रुचिरा: Difference between revisions
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Latest revision as of 11:56, 6 April 2011
हिन्दी | एक सममात्रिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण, में 30 मात्राएँ होती हैं, 14-16 पर यति होती है, अंत में गुरु होता है तथा चौकलों में जगण का निषेध होता है, समवर्णिक छ्न्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमश: जगण, भगण, सगण, जगण और गुरु (ज,भ,स,ज,ग,) के योग से 13 वर्ण होते हैं और 4-9 पर यति होती है, रामायण के अनुसार एक प्राचीन नदी। |
-व्याकरण | विशेषण, स्त्रीलिंग |
-उदाहरण | |
-विशेष | |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | गुप्तक, मुरई, कंदमूल। |
संस्कृत | |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | रुचिर |
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