घनत्त्व: Difference between revisions

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[[चित्र:Density-Meter.jpg|thumb|250px|विक्टर मायर का उपकरण]]
([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Density) यह सामान्य अनुभव है कि बराबर आयतन के विभिन्न [[पदार्थ|पदार्थो]] का भार भिन्न-भिन्न होता है। यह भिन्नता पदार्थों के [[अणु|अणुओं]] या [[परमाणु|परमाणुओं]] के भार तथा पदार्थविशेष में उनकी संनिकटता पर निर्भर होती है, क्योंकि किसी विशेष पदार्थ के अणुओं तथा परमाणुओं का भार और उस पदार्थ में उनका रचनाक्रम लगभग निश्चित होता है। अत: पदार्थविशेष के निश्चित आयतन का भार भी निश्चित ही होता है। इकाई अयतन के पदार्थ की मात्रा को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। यह पदार्थ की सघनता का द्योतक है तथा पदार्थ का विशेष गुण होता है। उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार किसी वस्तु का घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:
([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]:Density) यह सामान्य अनुभव है कि बराबर आयतन के विभिन्न [[पदार्थ|पदार्थो]] का भार भिन्न-भिन्न होता है। यह भिन्नता पदार्थों के [[अणु|अणुओं]] या [[परमाणु|परमाणुओं]] के भार तथा पदार्थविशेष में उनकी संनिकटता पर निर्भर होती है, क्योंकि किसी विशेष पदार्थ के अणुओं तथा परमाणुओं का भार और उस पदार्थ में उनका रचनाक्रम लगभग निश्चित होता है। अत: पदार्थविशेष के निश्चित आयतन का भार भी निश्चित ही होता है। इकाई अयतन के पदार्थ की मात्रा को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। यह पदार्थ की सघनता का द्योतक है तथा पदार्थ का विशेष गुण होता है। उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार किसी वस्तु का घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:


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[[ठोस]] तथा द्रव पदार्थो के आयतन, तदनुरूप उनके घनत्व, पर सामान्य दाबपरिवर्तनों का प्रभाव इतना सूक्ष्म होता है कि सामान्यतया वह उपेक्षणीय होता है। दूसरी ओर सामान्य तापपरिवर्तनों का प्रभाव उपेक्षणीय नहीं होता है। अत: ठोस तथा द्रव पदार्थों के घनत्व के साथ-साथ उनका ताप व्यक्त करना ही पर्याप्त होता है। [[दाब]] को व्यक्त नहीं किया जाता। सामान्यत: ठोस तथा द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व 4° सेंटीग्रेड पर पानी के घनत्व की तुलना से व्यक्त किया जाता है। यह आवश्यक नहीं कि पदार्थ तथा पानी का ताप एक ही हो। आपेक्षिक घनत्व को निम्नांकित प्रकार से लिखते हैं:
[[ठोस]] तथा द्रव पदार्थो के आयतन, तदनुरूप उनके घनत्व, पर सामान्य दाबपरिवर्तनों का प्रभाव इतना सूक्ष्म होता है कि सामान्यतया वह उपेक्षणीय होता है। दूसरी ओर सामान्य तापपरिवर्तनों का प्रभाव उपेक्षणीय नहीं होता है। अत: ठोस तथा द्रव पदार्थों के घनत्व के साथ-साथ उनका ताप व्यक्त करना ही पर्याप्त होता है। [[दाब]] को व्यक्त नहीं किया जाता। सामान्यत: ठोस तथा द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व 4° सेंटीग्रेड पर पानी के घनत्व की तुलना से व्यक्त किया जाता है। यह आवश्यक नहीं कि पदार्थ तथा पानी का ताप एक ही हो। आपेक्षिक घनत्व को निम्नांकित प्रकार से लिखते हैं:


<blockquote>'''<big><math>\mathbf{D}</math> (<math>\mathbf{t}</math><sub>1</sub>° /<math>\mathbf{t}</math><sub>0</sub>°)</big>'''</blockquote>
<blockquote>'''<big><math>\mathrm{D}</math> (<math>\mathrm{t}</math><sub>1</sub>° /<math>\mathrm{t}</math><sub>0</sub>°)</big>'''</blockquote>


यहाँ (<math>\mathbf{t}</math><sub>1</sub>°) पदार्थ तथा (<math>\mathbf{t}</math><sub>0</sub>°) पानी का ताप है, तथा (<math>\mathbf{D}</math>) पदार्थ क आपेक्षिक घनत्व है। यह स्मरण रखना चाहिए कि 4° सेंटीग्रेड पर पानी क घनत्व एक ग्राम/प्रति घन सेंटीमीटर होता है। अत: 4° सेंटीग्रेड पर पानी के घनत्व की तुलना से किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व ही उसका घनत्व भी होता है। सुविधानुसार पानी के स्थान पर अन्य पदार्थ भी मानक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
यहाँ (<math>\mathrm{t}</math><sub>1</sub>°) पदार्थ तथा (<math>\mathrm{t}</math><sub>0</sub>°) पानी का ताप है, तथा (<math>\mathrm{D}</math>) पदार्थ क आपेक्षिक घनत्व है। यह स्मरण रखना चाहिए कि 4° सेंटीग्रेड पर पानी क घनत्व एक ग्राम/प्रति घन सेंटीमीटर होता है। अत: 4° सेंटीग्रेड पर पानी के घनत्व की तुलना से किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व ही उसका घनत्व भी होता है। सुविधानुसार पानी के स्थान पर अन्य पदार्थ भी मानक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।


गैसीय पदार्थों के आयतन तथा तदनुरूप उनके घनत्व पर सामान्य ताप तथा दाबपरिवर्तनों का बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि द्रव्यमान (<math>\mathbf{m}</math>) द्रव्यमान कि किसी गैस क परमताप (<math>\mathbf{V}</math><sub>0</sub>) पर आयतन (<math>\mathbf{V}</math><sub>0</sub>) है तो उसी मात्रा की गैस का किसी अन्य परमताप (<math>\mathbf{T}</math><sub>1</sub>) तथा दाब (<math>\mathbf{P}</math><sub>1</sub>) पर अयतन (<math>\mathbf{V}</math><sub>1</sub>) हो जाता है। गैसीय नियमों की सहायता से (<math>\mathbf{V}</math><sub>1</sub>) तथा (<math>\mathbf{V}</math><sub>0</sub>) का निम्नांकित पारस्परिक संबंध व्यक्त किया जा सकता है :
गैसीय पदार्थों के आयतन तथा तदनुरूप उनके घनत्व पर सामान्य ताप तथा दाबपरिवर्तनों का बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि द्रव्यमान (<math>\mathrm{m}</math>) द्रव्यमान कि किसी गैस क परमताप (<math>\mathrm{V}</math><sub>0</sub>) पर आयतन (<math>\mathrm{V}</math><sub>0</sub>) है तो उसी मात्रा की गैस का किसी अन्य परमताप (<math>\mathrm{T}</math><sub>1</sub>) तथा दाब (<math>\mathrm{P}</math><sub>1</sub>) पर अयतन (<math>\mathrm{V}</math><sub>1</sub>) हो जाता है। गैसीय नियमों की सहायता से (<math>\mathrm{V}</math><sub>1</sub>) तथा (<math>\mathrm{V}</math><sub>0</sub>) का निम्नांकित पारस्परिक संबंध व्यक्त किया जा सकता है :


<blockquote>'''<math>\mathbf{V}</math><sub>1</sub> = <math>\frac {P_0 T_1} {T_0 P_1}</math> <math>\mathbf{V}</math><sub>0</sub>'''</blockquote>
<blockquote>'''<math>\mathrm{V}</math><sub>1</sub> = <math>\frac {P_0 T_1} {T_0 P_1}</math> <math>\mathrm{V}</math><sub>0</sub>'''</blockquote>


अत: परिभाषा के अनुसार (<math>\mathbf{T}</math><sub>1</sub>) ताप एवं (<math>\mathbf{P}</math><sub>1</sub>) दाब पर गैस के घनत्व (<math>\mathbf{D}</math><sub>1</sub>) तथा (<math>\mathbf{T}</math><sub>0</sub>) ताप एवं (<math>\mathbf{P}</math><sub>0</sub>) दाब पर घनत्व (<math>\mathbf{D}</math><sub>0</sub>) में निम्नांकित संबंध प्राप्त किया जा सकता है:
अत: परिभाषा के अनुसार (<math>\mathrm{T}</math><sub>1</sub>) ताप एवं (<math>\mathrm{P}</math><sub>1</sub>) दाब पर गैस के घनत्व (<math>\mathrm{D}</math><sub>1</sub>) तथा (<math>\mathrm{T}</math><sub>0</sub>) ताप एवं (<math>\mathrm{P}</math><sub>0</sub>) दाब पर घनत्व (<math>\mathrm{D}</math><sub>0</sub>) में निम्नांकित संबंध प्राप्त किया जा सकता है:


<blockquote>'''<math>\mathbf{D}</math><sub>1</sub> = <math>\frac {T_0 P_1} {P_0 T_1}</math> <math>\mathbf{D}</math><sub>0</sub>'''</blockquote>
<blockquote>'''<math>\mathrm{D}</math><sub>1</sub> = <math>\frac {T_0 P_1} {P_0 T_1}</math> <math>\mathrm{D}</math><sub>0</sub>'''</blockquote>


उपर्युक्त समीकरण की सहायता से मानक दाब (<math>\mathbf{P}</math><sub>0</sub>) तथा ताप (<math>\mathbf{T}</math><sub>0</sub>) पर [[गैस]] का घनत्व ज्ञात कर लेने पर किसी अन्य ताप तथा दाब पर भी उसका घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। 0° सेंटीग्रेड तथा 760 मिलीमीटर [[पारा|पारे]] की दाब को क्रमश: मानक ताप तथा दाब मानते हैं।
उपर्युक्त समीकरण की सहायता से मानक दाब (<math>\mathrm{P}</math><sub>0</sub>) तथा ताप (<math>\mathrm{T}</math><sub>0</sub>) पर [[गैस]] का घनत्व ज्ञात कर लेने पर किसी अन्य ताप तथा दाब पर भी उसका घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। 0° सेंटीग्रेड तथा 760 मिलीमीटर [[पारा|पारे]] की दाब को क्रमश: मानक ताप तथा दाब मानते हैं।


गैसों का आपेक्षिक घनत्व, उसी ताप तथा दाब पर, मानक गैस के घनत्व की तुलना से व्यक्त करते हैं। [[हाइड्रोजन]] या वायु ही मानक गैसों के रूप में प्रयुक्त होती हैं।
गैसों का आपेक्षिक घनत्व, उसी ताप तथा दाब पर, मानक गैस के घनत्व की तुलना से व्यक्त करते हैं। [[हाइड्रोजन]] या वायु ही मानक गैसों के रूप में प्रयुक्त होती हैं।
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[[तत्व|तत्वों]] के [[परमाणु भार]] तथा उनके घनत्व के अनुपात को तत्व का [[परमाणु]] आयतन कहते हैं। इस परमाणु आयतन के आधार पर [[आवर्त सारणी]] में तत्वों के स्थान का निर्धारण करने में बहुत सहायता मिली है।
[[तत्व|तत्वों]] के [[परमाणु भार]] तथा उनके घनत्व के अनुपात को तत्व का [[परमाणु]] आयतन कहते हैं। इस परमाणु आयतन के आधार पर [[आवर्त सारणी]] में तत्वों के स्थान का निर्धारण करने में बहुत सहायता मिली है।
==घनत्व अवस्था पर निर्भर==
==घनत्व अवस्था पर निर्भर==
किसी पदार्थ का घनत्व निकालने की उपयुक्त विधि उसकी [[ठोस]], [[द्रव]] या [[गैस]] अवस्था पर निर्भर करती है। यहाँ पर इन विधियों का संक्षिप्त विवरण दिया जायगा।
{| class="bharattable-purple" border="1" style="margin:5px; float:right"
 
|-valign="center"
पदार्थ का घनत्व निकालने के लिये उसका भार तथा आयतन ज्ञात करना होता है तथा आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने के लिये उसी आयतन के मानक द्रव का भी भार ज्ञात करना होता है। पदार्थ का भार तो सुग्राही तुला द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। आयतन ज्ञात करने के लिय एक चिह्नित जार में ऐसा द्रव लेते हैं जिसमें पदार्थ घुलता नहीं है। पदार्थपिंड को द्रव में पूरी तरह डुबा देने पर, द्रव के आयतन में जितना परिवर्तन हो वही उस पदार्थपिंड का भी आयतन होता है। घनत्व का अधिक यथार्थ मान ज्ञात करने के लिये आयतनमापन की अधिक सुग्राही विधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे आयतनमापी अर्थात्‌ स्टेरिऑमीटर<ref>(stereometer)</ref> का उपयोग।
|
 
{| width=100%
एक सामान्य आयतनमापी में, पारे से भरी हुई चौड़े मुँह की एक नली में समान अनुप्रस्थ काट की शीशे की चिह्नित दूसरी नली होती है। दूसरी नली की लंबाई पहली से छोटी होती है तथा उसका ऊपरी सिरा एक प्याले के पेंदे में खुलता है। प्याले को ढक्कन से बंद कर देने पर वायु भी प्याले के भीतर या बाहर नहीं जा सकती। दूसरी नली पर दो चिह्न क एवं ख, लo (<math>\mathbf{L}</math><sub>0</sub>) दूरी पर बने हैं। सर्वप्रथम [[बैरोमीटर]] से वायुमंडल की दाब (<math>\mathbf{p}</math>) नापते हैं। अब ढक्कन को हटाकर दूसरी नली को इतनी नीची करते हैं कि उसके अंदर का पारा क चिह्न तक आ जाय। तत्पश्चात्‌ ढक्कन बंद करके नली को इतना उठाते है कि दूसरी नली के अंदर पारा ख स्थान पर हो जाय। इस समय नली के अंदर पारे के तल की, नली के बाहर पारे के तल से, ऊँचाई (<math>\mathbf{h}</math><sub>0</sub>) ज्ञात कर लेते हैं। इसी विधि को प्याले में पदार्थपिंड को रखकर दोहराते हैं। यदि इस समय दूसरी नली के अंदर तथा बाहर पारे के तलों का अंतर (<math>\mathbf{h}</math>) हो, तो निम्नांकित सूत्र द्वारा पदार्थपिंड का आयतन ज्ञात कर लेते हैं:
 
<blockquote>'''<math>\mathbf{V}</math> = <math>\frac {A l_0 (p - h_0)} {h_0}</math> - <math>\frac {A l_0 (p - h)} {h}</math>'''</blockquote>
 
यहाँ (<math>\mathbf{V}</math>) पदार्थपिंड का आयतन है तथा (<math>\mathbf{A}</math>) दूसरी नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है। इस प्रकार किसी दिए हुए पदार्थ का यथार्थ आयतन ज्ञात कर लेते हैं।
==द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व==
द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व, या घनत्व, आपेक्षिक-घनत्व-बोतल की सहायता से निकाला जाता है। घनत्व ज्ञात करने के लिये पहले खाली बोतल की मात्रा (<math>\mathbf{m}</math><sub>0</sub>) ज्ञात करते हैं, तत्पश्चात्‌ उसे द्रव से भर कर उसकी मात्रा (<math>\mathbf{m}</math><sub>1</sub>) ज्ञात कर लेते हैं। द्रव भरकर डाट लगाने पर कुछ द्रव केशिकानली से बाहर निकल जाता है, इस प्रकार बोतल का पूरा-पूरा आयतन द्रव से भर जाता है। द्रव का घनत्व (<math>\mathbf{D}</math><sub>0</sub>) निम्नलिखित सूत्र द्वारा मालूम हो जाता है:
 
<blockquote>'''<math>\mathbf{D}</math> = <math>\frac {m_1 - m_0} {v_0}</math>'''</blockquote>
 
जबकि (<math>\mathbf{V}</math><sub>0</sub>) बोतल का आयतन है, जिसे ज्ञात का घनत्व के द्रव की सहायता से ज्ञात किया जाता है। यदि बोतल को दूसरी बार मानक द्रव से भरकर मात्रा (<math>\mathbf{m}</math><sub>2</sub>) ज्ञात कर लें, तो आपेक्षिक घनत्व (<math>\mathbf{R}</math>.<math>\mathbf{D}.</math>) निम्नलिखित प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं:
<blockquote>'''<math>\mathbf{R}</math>.<math>\mathbf{D}</math>.<sub>1</sub> = <math>\frac {m_1 - m_0} {m_2 -  m_0}</math>'''</blockquote>
 
आपेक्षिक घनत्व बोतल की सहायता से चूरे या छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में प्राप्त, ठोस पदार्थो का घनत्व भी निकाला जा सकता है। आर्किमिडीज़ के सिद्धांत की सहायता से भी ठोस पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व निकाला जा सकता है। यदि ठोस पदार्थपिंड मानक द्रव में अविलेय तथा अधिक घनत्ववाला हो और ठोस की वाय में मात्रा (<math>\mathbf{m}</math><sub>1</sub>) तथा फिर मानक द्रव में पूरा-पूरा डुबाकर उसकी मात्रा (<math>\mathbf{m}</math><sub>2</sub>) हो, तो पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व:
 
<blockquote>'''<math>\mathbf{R}</math>.<math>\mathbf{D}</math>.<sub>1</sub> = <math>\frac {m_1} {m_1 -  m_2}</math>'''</blockquote>
 
द्रव से कम घनर्तव के पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व उपर्युक्त विधि का परिवर्तन करके ज्ञात कर सकते हैं।
==गैसीय पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व==
गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करते समय उनके ताप तथा दाब का भी निरीक्षण किया जाता है। पूर्वोक्त सूत्र की सहायता से किसी भी [[ताप]] तथा [[दाब]] पर ज्ञात घनत्व से मानक दाब तथा ताप पर घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करने की दो मुख्य विधियाँ हैं:
*'''रेनो की विधि:-''' इस विधि द्वारा उन पदार्थों का घनत्व ज्ञात किया जा सकता है जो सामान्य दाब तथा ताप पर गैसीय अवस्था में रहते हैं।
 
बराबर आयतन तथा भार के दो फ्लास्कों को अतिनिर्वात पम्प की सहायता से वायुशून्य कर एक सुग्राही तुला के पलड़ों के नीचे लटका देते हैं। ये फ्लास्क एक बक्स में रहते हैं, जिसका ताप स्थिर रखा जाता है। अब पलड़ों पर उपयुक्त भार रखकर तुला को संतुलित कर देते हैं। तत्पश्चात्‌ एक फ्लास्क को ज्ञात दबाव द पर गैस से भर देते हैं। फ्लास्कों को यथास्थान लटकाने पर यदि अब तुला को (<math>\mathbf{m}</math>) ग्राम मात्रा द्वारा संतुलित करें तो (<math>\mathbf{T}</math>) ताप तथा (<math>\mathbf{P}</math>) दाब पर गैस का घनत्व = ['''<math>\mathbf{D}</math>=<math>\mathbf{m}</math>/<math>\mathbf{V}</math>'''] होगा। यहाँ (<math>\mathbf{V}</math>) फ्लास्क का आयतन है। इसे फ्लास्क को ज्ञात घनत्व के द्रव से पूरा-पूरा भरकर तथा द्रव का भार ज्ञात कर मालूम कर सकते हैं। गैसीय पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व [[हाइड्रोजन]] को मानक मानकर ज्ञात किया जाता हैं। उपर्युक्त प्रयोग को यदि हाइड्रोजन के साथ दोहराने पर उसकी मात्रा (<math>\mathbf{m}</math><sub>0</sub>) ज्ञात हो तो उपर्युक्त गैस का आपेक्षिक घनत्व = '''<math>\mathbf{m}</math>/<math>\mathbf{m}</math><sub>0</sub>'''
 
*'''विक्टर मायर की विधि:-''' इस विधि का उपयोग अधिक ताप पर गैस बनने वाले पदार्थों के वाष्प का घनत्व ज्ञात करने में किया जाता है। नीचे उपकरण चित्रित है। फ्लास्क '''फ''' में ऐसा पदार्थ '''द'''<sub>2</sub> लिया जाता है जिसका क्वथनांक पदार्थ '''द''' के (जिसके वाष्प का घनत्व ज्ञात करना है) [[क्वथनांक]] से अधिक हो। फ्लास्क फ को गरम करते हैं। नली '''न''' में पदार्थ '''द''' की ज्ञात मात्रा '''म''' (<math>\mathbf{m}</math>) रख देते हैं। नली '''न''' से एक पतली नली एक चिह्नित नली '''च''' में खुलती है, जो द्रव '''द'''<sub>1</sub> से भरी होती है। '''द'''<sub>1</sub> ऐसा द्रव होता है जिसके साथ पदार्थ '''द''' का वाष्प कोई प्रक्रिया नहीं करता। गरम होने पर पदार्थ '''द''' वाष्प रूप हो जाता है। इसका वाष्प नली '''न''' में भर जाता है। यह वाष्प अपने आयतन के अनुसार वायु के नली '''न''' से '''च''' में निकाल देता है। इसी अयतन '''आ''' (<math>\mathbf{V}</math>) का द्र '''च''' के बाहर आ जाता है, जो चिह्नित नली में द्रव '''द'''<sub>1</sub> की सतह के परिवर्तन से ज्ञात होता है। यदि द्रव '''द'''<sub>1</sub> का का ताप '''ता'''<sub>1</sub> (<math>\mathbf{T}</math><sub>1</sub>) तथा यदि सामान्य ताप पर '''द'''<sub>1</sub> की वाष्पदाब '''वा'''<sub>1</sub> (<math>\mathbf{P}</math><sub>1</sub>) है, तो ('''वा'''-'''वा'''<sub>1</sub>) [<math>\mathbf{P}</math>-<math>\mathbf{P}</math><sub>1</sub>]
 
दबाव पर तथा '''ता'''<sub>1</sub> (<math>\mathbf{T}</math><sub>1</sub>) ताप पर उपर्युक्त पदार्थ के वाष्प का भार '''म'''<sub>1</sub> (<math>\mathbf{m}</math>) होगा, जब '''वा'''<sub>1</sub> (<math>\mathbf{P}</math>) वायुमंडल की दाब है। अत: मानक दाब तथा ताप पर वाष्प का घनत्व '''घ''' (<math>\mathbf{D}</math>) निम्नांकित होता है :
 
<blockquote>'''<math>\mathbf{D}</math> = <math>\frac {m . 760 (273 + T_1)} {(P - P_1) V . 760}</math>'''</blockquote>
 
इस प्रकार सामान्य पदार्थों का घनत्व निकाला जाता है। सामान्यत: काम में आने वाले पदार्थों का घनत्व सारणी 1 में दिया गया है। सारणी 1 में कुछ अन्य पदार्थों का घनत्व दिया गया है।
 
;सारणी 1
{| class="bharattable" border="1" border:1px solid #80c7ff" cellpadding="5" cellspacing="5" border="1"
|+ पदार्थों का घनत्व
|+ पदार्थों का घनत्व
|-
|-
Line 85: Line 49:
! ताप
! ताप
! दाब
! दाब
! घनत्व (ग्राम प्रति घन सेंमी.)
! घनत्व (ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर)
|-
|-
| जल (वाष्प)  
| [[जल]] (वाष्प)  
| गैस
| [[गैस]]
| 100° सेंटीग्रेड
| 100° सेंटीग्रेड
| 760 मिलीमीटर
| 760 मिलीमीटर
| 5.81' 10-4
| 5'81 x 10<sup>-4</sup>
|-
|-
| वायु
| वायु
Line 97: Line 61:
| 37° सेंटीग्रेड
| 37° सेंटीग्रेड
| 760 मिलीमीटर
| 760 मिलीमीटर
| 1.93' 10-3
| 1'93 x 10<sup>-3</sup>
|-
|-
| जल (शुद्ध)  
| जल (शुद्ध)  
| द्रव
| [[द्रव]]
| 4° सेंटीग्रेड
| 4° सेंटीग्रेड
| 760 मिलीमीटर
| 760 मिलीमीटर
Line 112: Line 76:
|-
|-
| लकड़ी (सूखी)
| लकड़ी (सूखी)
| ठोस
| [[ठोस]]
| 20° सेंटीग्रेड
| 20° सेंटीग्रेड
| 760 मिलीमीटर
| 760 मिलीमीटर
| 0.4-0.8
| 0.4-0.8
|-
|-
| काग़ज़
| [[काग़ज़]]
| ठोस
| ठोस
| 20° सेंटीग्रेड
| 20° सेंटीग्रेड
Line 147: Line 111:
| 6.9-8.9
| 6.9-8.9
|-
|-
| ऐल्यूमिनियम
| [[ऐलुमिनियम]]
| ठोस
| ठोस
| 20° सेंटीग्रेड
| 20° सेंटीग्रेड
Line 153: Line 117:
| 2.64-2.82
| 2.64-2.82
|-
|-
| ताँबा
| [[ताँबा]]
| ठोस
| ठोस
| 20° सेंटीग्रेड
| 20° सेंटीग्रेड
Line 165: Line 129:
| 8.67-8.80
| 8.67-8.80
|-
|-
| चाँदी
| [[चाँदी]]
| ठोस
| ठोस
| 20° सेंटीग्रेड
| 20° सेंटीग्रेड
Line 171: Line 135:
| 10.5
| 10.5
|-
|-
| पारा
| [[पारा]]
| ठोस
| ठोस
| 20° सेंटीग्रेड
| 20° सेंटीग्रेड
Line 177: Line 141:
| 13.546
| 13.546
|-
|-
| सोना
| [[सोना]]
| ठोस
| ठोस
| 20° सेंटीग्रेड
| 20° सेंटीग्रेड
Line 183: Line 147:
| 19.3
| 19.3
|}
|}
|-
|
{| width="100%"
|+ अन्य महत्त्वपूर्ण घनत्व
|-
! नाम
! घनत्व (ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर)
|-
| नाभिक
| 2X10<sup>14</sup>
|-
| सबसे अधिक घना [[तत्व]] ठोस ऑसमियम
| 22.8
|-
| [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] (औसत)
| 5.517
|-
| [[चन्द्रमा उपग्रह|चंद्रमा]] (औसत)
| 3.341
|-
| [[सूर्य (तारा)|सूर्य]] (औसत)
| 1.41
|}
|}
किसी पदार्थ का घनत्व निकालने की उपयुक्त विधि उसकी [[ठोस]], [[द्रव]] या [[गैस]] अवस्था पर निर्भर करती है। यहाँ पर इन विधियों का संक्षिप्त विवरण दिया जायगा।
पदार्थ का घनत्व निकालने के लिये उसका भार तथा आयतन ज्ञात करना होता है तथा आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने के लिये उसी आयतन के मानक द्रव का भी भार ज्ञात करना होता है। पदार्थ का भार तो सुग्राही तुला द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। आयतन ज्ञात करने के लिय एक चिह्नित जार में ऐसा द्रव लेते हैं जिसमें पदार्थ घुलता नहीं है। पदार्थपिंड को द्रव में पूरी तरह डुबा देने पर, द्रव के आयतन में जितना परिवर्तन हो वही उस पदार्थपिंड का भी आयतन होता है। घनत्व का अधिक यथार्थ मान ज्ञात करने के लिये आयतनमापन की अधिक सुग्राही विधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे आयतनमापी अर्थात्‌ स्टेरिऑमीटर<ref>(stereometer)</ref> का उपयोग।
एक सामान्य आयतनमापी में, पारे से भरी हुई चौड़े मुँह की एक नली में समान अनुप्रस्थ काट की शीशे की चिह्नित दूसरी नली होती है। दूसरी नली की लंबाई पहली से छोटी होती है तथा उसका ऊपरी सिरा एक प्याले के पेंदे में खुलता है। प्याले को ढक्कन से बंद कर देने पर वायु भी प्याले के भीतर या बाहर नहीं जा सकती। दूसरी नली पर दो चिह्न क एवं ख, लo (<math>\mathrm{L}</math><sub>0</sub>) दूरी पर बने हैं। सर्वप्रथम [[बैरोमीटर]] से वायुमंडल की दाब (<math>\mathrm{p}</math>) नापते हैं। अब ढक्कन को हटाकर दूसरी नली को इतनी नीची करते हैं कि उसके अंदर का पारा क चिह्न तक आ जाय। तत्पश्चात्‌ ढक्कन बंद करके नली को इतना उठाते है कि दूसरी नली के अंदर पारा ख स्थान पर हो जाय। इस समय नली के अंदर पारे के तल की, नली के बाहर पारे के तल से, ऊँचाई (<math>\mathrm{h}</math><sub>0</sub>) ज्ञात कर लेते हैं। इसी विधि को प्याले में पदार्थपिंड को रखकर दोहराते हैं। यदि इस समय दूसरी नली के अंदर तथा बाहर पारे के तलों का अंतर (<math>\mathrm{h}</math>) हो, तो निम्नांकित सूत्र द्वारा पदार्थपिंड का आयतन ज्ञात कर लेते हैं:
<blockquote>'''<math>\mathrm{V}</math> = <math>\frac {A l_0 (p - h_0)} {h_0}</math> - <math>\frac {A l_0 (p - h)} {h}</math>'''</blockquote>
यहाँ (<math>\mathrm{V}</math>) पदार्थपिंड का आयतन है तथा (<math>\mathrm{A}</math>) दूसरी नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है। इस प्रकार किसी दिए हुए पदार्थ का यथार्थ आयतन ज्ञात कर लेते हैं।
==द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व==
द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व, या घनत्व, आपेक्षिक-घनत्व-बोतल की सहायता से निकाला जाता है। घनत्व ज्ञात करने के लिये पहले खाली बोतल की मात्रा (<math>\mathrm{m}</math><sub>0</sub>) ज्ञात करते हैं, तत्पश्चात्‌ उसे द्रव से भर कर उसकी मात्रा (<math>\mathrm{m}</math><sub>1</sub>) ज्ञात कर लेते हैं। द्रव भरकर डाट लगाने पर कुछ द्रव केशिकानली से बाहर निकल जाता है, इस प्रकार बोतल का पूरा-पूरा आयतन द्रव से भर जाता है। द्रव का घनत्व (<math>\mathrm{D}</math><sub>0</sub>) निम्नलिखित सूत्र द्वारा मालूम हो जाता है:
<blockquote>'''<math>\mathrm{D}</math> = <math>\frac {m_1 - m_0} {v_0}</math>'''</blockquote>
जबकि (<math>\mathrm{V}</math><sub>0</sub>) बोतल का आयतन है, जिसे ज्ञात का घनत्व के द्रव की सहायता से ज्ञात किया जाता है। यदि बोतल को दूसरी बार मानक द्रव से भरकर मात्रा (<math>\mathrm{m}</math><sub>2</sub>) ज्ञात कर लें, तो आपेक्षिक घनत्व (<math>\mathrm{R}</math>.<math>\mathrm{D}.</math>) निम्नलिखित प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं:
<blockquote>'''<math>\mathrm{R}</math>.<math>\mathrm{D}</math>.<sub>1</sub> = <math>\frac {m_1 - m_0} {m_2 -  m_0}</math>'''</blockquote>
आपेक्षिक घनत्व बोतल की सहायता से चूरे या छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में प्राप्त, ठोस पदार्थो का घनत्व भी निकाला जा सकता है। आर्किमिडीज़ के सिद्धांत की सहायता से भी ठोस पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व निकाला जा सकता है। यदि ठोस पदार्थपिंड मानक द्रव में अविलेय तथा अधिक घनत्ववाला हो और ठोस की वाय में मात्रा (<math>\mathrm{m}</math><sub>1</sub>) तथा फिर मानक द्रव में पूरा-पूरा डुबाकर उसकी मात्रा (<math>\mathrm{m}</math><sub>2</sub>) हो, तो पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व:
<blockquote>'''<math>\mathrm{R}</math>.<math>\mathrm{D}</math>.<sub>1</sub> = <math>\frac {m_1} {m_1 -  m_2}</math>'''</blockquote>
द्रव से कम घनर्तव के पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व उपर्युक्त विधि का परिवर्तन करके ज्ञात कर सकते हैं।
==गैसीय पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व==
[[चित्र:Density-Meter.jpg|thumb|250px|विक्टर मायर का उपकरण]]
गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करते समय उनके ताप तथा दाब का भी निरीक्षण किया जाता है। पूर्वोक्त सूत्र की सहायता से किसी भी [[ताप]] तथा [[दाब]] पर ज्ञात घनत्व से मानक दाब तथा ताप पर घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करने की दो मुख्य विधियाँ हैं:
*'''रेनो की विधि:-''' इस विधि द्वारा उन पदार्थों का घनत्व ज्ञात किया जा सकता है जो सामान्य दाब तथा ताप पर गैसीय अवस्था में रहते हैं।
बराबर आयतन तथा भार के दो फ्लास्कों को अतिनिर्वात पम्प की सहायता से वायुशून्य कर एक सुग्राही तुला के पलड़ों के नीचे लटका देते हैं। ये फ्लास्क एक बक्स में रहते हैं, जिसका ताप स्थिर रखा जाता है। अब पलड़ों पर उपयुक्त भार रखकर तुला को संतुलित कर देते हैं। तत्पश्चात्‌ एक फ्लास्क को ज्ञात दबाव द पर गैस से भर देते हैं। फ्लास्कों को यथास्थान लटकाने पर यदि अब तुला को (<math>\mathrm{m}</math>) ग्राम मात्रा द्वारा संतुलित करें तो (<math>\mathrm{T}</math>) ताप तथा (<math>\mathrm{P}</math>) दाब पर गैस का घनत्व = ['''<math>\mathrm{D}</math>=<math>\mathrm{m}</math>/<math>\mathrm{V}</math>'''] होगा। यहाँ (<math>\mathrm{V}</math>) फ्लास्क का आयतन है। इसे फ्लास्क को ज्ञात घनत्व के द्रव से पूरा-पूरा भरकर तथा द्रव का भार ज्ञात कर मालूम कर सकते हैं। गैसीय पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व [[हाइड्रोजन]] को मानक मानकर ज्ञात किया जाता हैं। उपर्युक्त प्रयोग को यदि हाइड्रोजन के साथ दोहराने पर उसकी मात्रा (<math>\mathrm{m}</math><sub>0</sub>) ज्ञात हो तो उपर्युक्त गैस का आपेक्षिक घनत्व = '''<math>\mathrm{m}</math>/<math>\mathrm{m}</math><sub>0</sub>'''
*'''विक्टर मायर की विधि:-''' इस विधि का उपयोग अधिक ताप पर गैस बनने वाले पदार्थों के वाष्प का घनत्व ज्ञात करने में किया जाता है। नीचे उपकरण चित्रित है। फ्लास्क '''फ''' में ऐसा पदार्थ '''द'''<sub>2</sub> लिया जाता है जिसका क्वथनांक पदार्थ '''द''' के (जिसके वाष्प का घनत्व ज्ञात करना है) [[क्वथनांक]] से अधिक हो। फ्लास्क फ को गरम करते हैं। नली '''न''' में पदार्थ '''द''' की ज्ञात मात्रा '''म''' (<math>\mathrm{m}</math>) रख देते हैं। नली '''न''' से एक पतली नली एक चिह्नित नली '''च''' में खुलती है, जो द्रव '''द'''<sub>1</sub> से भरी होती है। '''द'''<sub>1</sub> ऐसा द्रव होता है जिसके साथ पदार्थ '''द''' का वाष्प कोई प्रक्रिया नहीं करता। गरम होने पर पदार्थ '''द''' वाष्प रूप हो जाता है। इसका वाष्प नली '''न''' में भर जाता है। यह वाष्प अपने आयतन के अनुसार वायु के नली '''न''' से '''च''' में निकाल देता है। इसी अयतन '''आ''' (<math>\mathrm{V}</math>) का द्र '''च''' के बाहर आ जाता है, जो चिह्नित नली में द्रव '''द'''<sub>1</sub> की सतह के परिवर्तन से ज्ञात होता है। यदि द्रव '''द'''<sub>1</sub> का का ताप '''ता'''<sub>1</sub> (<math>\mathrm{T}</math><sub>1</sub>) तथा यदि सामान्य ताप पर '''द'''<sub>1</sub> की वाष्पदाब '''वा'''<sub>1</sub> (<math>\mathrm{P}</math><sub>1</sub>) है, तो ('''वा'''-'''वा'''<sub>1</sub>) [<math>\mathrm{P}</math>-<math>\mathrm{P}</math><sub>1</sub>]
दबाव पर तथा '''ता'''<sub>1</sub> (<math>\mathrm{T}</math><sub>1</sub>) ताप पर उपर्युक्त पदार्थ के वाष्प का भार '''म'''<sub>1</sub> (<math>\mathrm{m}</math>) होगा, जब '''वा'''<sub>1</sub> (<math>\mathrm{P}</math>) वायुमंडल की दाब है। अत: मानक दाब तथा ताप पर वाष्प का घनत्व '''घ''' (<math>\mathrm{D}</math>) निम्नांकित होता है :
<blockquote>'''<math>\mathrm{D}</math> = <math>\frac {m . 760 (273 + T_1)} {(P - P_1) V . 760}</math>'''</blockquote>


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(अंग्रेज़ी:Density) यह सामान्य अनुभव है कि बराबर आयतन के विभिन्न पदार्थो का भार भिन्न-भिन्न होता है। यह भिन्नता पदार्थों के अणुओं या परमाणुओं के भार तथा पदार्थविशेष में उनकी संनिकटता पर निर्भर होती है, क्योंकि किसी विशेष पदार्थ के अणुओं तथा परमाणुओं का भार और उस पदार्थ में उनका रचनाक्रम लगभग निश्चित होता है। अत: पदार्थविशेष के निश्चित आयतन का भार भी निश्चित ही होता है। इकाई अयतन के पदार्थ की मात्रा को उस पदार्थ का घनत्व कहते हैं। यह पदार्थ की सघनता का द्योतक है तथा पदार्थ का विशेष गुण होता है। उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार किसी वस्तु का घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है:

घनत्व = मात्रा / आयतन

अत: सेंटीमीटर ग्राम सैकिण्ड[1] पद्धति में घनत्व की इकाई ग्राम घन सेंटीमीटर है।

आपेक्षिक घनत्व

साधारणतया पदार्थो के आपेक्षिक घनत्व का ज्ञान अधिक उपयोगी होता है, यथा किसी पदार्थ के पिंड का किसी द्रव में डूबना या तैरना, द्रव की अपेक्षा पदार्थ के घनत्व की अधिकता या न्यूनता पर, निर्भर करता है। जब एक पदार्थ के घनत्व की दूसरे पदार्थ के घनत्व से तुलना की जाती है, तब उससे जो अंक प्राप्त होता है वह पहले पदार्थ का आपेक्षिक धनत्व कहलाता है। आपेक्षिक घनत्व वस्तुत: पहले और दूसरे पदार्थों के घनत्व का अनुपात होता है। पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व कुछ निश्चित मानक पदार्थों के घनत्व की तुलना से व्यक्त किया जाता है। यदि अ आयतन के एक पदार्थ की मात्रा द्रव्यमान1 तथा उसी आयतन के मानक पदार्थ की मात्रा द्रव्यमान0 है, तो उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है :

आपेक्षिक घनत्व = द्रव्यमान1 / द्रव्यमान0

पदार्थ का घनत्व, या आपेक्षिक घनत्व, व्यक्त करते समय पदार्थ की भौतिक अवस्थाओं (ताप, दाब, इत्यादि) को भी व्यक्त करना आवश्यक होता है, क्योंकि भौतिक अवस्था के परिवर्तन से घनत्व में काफ़ी परिवर्तन होता है। घनत्व पर ताप तथा दाब का अधिक प्रभाव पड़ता है। यह परिवर्तन पदार्थ के आयतनपरिवर्तन के कारण होता है।

ठोस तथा द्रव पदार्थो के आयतन, तदनुरूप उनके घनत्व, पर सामान्य दाबपरिवर्तनों का प्रभाव इतना सूक्ष्म होता है कि सामान्यतया वह उपेक्षणीय होता है। दूसरी ओर सामान्य तापपरिवर्तनों का प्रभाव उपेक्षणीय नहीं होता है। अत: ठोस तथा द्रव पदार्थों के घनत्व के साथ-साथ उनका ताप व्यक्त करना ही पर्याप्त होता है। दाब को व्यक्त नहीं किया जाता। सामान्यत: ठोस तथा द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व 4° सेंटीग्रेड पर पानी के घनत्व की तुलना से व्यक्त किया जाता है। यह आवश्यक नहीं कि पदार्थ तथा पानी का ताप एक ही हो। आपेक्षिक घनत्व को निम्नांकित प्रकार से लिखते हैं:

Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {t}} 1° /Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {t}} 0°)

यहाँ (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {t}} 1°) पदार्थ तथा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {t}} 0°) पानी का ताप है, तथा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} ) पदार्थ क आपेक्षिक घनत्व है। यह स्मरण रखना चाहिए कि 4° सेंटीग्रेड पर पानी क घनत्व एक ग्राम/प्रति घन सेंटीमीटर होता है। अत: 4° सेंटीग्रेड पर पानी के घनत्व की तुलना से किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व ही उसका घनत्व भी होता है। सुविधानुसार पानी के स्थान पर अन्य पदार्थ भी मानक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

गैसीय पदार्थों के आयतन तथा तदनुरूप उनके घनत्व पर सामान्य ताप तथा दाबपरिवर्तनों का बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि द्रव्यमान (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} ) द्रव्यमान कि किसी गैस क परमताप (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 0) पर आयतन (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 0) है तो उसी मात्रा की गैस का किसी अन्य परमताप (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {T}} 1) तथा दाब (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} 1) पर अयतन (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 1) हो जाता है। गैसीय नियमों की सहायता से (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 1) तथा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 0) का निम्नांकित पारस्परिक संबंध व्यक्त किया जा सकता है :

Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 1 = Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\frac {P_{0}T_{1}}{T_{0}P_{1}}} Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 0

अत: परिभाषा के अनुसार (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {T}} 1) ताप एवं (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} 1) दाब पर गैस के घनत्व (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} 1) तथा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {T}} 0) ताप एवं (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} 0) दाब पर घनत्व (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} 0) में निम्नांकित संबंध प्राप्त किया जा सकता है:

Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} 1 = Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\frac {T_{0}P_{1}}{P_{0}T_{1}}} Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} 0

उपर्युक्त समीकरण की सहायता से मानक दाब (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} 0) तथा ताप (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {T}} 0) पर गैस का घनत्व ज्ञात कर लेने पर किसी अन्य ताप तथा दाब पर भी उसका घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। 0° सेंटीग्रेड तथा 760 मिलीमीटर पारे की दाब को क्रमश: मानक ताप तथा दाब मानते हैं।

गैसों का आपेक्षिक घनत्व, उसी ताप तथा दाब पर, मानक गैस के घनत्व की तुलना से व्यक्त करते हैं। हाइड्रोजन या वायु ही मानक गैसों के रूप में प्रयुक्त होती हैं।

सामान्यत: सभी पदार्थों का घनत्व ताप बढ़ने से घटता तथा दाब बढ़ने से बढ़ता है। ताप बढ़ने के साथ पानी के घनत्व का परिवर्तन असाधारण होता है। 4° सेंटीग्रेड पर पानी का घनत्व अधिकतम होता है। इससे अधिक तथा कम ताप पर पानी का घनत्व कम हो जाता है।

पहले कहा चुका है कि घनत्व पदार्थों का विशेष गुण होता है,। अत: पदार्थ की शुद्धता का अनुमान उसका घनत्व ज्ञात करके भी किया जाता है। इसी आधार पर दूध आदि द्रव पदार्थो की शुद्धता के परीक्षक यंत्र बनाए गए हैं।

पदार्थों के घनत्व संबंधी ज्ञान का उपयोग आर्किमिदीज़ के सिद्धांत के अनुसार द्रव स्थैतिकी में किया जाता है। इसके अनुसार यदि वस्तु को पहले वायु तथा फिर द्रव में तोला जाय तो दोनों भारों में अंतर वस्तु के बराबर आयतन के द्रव के बराबर होता है। इस सिद्धांत की सहायता से पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व निकाला जाता है।

तत्वों के परमाणु भार तथा उनके घनत्व के अनुपात को तत्व का परमाणु आयतन कहते हैं। इस परमाणु आयतन के आधार पर आवर्त सारणी में तत्वों के स्थान का निर्धारण करने में बहुत सहायता मिली है।

घनत्व अवस्था पर निर्भर

पदार्थों का घनत्व
पदार्थ अवस्था ताप दाब घनत्व (ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर)
जल (वाष्प) गैस 100° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 5'81 x 10-4
वायु गैस 37° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 1'93 x 10-3
जल (शुद्ध) द्रव 4° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 0.999
जल (समुद्री) द्रव 0° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 1.03 to 1.07
लकड़ी (सूखी) ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 0.4-0.8
काग़ज़ ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 0.7-1.15
बर्फ़ ठोस 0° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 0.917
शीशा (साधारण) ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 2.4-2.8
कार्क ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 0.22 to 0.26
स्टील ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 6.9-8.9
ऐलुमिनियम ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 2.64-2.82
ताँबा ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 8.96
पीतल ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 8.67-8.80
चाँदी ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 10.5
पारा ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 13.546
सोना ठोस 20° सेंटीग्रेड 760 मिलीमीटर 19.3
अन्य महत्त्वपूर्ण घनत्व
नाम घनत्व (ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर)
नाभिक 2X1014
सबसे अधिक घना तत्व ठोस ऑसमियम 22.8
पृथ्वी (औसत) 5.517
चंद्रमा (औसत) 3.341
सूर्य (औसत) 1.41

किसी पदार्थ का घनत्व निकालने की उपयुक्त विधि उसकी ठोस, द्रव या गैस अवस्था पर निर्भर करती है। यहाँ पर इन विधियों का संक्षिप्त विवरण दिया जायगा।

पदार्थ का घनत्व निकालने के लिये उसका भार तथा आयतन ज्ञात करना होता है तथा आपेक्षिक घनत्व ज्ञात करने के लिये उसी आयतन के मानक द्रव का भी भार ज्ञात करना होता है। पदार्थ का भार तो सुग्राही तुला द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। आयतन ज्ञात करने के लिय एक चिह्नित जार में ऐसा द्रव लेते हैं जिसमें पदार्थ घुलता नहीं है। पदार्थपिंड को द्रव में पूरी तरह डुबा देने पर, द्रव के आयतन में जितना परिवर्तन हो वही उस पदार्थपिंड का भी आयतन होता है। घनत्व का अधिक यथार्थ मान ज्ञात करने के लिये आयतनमापन की अधिक सुग्राही विधियों का उपयोग किया जाता है, जैसे आयतनमापी अर्थात्‌ स्टेरिऑमीटर[2] का उपयोग।

एक सामान्य आयतनमापी में, पारे से भरी हुई चौड़े मुँह की एक नली में समान अनुप्रस्थ काट की शीशे की चिह्नित दूसरी नली होती है। दूसरी नली की लंबाई पहली से छोटी होती है तथा उसका ऊपरी सिरा एक प्याले के पेंदे में खुलता है। प्याले को ढक्कन से बंद कर देने पर वायु भी प्याले के भीतर या बाहर नहीं जा सकती। दूसरी नली पर दो चिह्न क एवं ख, लo (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {L}} 0) दूरी पर बने हैं। सर्वप्रथम बैरोमीटर से वायुमंडल की दाब (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {p}} ) नापते हैं। अब ढक्कन को हटाकर दूसरी नली को इतनी नीची करते हैं कि उसके अंदर का पारा क चिह्न तक आ जाय। तत्पश्चात्‌ ढक्कन बंद करके नली को इतना उठाते है कि दूसरी नली के अंदर पारा ख स्थान पर हो जाय। इस समय नली के अंदर पारे के तल की, नली के बाहर पारे के तल से, ऊँचाई (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {h}} 0) ज्ञात कर लेते हैं। इसी विधि को प्याले में पदार्थपिंड को रखकर दोहराते हैं। यदि इस समय दूसरी नली के अंदर तथा बाहर पारे के तलों का अंतर (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {h}} ) हो, तो निम्नांकित सूत्र द्वारा पदार्थपिंड का आयतन ज्ञात कर लेते हैं:

Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} = Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\frac {Al_{0}(p-h_{0})}{h_{0}}} - Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\frac {Al_{0}(p-h)}{h}}

यहाँ (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} ) पदार्थपिंड का आयतन है तथा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {A}} ) दूसरी नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है। इस प्रकार किसी दिए हुए पदार्थ का यथार्थ आयतन ज्ञात कर लेते हैं।

द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व

द्रव पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व, या घनत्व, आपेक्षिक-घनत्व-बोतल की सहायता से निकाला जाता है। घनत्व ज्ञात करने के लिये पहले खाली बोतल की मात्रा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} 0) ज्ञात करते हैं, तत्पश्चात्‌ उसे द्रव से भर कर उसकी मात्रा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} 1) ज्ञात कर लेते हैं। द्रव भरकर डाट लगाने पर कुछ द्रव केशिकानली से बाहर निकल जाता है, इस प्रकार बोतल का पूरा-पूरा आयतन द्रव से भर जाता है। द्रव का घनत्व (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} 0) निम्नलिखित सूत्र द्वारा मालूम हो जाता है:

Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} = Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\frac {m_{1}-m_{0}}{v_{0}}}

जबकि (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} 0) बोतल का आयतन है, जिसे ज्ञात का घनत्व के द्रव की सहायता से ज्ञात किया जाता है। यदि बोतल को दूसरी बार मानक द्रव से भरकर मात्रा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} 2) ज्ञात कर लें, तो आपेक्षिक घनत्व (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {R}} .Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}}. ) निम्नलिखित प्रकार से ज्ञात कर सकते हैं:

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आपेक्षिक घनत्व बोतल की सहायता से चूरे या छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में प्राप्त, ठोस पदार्थो का घनत्व भी निकाला जा सकता है। आर्किमिडीज़ के सिद्धांत की सहायता से भी ठोस पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व निकाला जा सकता है। यदि ठोस पदार्थपिंड मानक द्रव में अविलेय तथा अधिक घनत्ववाला हो और ठोस की वाय में मात्रा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} 1) तथा फिर मानक द्रव में पूरा-पूरा डुबाकर उसकी मात्रा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} 2) हो, तो पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व:

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द्रव से कम घनर्तव के पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व उपर्युक्त विधि का परिवर्तन करके ज्ञात कर सकते हैं।

गैसीय पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व

thumb|250px|विक्टर मायर का उपकरण गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करते समय उनके ताप तथा दाब का भी निरीक्षण किया जाता है। पूर्वोक्त सूत्र की सहायता से किसी भी ताप तथा दाब पर ज्ञात घनत्व से मानक दाब तथा ताप पर घनत्व ज्ञात किया जा सकता है। गैसीय पदार्थों का घनत्व ज्ञात करने की दो मुख्य विधियाँ हैं:

  • रेनो की विधि:- इस विधि द्वारा उन पदार्थों का घनत्व ज्ञात किया जा सकता है जो सामान्य दाब तथा ताप पर गैसीय अवस्था में रहते हैं।

बराबर आयतन तथा भार के दो फ्लास्कों को अतिनिर्वात पम्प की सहायता से वायुशून्य कर एक सुग्राही तुला के पलड़ों के नीचे लटका देते हैं। ये फ्लास्क एक बक्स में रहते हैं, जिसका ताप स्थिर रखा जाता है। अब पलड़ों पर उपयुक्त भार रखकर तुला को संतुलित कर देते हैं। तत्पश्चात्‌ एक फ्लास्क को ज्ञात दबाव द पर गैस से भर देते हैं। फ्लास्कों को यथास्थान लटकाने पर यदि अब तुला को (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} ) ग्राम मात्रा द्वारा संतुलित करें तो (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {T}} ) ताप तथा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} ) दाब पर गैस का घनत्व = [Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} =Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} /Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} ] होगा। यहाँ (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} ) फ्लास्क का आयतन है। इसे फ्लास्क को ज्ञात घनत्व के द्रव से पूरा-पूरा भरकर तथा द्रव का भार ज्ञात कर मालूम कर सकते हैं। गैसीय पदार्थो का आपेक्षिक घनत्व हाइड्रोजन को मानक मानकर ज्ञात किया जाता हैं। उपर्युक्त प्रयोग को यदि हाइड्रोजन के साथ दोहराने पर उसकी मात्रा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} 0) ज्ञात हो तो उपर्युक्त गैस का आपेक्षिक घनत्व = Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} /Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} 0

  • विक्टर मायर की विधि:- इस विधि का उपयोग अधिक ताप पर गैस बनने वाले पदार्थों के वाष्प का घनत्व ज्ञात करने में किया जाता है। नीचे उपकरण चित्रित है। फ्लास्क में ऐसा पदार्थ 2 लिया जाता है जिसका क्वथनांक पदार्थ के (जिसके वाष्प का घनत्व ज्ञात करना है) क्वथनांक से अधिक हो। फ्लास्क फ को गरम करते हैं। नली में पदार्थ की ज्ञात मात्रा (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} ) रख देते हैं। नली से एक पतली नली एक चिह्नित नली में खुलती है, जो द्रव 1 से भरी होती है। 1 ऐसा द्रव होता है जिसके साथ पदार्थ का वाष्प कोई प्रक्रिया नहीं करता। गरम होने पर पदार्थ वाष्प रूप हो जाता है। इसका वाष्प नली में भर जाता है। यह वाष्प अपने आयतन के अनुसार वायु के नली से में निकाल देता है। इसी अयतन (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {V}} ) का द्र के बाहर आ जाता है, जो चिह्नित नली में द्रव 1 की सतह के परिवर्तन से ज्ञात होता है। यदि द्रव 1 का का ताप ता1 (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {T}} 1) तथा यदि सामान्य ताप पर 1 की वाष्पदाब वा1 (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} 1) है, तो (वा-वा1) [Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} -Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} 1]

दबाव पर तथा ता1 (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {T}} 1) ताप पर उपर्युक्त पदार्थ के वाष्प का भार 1 (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {m}} ) होगा, जब वा1 (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {P}} ) वायुमंडल की दाब है। अत: मानक दाब तथा ताप पर वाष्प का घनत्व (Failed to parse (SVG (MathML can be enabled via browser plugin): Invalid response ("Math extension cannot connect to Restbase.") from server "https://api.formulasearchengine.com/v1/":): {\mathrm {D}} ) निम्नांकित होता है :

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 4”, हिन्दी विश्वकोश, 1964 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 107-110।

  1. (C. G. S.)
  2. (stereometer)