नेडुंजेलियन: Difference between revisions

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*उसकी सेना में मोती तथा मछली का संग्रह करने वाले पूर्वी समुद्रतटीय लोगों को विशेष महत्त्व प्रदान किया जाता था।
*उसकी सेना में मोती तथा मछली का संग्रह करने वाले पूर्वी समुद्रतटीय लोगों को विशेष महत्त्व प्रदान किया जाता था।
*उसने अपने समकालीन कवियों 'नक्कीकर', 'कल्लादनार' एवं 'मागुडिमरुदन' को संरक्षण प्रदान किया।
*उसने अपने समकालीन कवियों 'नक्कीकर', 'कल्लादनार' एवं 'मागुडिमरुदन' को संरक्षण प्रदान किया।
*शिलप्पादिकारम की नायिका 'कण्णगी' के निर्दोष पति कोवलन को हार चुराने के अपराध में नेडंजेलियन ने मृत्यु दण्ड दे दिया था।
*[[शिलप्पादिकारम]] की नायिका 'कण्णगी' के निर्दोष पति कोवलन को हार चुराने के अपराध में नेडंजेलियन ने मृत्यु दण्ड दे दिया था।
*कालान्तर में वास्तविकता का पता चलने पर राजा ने एक निर्दोष व्यक्ति को प्राणदण्ड देने के प्रायश्चित में आत्महत्या कर ली।
*कालान्तर में वास्तविकता का पता चलने पर राजा ने एक निर्दोष व्यक्ति को प्राणदण्ड देने के प्रायश्चित में आत्महत्या कर ली।
*उसने अपने शासन काल में अनेक [[यज्ञ|यज्ञों]] का विधान एवं व्यापारियों तथा कृषकों के कल्याण के लिए अनेक नई योजनाएं कार्यान्वियत किया।
*उसने अपने शासन काल में अनेक [[यज्ञ|यज्ञों]] का विधान एवं व्यापारियों तथा कृषकों के कल्याण के लिए अनेक नई योजनाएं कार्यान्वियत किया।

Latest revision as of 05:55, 30 June 2011

  • पाण्ड्य राजवंशके शासक नेडुंजेलियन ने 'वह राजा जिसने तलैयालंगानम का युद्ध जीता' की उपाधि धारण की थी।
  • तलैयालंगानम युद्ध में नेडंजेलियन ने चोलों एवं चेरों को उनके अन्य 5 सामन्त मित्रों के साथ बुरी तरह पराजित किया था।
  • उसने चेर शासक 'शेय' (हाथी की आंख वाला) को बंदी बनाकर बंदीगृह में डाल दिया।
  • नेडंजेलियन की राजधानी मदुरा एवं उसके कुशल प्रशासन के विषय में हमें 'मदुरैकांजी ग्रंथ' से जानकारी मिलती है।
  • उसकी सेना में मोती तथा मछली का संग्रह करने वाले पूर्वी समुद्रतटीय लोगों को विशेष महत्त्व प्रदान किया जाता था।
  • उसने अपने समकालीन कवियों 'नक्कीकर', 'कल्लादनार' एवं 'मागुडिमरुदन' को संरक्षण प्रदान किया।
  • शिलप्पादिकारम की नायिका 'कण्णगी' के निर्दोष पति कोवलन को हार चुराने के अपराध में नेडंजेलियन ने मृत्यु दण्ड दे दिया था।
  • कालान्तर में वास्तविकता का पता चलने पर राजा ने एक निर्दोष व्यक्ति को प्राणदण्ड देने के प्रायश्चित में आत्महत्या कर ली।
  • उसने अपने शासन काल में अनेक यज्ञों का विधान एवं व्यापारियों तथा कृषकों के कल्याण के लिए अनेक नई योजनाएं कार्यान्वियत किया।



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