जंजीरा क़िला: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('जंजीरा क़िला महाराष्ट्र के कोंकण में रायगढ़ के ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "मुगल" to "मुग़ल") |
||
Line 3: | Line 3: | ||
जंजीरा अरबी शब्द 'जंजीरा' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है-टापू। 1490 ई, में [[अहमदनगर]] के निजामशाह ने जंजीरा में अपने लिए नौ सेना की स्थापना की थी और उसे नाविक कला में निपुण एक वीर हब्शी सिद्दी याकूत-खां को सौंप दिया था। उसके दो कार्य थे-तटीय व्यापार की रक्षा करना और द्वितीय, [[मुस्लिम]] हज यात्रियों को सुरक्षित [[मक्का]] ले जाना और लाना। इस प्रकार जंजीरा का एक छोटा-सा राज्य स्थापित हो गया, जो दीर्घकाल तक राजनीतिक परिवर्तनों में भी सुरक्षित रहा। | जंजीरा अरबी शब्द 'जंजीरा' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है-टापू। 1490 ई, में [[अहमदनगर]] के निजामशाह ने जंजीरा में अपने लिए नौ सेना की स्थापना की थी और उसे नाविक कला में निपुण एक वीर हब्शी सिद्दी याकूत-खां को सौंप दिया था। उसके दो कार्य थे-तटीय व्यापार की रक्षा करना और द्वितीय, [[मुस्लिम]] हज यात्रियों को सुरक्षित [[मक्का]] ले जाना और लाना। इस प्रकार जंजीरा का एक छोटा-सा राज्य स्थापित हो गया, जो दीर्घकाल तक राजनीतिक परिवर्तनों में भी सुरक्षित रहा। | ||
जब [[शिवाजी]] ने 1657 ई. में कल्याण पर आक्रमण करके उत्तरी कोंकण के [[बीजापुर]] भाग को हस्तगत कर लिया, तो सिद्दी सरदार ने अपने वीर नाविकों के विशाल दल द्वांरा उनका डटकर मुकाबला किया। अतः शिवाजी के लिए आवश्यक हो गया कि वे अपने लिए नौ-सेना का निर्माण करे, जिससे सिद्दी शाक्ति को रोका जा सके, साथ ही पश्चिमी तट पर अपनी सत्ता को प्रबल भी बना सके। सिद्दियों से शिवाजी का युद्ध 1657 ई. में आरम्भ हुआ और मृत्युपर्यंत चलता रहा। बीच-बीच में कुछ भीषण लड़ाइयाँ भी हुईं। एक बार ऐसा भी हुआ गया। कि जंजीरा को छोड़कर सिद्दी के समस्त प्रदेशों पर शिवाजी का अधिकार हो गया। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में शिवाजी की यह जीत क्षणिक रही। | जब [[शिवाजी]] ने 1657 ई. में कल्याण पर आक्रमण करके उत्तरी कोंकण के [[बीजापुर]] भाग को हस्तगत कर लिया, तो सिद्दी सरदार ने अपने वीर नाविकों के विशाल दल द्वांरा उनका डटकर मुकाबला किया। अतः शिवाजी के लिए आवश्यक हो गया कि वे अपने लिए नौ-सेना का निर्माण करे, जिससे सिद्दी शाक्ति को रोका जा सके, साथ ही पश्चिमी तट पर अपनी सत्ता को प्रबल भी बना सके। सिद्दियों से शिवाजी का युद्ध 1657 ई. में आरम्भ हुआ और मृत्युपर्यंत चलता रहा। बीच-बीच में कुछ भीषण लड़ाइयाँ भी हुईं। एक बार ऐसा भी हुआ गया। कि जंजीरा को छोड़कर सिद्दी के समस्त प्रदेशों पर शिवाजी का अधिकार हो गया। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में शिवाजी की यह जीत क्षणिक रही। मुग़लों की सहायता से और उनके प्रोत्साहन से सिद्दियों की शक्ति निरंतर बढ़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों में संघर्ष चलता रहा। | ||
[[मराठा|मराठों]] के नौसेनाध्यक्ष सरदार आंग्रे ने 1734-35 ई. में जंजीरा के कई भागों पर अधिकार कर लिया। सिद्दी सात द्वारा कोलाबा पर भयंकर आक्रमण से शाहू बहुत क्रुद्ध हुआ। उसने 1736 ई. में चिमनाजी अप्पा को सिद्दियों के विरुद्ध भेजा। उसने इस मामले को पूरी गम्भीरता से लिया और क्षिप्र आक्रमण करके सिद्दी शक्ति का दमन किया कालांतर में तुलोजी आंग्रे से सिद्दियों का लगभग पूर्ण दमन किया। | [[मराठा|मराठों]] के नौसेनाध्यक्ष सरदार आंग्रे ने 1734-35 ई. में जंजीरा के कई भागों पर अधिकार कर लिया। सिद्दी सात द्वारा कोलाबा पर भयंकर आक्रमण से शाहू बहुत क्रुद्ध हुआ। उसने 1736 ई. में चिमनाजी अप्पा को सिद्दियों के विरुद्ध भेजा। उसने इस मामले को पूरी गम्भीरता से लिया और क्षिप्र आक्रमण करके सिद्दी शक्ति का दमन किया कालांतर में तुलोजी आंग्रे से सिद्दियों का लगभग पूर्ण दमन किया। |
Revision as of 09:07, 11 July 2011
जंजीरा क़िला महाराष्ट्र के कोंकण में रायगढ़ के निकट स्थित है।
इतिहास
जंजीरा अरबी शब्द 'जंजीरा' का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ है-टापू। 1490 ई, में अहमदनगर के निजामशाह ने जंजीरा में अपने लिए नौ सेना की स्थापना की थी और उसे नाविक कला में निपुण एक वीर हब्शी सिद्दी याकूत-खां को सौंप दिया था। उसके दो कार्य थे-तटीय व्यापार की रक्षा करना और द्वितीय, मुस्लिम हज यात्रियों को सुरक्षित मक्का ले जाना और लाना। इस प्रकार जंजीरा का एक छोटा-सा राज्य स्थापित हो गया, जो दीर्घकाल तक राजनीतिक परिवर्तनों में भी सुरक्षित रहा।
जब शिवाजी ने 1657 ई. में कल्याण पर आक्रमण करके उत्तरी कोंकण के बीजापुर भाग को हस्तगत कर लिया, तो सिद्दी सरदार ने अपने वीर नाविकों के विशाल दल द्वांरा उनका डटकर मुकाबला किया। अतः शिवाजी के लिए आवश्यक हो गया कि वे अपने लिए नौ-सेना का निर्माण करे, जिससे सिद्दी शाक्ति को रोका जा सके, साथ ही पश्चिमी तट पर अपनी सत्ता को प्रबल भी बना सके। सिद्दियों से शिवाजी का युद्ध 1657 ई. में आरम्भ हुआ और मृत्युपर्यंत चलता रहा। बीच-बीच में कुछ भीषण लड़ाइयाँ भी हुईं। एक बार ऐसा भी हुआ गया। कि जंजीरा को छोड़कर सिद्दी के समस्त प्रदेशों पर शिवाजी का अधिकार हो गया। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में शिवाजी की यह जीत क्षणिक रही। मुग़लों की सहायता से और उनके प्रोत्साहन से सिद्दियों की शक्ति निरंतर बढ़ती गई, जिसके परिणामस्वरूप दोनों में संघर्ष चलता रहा।
मराठों के नौसेनाध्यक्ष सरदार आंग्रे ने 1734-35 ई. में जंजीरा के कई भागों पर अधिकार कर लिया। सिद्दी सात द्वारा कोलाबा पर भयंकर आक्रमण से शाहू बहुत क्रुद्ध हुआ। उसने 1736 ई. में चिमनाजी अप्पा को सिद्दियों के विरुद्ध भेजा। उसने इस मामले को पूरी गम्भीरता से लिया और क्षिप्र आक्रमण करके सिद्दी शक्ति का दमन किया कालांतर में तुलोजी आंग्रे से सिद्दियों का लगभग पूर्ण दमन किया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख