दही: Difference between revisions

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Revision as of 09:31, 21 March 2011

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  • दही एक दुग्ध-उत्पाद है। औद्योगिक क्षेत्र में जीवाणुओं के किण्वन क्रिया द्वारा दही का निर्माण होता है। लैक्टोज का किण्वन दुग्धामल (लैक्टिक अम्ल) बनाता है, जो दूध प्रोटीन से प्रतिक्रिया कर इसे दही मे बदल देता है साथ ही इसे इसकी खास बनावट और विशेष खट्टा स्वाद भी प्रदान करता है।
  • दूध में लैक्टोबेसिल्स बुलगारिक्स बैक्टीरिया को डाला जाता है, इससे शुगर लैक्टिक अम्ल में बदल जाता है। इससे दूध जम जाता है और इस जमे हुए दूध को दही कहते हैं।[1]
  • दही में प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6, विटामिन B12 आदि पोषक तत्त्व होते है।
  • दही में कैल्शियम को एसिड के रूप में समा लेने की भी खूबी होती है। रोज़ 300 मि.ली. दही खाने से आस्टियोपोरोसिस, कैंसर और पेट के दूसरे रोगों से बचाव होता है।
  • डाइटिशियन के मुताबिक दही शरीर की गरमी को शांत कर ठंडक का एहसास दिलाता है। फंगस को भगाने के लिए भी दही का प्रयोग किया जाता है।

औषधि

आज की भागदौड की जिंदगी में पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती है। ऐसे लोग यदि अपनी डाइट में प्रचुर मात्रा में दही को शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के जीवाणु पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। पेट में मिलने वाली आंतों में जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया का अभाव हो जाता है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है। इससे पेट में होने वाली बीमारियाँ अपने आप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचन क्रिया सही रहती है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से त्वचा में एक अच्छी चमक रहता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 दही खाओ निरोगी रहो (हिन्दी) shvoong.com। अभिगमन तिथि: 20 फ़रवरी, 2011