काष्ठ (लेखन सामग्री): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " सदी " to " सदी ")
Line 19: Line 19:
{{प्राचीन भारत लेखन सामग्री}}
{{प्राचीन भारत लेखन सामग्री}}
[[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:इतिहास_कोश]]
[[Category:भाषा_और_लिपि]]
[[Category:भाषा और लिपि]][[Category:भाषा कोश]]
[[Category:प्राचीन भारत लेखन सामग्री]]
[[Category:प्राचीन भारत लेखन सामग्री]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 08:53, 14 October 2011

प्राचीन भारत की लेखन सामग्री में लिखने के लिए लकड़ी की तख्ती या काष्ठफलक का प्रयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। बौद्ध जातक कथाओं में प्राथमिक शालाओं में शिशुओं की शिक्षा के प्रसंग में ‘फलक’ का उल्लेख है। कात्यायन और दंडी ने पांडुलेख (खड़िया) से काष्ठफलक पर लिखित राजकीय घोषणाओं का उल्लेख किया है। लकड़ी की इन स्लेटों पर मुलतानी मिट्टी या खड़िया पोत दी जाती थी। फिर उस पर ईंटों का चूरा बिछाकर तीखे गोल मुख की लकड़ी की कलम से लिखते थे। काष्ठ की चीज़ों पर कई लेख मिले हैं। जैसे, भाजा गुफ़ाचैत्य (महाराष्ट्र) की लकड़ी की कड़ियों पर लेख उत्कीर्ण हैं।

सन 1965 में अम्बाला ज़िले (हरियाणा) के सुघ (प्राचीन स्रुघ्र) से मिट्टी का बना एक खिलौना मिला। इसमें एक बालक को बैठा हुआ और गोद में एक तख्ती लिए हुए दर्शाया गया है। तख्ती ठीक उसी प्रकार की है, जैसी आजकल के प्राथमिक पाठशाला के विद्यार्थी प्रयोग करते हैं। यह खिलौना शुंग काल (ईसा पूर्व दूसरी सदी) का है।

धूलिकर्म

ईसा की सातवीं सदी से फलक के लिए ‘पाटी’ शब्द का प्रयोग होने लगा और ‘पाटीगणित’ का अर्थ हो गया अंकगणित। भास्कराचार्य (1150 ई.) ने अंकगणित को ‘धूलिकर्म’ भी कहा है। पाटी या ज़मीन पर धूल बिछाकर उंगली या एक छोटी लकड़ी की नोक से अंक लिखे जाते थे, गणनाएँ की जाती थीं, इसीलिए यह धूलिकर्म शब्द अस्तित्व में आया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख