन समेत लगभग 40 देशों ने उनपर डाक टिकट जारी किए। 'ब्रिटेन' द्वारा जारी किया गया एक टिकट किसी भी विदेशी व्यक्ति पर जारी किया गया ब्रिटेन का पहला डाक टिकट था। ब्रिटेन सरकार द्वारा गांधी जी को यह सम्मान देने पर वहां के संसद में काफ़ी हो हल्ला भी हुआ था। ब्रिटेन के कुछ सांसदों को सरकार का यह फैसला जरा भी अच्छा नहीं लगा था। उन्होंने कहा कि जिस आदमी के कारण भारत में ब्रिटेन साम्राज्य का अंत हुआ उसे सम्मान देने का क्या मतलब है? लेकिन इन सबके बाद भी भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक बिमन मलिक ने गांधी जी पर डाक टिकट डिजाइन किया, जिसे ब्रिटिश सरकार ने जारी किया था। साल 1972 में कोलकाता में गांधी जी पर जारी किए गए डाक टिकटों की एक अंतर्राष्ट्रीय टिकटों की प्रदर्शनी में इसी टिकट को सबसे बेहतरीन टिकट का पुरस्कार मिला था। इसके साथ ही एक प्रथम दिवस कवर भी जारी किया गया था जिस पर लाल रंग से चरखे की आकृति बनाई गई थी।
  • 'कांगो' नामक अफ्रीकी गणराज्य द्वारा जारी डाक टिकट किसी भी अफ्रीकी देश द्वारा गांधी जी के स्मृतिस्वरूप जारी किया गया पहला डाक टिकट था। विश्व के सभी देशों में, भारत और संयुक्त राज्य अमरीका के बाद, महात्मा गांधी पर टिकट जारी करने वाला वह तीसरा गणराज्य था।
  • 'उजबेकिस्तान' सरकार की ओर से जारी किए गए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से संबंधित 25 डाक टिकटों की सीरीज को भी शामिल किया है। जिनमें महात्मा गांधी के बचपन से लेकर उनके जीवन से संबंधित विभिन्न महत्त्वपूर्ण घटनाओं को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है।
  • इसी तरह के 'सेटा आईसलैड' नामक देश के द्वारा जारी किये चार डाक टिकटों का सेट भी गांधी सग्रह संग्रहालय में अभी शामिल हुआ है। इसमें रिफ्लेक्शन तकनीक के द्वारा महात्मा गांधी का चित्र एक कोण से तथा दूसरे कोण से महात्मा गांधी के साजो-सामान को अंकित किया गया है।
  • 'तुर्कमेनिस्तान' 1997 में एक टिकट जारी किया जिसमें भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी दिखाया गया है। टिकट के कलाकार ने इंदिरा जी को महात्मा गांधी की पुत्री समझ कर इस टिकट में साथ–साथ दिखाया। मूल कल्पना का बाद में पता चलने पर भी टिकट को वैसे ही रहने दिया गया। यह टिकट भारत की स्वतंत्रता के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रकाशित किया गया था।
  • 'गांबिया' के टिकट में गांधी जी को उनकी सुप्रसिद्ध गांधी टोपी में देखा जा सकता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा टिकट है जिसमें गांधी जी ने यह टोपी पहनी है। इस प्रकार डाक टिकटों के बारे में जान कर संपूर्ण विश्व में महात्मा गांधी के प्रति सम्मान व आदर के भाव को आसानी से समझा जा सकता है।
  • स्वतन्त्रता के बाद सन् 1948 में महात्मा गाँधी पर डेढ़ आना, साढे़ तीन आना, बारह आना और दस रूo के मूल्यों में जारी डाक टिकटों पर तत्कालीन गर्वनर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने गवर्नमेण्ट हाउस में सरकारी काम में प्रयुक्त करने हेतु ‘सर्विस’ शब्द छपवा दिया गया था। जिसकी आलोचना के बाद किसी की स्मृति में जारी डाक टिकटों के ऊपर ‘सर्विस’ नहीं छापा जाता, उन टिकटों को तुरन्त नष्ट कर दिया गया। पर इन दो-तीन दिनों में जारी सर्विस छपे चार डाक टिकटों के सेट का मूल्य दुर्लभता के चलते आज तीन लाख रूपये से अधिक है।
  • भूटान द्वारा जारी प्लास्टिक का डाक टिकट माइक्रोनेसिया का लीडर ऑफ टूवेल्थ सेंचुरी डाक टिकट मानवाधिकार घोषणा की चालीसवीं वर्षगाँठ पर डोमेनिका का गाँधी टिकट जिसमें गाँधी को मार्टिन लूथर किंग अल्बर्ट आइंस्टीन और रूजवेल्ट के साथ दिखाया गया है।
  • दक्षिण अमेरिका का 10 टिकटों का सेट जिसमें नेहरू, गाँधी और पटेल शामिल हैं।
  • 1979 में भारत में जारी किया गया डाक-टिकट में बापू को बच्चे से स्नेह करते हुए दर्शाया गया है। यह चित्र महात्मा गांधी का बच्चों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।
  • साल 1978 में गांधी जी की 30वीं पुण्य तिथि के अवसर पर माली ने डाक टिकट जारी किया। इसके 10 साल बाद 1988 में श्रीलंका ने भी गांधी जी पर डाक टिकट जारी किया। कई देशों ने उनकी 50वीं पुण्यतिथि पर भी डाक टिकट जारी किए। 20 जुलाई 1997 को शिकागो सरकार ने एक पोस्टमार्क भी जारी किया। यह तीसरा मौका था जब गांधी जी के नाम पर अमेरिका में पोस्टमार्क जारी किया गया। साल 1972 में ब्राजील और 1978, 1986 में जर्मनी ने भी गांधी जी पर डाक टिकट जारी किए थे।
  • भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर गांधी फिर से डाक टिकटों पर छा गए। इस मौके पर तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला, भूटान और क्यूबा ने भारत को सम्मानित करने के लिए गांधी जी पर डाक टिकट जारी किए।


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चित्र वीथिका

भारतीय डाक टिकटों में महात्मा गाँधी

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. डाक-टिकटों पर भी छाये गाँधी जी (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) डाकिया डाक लाया। अभिगमन तिथि: 25 नवंबर, 2010

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