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[[ब्रिटेन]] में रहने वाले निवासियों को '''अंग्रेज़''' कहा जाता है। इनका [[रंग]] साफ, बाल [[भूरा रंग|भूरे]] व [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] और चमड़ी गोरी होती है, इसीलिए इन्हें प्राय: 'गोरे लोग' कहा जाता है। भारत के इतिहास में अंग्रेज़ों का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारतीय इतिहास के ना जाने कितने ही अध्याय अंग्रेज़ों की कूटनीति, धोखेबाज़ी और लालची गतिविधियों से भरे पड़े हैं। ब्रिटेन के सम्राट जेम्स प्रथम ने पहले 1609 ई. में [[विलियम हॉकिंस|हॉकिन्स]] को और फिर 1615 ई. में [[टॉमस रो]] को जहाँगीर के दरबार में अपना राजदूत बनाकर भेजा था। [[अजमेर]] के क़िले में टॉमस रो ने [[मुग़ल]] सम्राट [[जहाँगीर]] के सामने खड़े होकर एक याचक के रूप में भारत में व्यापार करने की अनुमति माँगी थी। जहाँगीर से टॉमस रो का व्यापारिक समझौता तो नहीं हो सका, किंतु सूबेदार 'ख़ुर्रम' (बाद में [[शाहजहाँ]]) ने उसे व्यापारिक कोठियाँ खोलने के लिए फ़रमान दे दिया था। इसी दिन से [[भारत]] की ग़ुलामी की इबारत लिख दी गई।
[[ब्रिटेन]] में रहने वाले निवासियों को '''अंग्रेज़''' कहा जाता है। इनका [[रंग]] साफ, बाल [[भूरा रंग|भूरे]] व [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] और चमड़ी गोरी होती है, इसीलिए इन्हें प्राय: 'गोरे लोग' भी कहा जाता है। [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में अंग्रेज़ों का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारतीय इतिहास के ना जाने कितने ही अध्याय अंग्रेज़ों की कूटनीति, धोखेबाज़ी और लालची गतिविधियों से भरे पड़े हैं। ब्रिटेन के सम्राट 'जेम्स प्रथम' ने पहले 1609 ई. में [[विलियम हॉकिंस|हॉकिन्स]] को और फिर 1615 ई. में [[टॉमस रो]] को जहाँगीर के दरबार में अपना राजदूत बनाकर भेजा था। [[अजमेर]] के क़िले में टॉमस रो ने [[मुग़ल]] सम्राट [[जहाँगीर]] के सामने खड़े होकर एक याचक के रूप में [[भारत]] में व्यापार करने की अनुमति माँगी थी। जहाँगीर से टॉमस रो का व्यापारिक समझौता तो नहीं हो सका, किंतु उस समय [[गुजरात]] के सूबेदार 'ख़ुर्रम' (बाद में [[शाहजहाँ]]) ने उसे व्यापारिक कोठियाँ खोलने के लिए फ़रमान दे दिया था। उसी दिन से [[भारत]] की ग़ुलामी की इबारत लिख दी गई।


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ब्रिटेन में रहने वाले निवासियों को अंग्रेज़ कहा जाता है। इनका रंग साफ, बाल भूरेसफ़ेद और चमड़ी गोरी होती है, इसीलिए इन्हें प्राय: 'गोरे लोग' भी कहा जाता है। भारत के इतिहास में अंग्रेज़ों का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। भारतीय इतिहास के ना जाने कितने ही अध्याय अंग्रेज़ों की कूटनीति, धोखेबाज़ी और लालची गतिविधियों से भरे पड़े हैं। ब्रिटेन के सम्राट 'जेम्स प्रथम' ने पहले 1609 ई. में हॉकिन्स को और फिर 1615 ई. में टॉमस रो को जहाँगीर के दरबार में अपना राजदूत बनाकर भेजा था। अजमेर के क़िले में टॉमस रो ने मुग़ल सम्राट जहाँगीर के सामने खड़े होकर एक याचक के रूप में भारत में व्यापार करने की अनुमति माँगी थी। जहाँगीर से टॉमस रो का व्यापारिक समझौता तो नहीं हो सका, किंतु उस समय गुजरात के सूबेदार 'ख़ुर्रम' (बाद में शाहजहाँ) ने उसे व्यापारिक कोठियाँ खोलने के लिए फ़रमान दे दिया था। उसी दिन से भारत की ग़ुलामी की इबारत लिख दी गई।


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