अरिष्ट: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('वाल्मीकि रामायण सुन्दर काण्ड<ref...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[सुन्दर काण्ड वा. रा.|वाल्मीकि रामायण सुन्दर काण्ड]]<ref>[[सुन्दर काण्ड वा. रा.]] 56,26</ref> के अनुसार [[लंका]] में समुद्रतट पर स्थित एक [[पर्वत]], जिस पर चढ़कर [[हनुमान]] ने लंका से लौटते समय, समुद्र को कूद कर पार किया था- | [[सुन्दर काण्ड वा. रा.|वाल्मीकि रामायण सुन्दर काण्ड]]<ref>[[सुन्दर काण्ड वा. रा.]] 56,26</ref> के अनुसार [[लंका]] में समुद्रतट पर स्थित एक [[पर्वत]], जिस पर चढ़कर [[हनुमान]] ने लंका से लौटते समय, समुद्र को कूद कर पार किया था- | ||
< | <poem>'आरुरोह गिरिश्रेष्ठमरिष्टमरिमर्दन:, | ||
तुंगपद्मकजुष्टाभिर्नीलाभिर्वनराजिभि:'।</ | तुंगपद्मकजुष्टाभिर्नीलाभिर्वनराजिभि:'।</poem> | ||
इसी के सामने [[भारत]] में समुद्र के दूसरे तट पर महेंद्र पर्वत की स्थिति थी।<ref>[[सुन्दर काण्ड वा. रा.]] 27, 29</ref> हनुमान के अरिष्ट पर आरूढ़ होने के पश्चात् इस पर्वत की दशा की अद्भुत वर्णन [[वाल्मीकि]] ने किया है। | इसी के सामने [[भारत]] में समुद्र के दूसरे तट पर महेंद्र पर्वत की स्थिति थी।<ref>[[सुन्दर काण्ड वा. रा.]] 27, 29</ref> हनुमान के अरिष्ट पर आरूढ़ होने के पश्चात् इस पर्वत की दशा की अद्भुत वर्णन [[वाल्मीकि]] ने किया है। | ||
Revision as of 12:45, 17 August 2011
वाल्मीकि रामायण सुन्दर काण्ड[1] के अनुसार लंका में समुद्रतट पर स्थित एक पर्वत, जिस पर चढ़कर हनुमान ने लंका से लौटते समय, समुद्र को कूद कर पार किया था-
'आरुरोह गिरिश्रेष्ठमरिष्टमरिमर्दन:,
तुंगपद्मकजुष्टाभिर्नीलाभिर्वनराजिभि:'।
इसी के सामने भारत में समुद्र के दूसरे तट पर महेंद्र पर्वत की स्थिति थी।[2] हनुमान के अरिष्ट पर आरूढ़ होने के पश्चात् इस पर्वत की दशा की अद्भुत वर्णन वाल्मीकि ने किया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सुन्दर काण्ड वा. रा. 56,26
- ↑ सुन्दर काण्ड वा. रा. 27, 29